Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

दशहरे पर इन 10 जगह नहीं होता है रावण दहन

हमें फॉलो करें दशहरे पर इन 10 जगह नहीं होता है रावण दहन

अनिरुद्ध जोशी

अश्‍विन माह की दशमी को राम ने रावण का वध किया था इसीलिए इसे दशहरा कहते हैं और इसी दिन माता कात्यायिनी दुर्गा ने महिेषासुर का वध किया था इसलिए इसे विजयादशमी भी कहते हैं। देशभर में दशहरे के दिन रावण का पुतला दहन कर लोग एक दूसरे को विजय की बधाई देते हैं परंतु देश के कई स्थानों पर रावण का दहन नहीं होता है। श्रीलंका के रानागिर इलाके के अलावा भारत में भी रावण की कहीं-कहीं पूजा-अर्चना किए जाने का प्रचलन बढ़ रहा है। उन्हीं में से प्रमुख 10 स्थान को जानिए। 
 
 
मध्यप्रदेश में 
1. चिखली उज्जैन : उज्जैन जिले के चिखली ग्राम में ऐसी मान्यता है कि यदि रावण को पूजा नहीं गया तो पूरा गांव जलकर भस्म हो जाएगा। इसीलिए नवरात्र में दशमी के दिन पूरा गांव रावण की पूजा में लीन हो जाता है। इस दौरान यहां रावण का मेला लगता है और दशमी के दिन राम और रावण युद्ध का भव्य आयोजन होता है। पहले गांव के प्रमुख द्वार के समक्ष रावण का एक स्थान ही हुआ करता था, जहां प्रत्येक वर्ष गोबर से रावण बनाकर उसकी पूजा की जाती थी लेकिन अब यहां रावण की एक विशाल मूर्ति है।
 
2. मंदसौर : कहते हैं कि रावण की पत्नी मंदोनरी मध्यप्रदेश के मंदसौर की ही रहने वाली थी। इसीलिए रावण को मंदसौर का दामाद माना जाता है। दामाद होने के नाते यहां रावण का दहन नहीं होता है। यहां रावण की 35 फुट की एक ऊंची मूर्ति भी है।
 
राजस्थान में
3. मंदौर : कुछ लोगों का मानना है कि राजस्थान का मंदौर वह स्थान है जहां पर मंदोदरी और रावण का विवाह हुआ था। यहां के स्थानीय लोगों के अनुसार रावण यहां का दामाद है इसलिए यहां के लोग भी रावण दहन नहीं करते हैं। 
 
4. जोधपुर : राजस्थान के जोधपुर में कुछ समाज विशेष के लोग खुद को रावण का वंशज मानते हैं और वे रावण का पूजन भी करते हैं। यही कारण है कि यहां रावण दहन का आयोजन उस स्तर पर नहीं होता है।
 
उत्तरप्रदेश में 
5. कानपुर : कानपुर के शिवाला में यहां का एक शिव मंदिर रावण को समर्पित है जिसका नाम दशानन मंदिर है। यहां लोग रावण की पूजा करने आते हैं। यहां के लोगों का मानना है कि रावण राक्षसों के राजा नहीं बल्कि ज्ञानी, कुशाग्र बुद्धि वाले महापंडित थे। मान्यता है कि कुछ लोगों ने रावण के पुतले को जलाने का प्रयास किया परंतु गांव में आग लग चुकी है। अत: अब किसी होनी अनहोनी के चलते लोग रावण दहन नहीं करते हैं।
 
6. बिसरख : मान्यता अनुसार नई दिल्ली से 30 किलोमीटर दूर स्थित उत्तर प्रदेश का छोटा-सा गांव बिसरत रावण का ननिहाल था। ऐसा माना जाता है कि त्रेतायुग में इस गांव में ऋषि विश्र्शवा का जन्म हुआ था और उन्हीं के घर रावण का जन्म हुआ था। यहां भी रावण का मंदिर बना हुआ है और यहां पर रावण का पूजन होता है।  
 
महाराष्ट्र में
7. पारसवाड़ी, गढ़चिरौली: महाराष्ट्र के अमरावती जिले में गढ़चिरौली के पास पारसवाड़ी एक छोटा-सा गांव है जिसमें गोंड जनजाति के लोग रहते हैं और ये लोग खुद को रावण का वंशज मानते हैं। यही कारण है कि यहां के लोग रावण की पूजा करते हैं। उनका मानना है कि रावण गोंड जनजाति के राजा थे। इसी तरह गढ़चिरौली के आदिवासी लोग भी रावण और उसके पुत्र को अपना देवता मानते हैं।  
 
अन्य प्रांत 
8. बैजनाथ : हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित बैजनाथ कस्बे में रावण की पूरी श्रद्धा के साथ पूजा-अर्चना की जाती है। मान्यता अनुसार यहां रावण ने सालों तक बैजनाथ में भगवान शिव की तपस्या कर मोक्ष का वरदान प्राप्त किया था। यहां रावण का पुतला दहन नहीं किया जाता है और यह भी मान्यता है कि जो कोई भी रावण का पुतला जलाता है उसके घर में किसी न किसी की अचानक मृत्यु हो जाती है।  
 
9. कनार्टक : कनार्टक के कोलार जिले में भी रावण दहन नहीं होता है बिल्क यहां भी उसकी पूजा की जाती है। यहां की मान्यताओं के अनुसार रावण भगवान शिव का भक्त था, इसलिए उसका दहन करना उचित नहीं। इसके अलावा कर्नाटक के मंडया जिले के मालवली नामक स्थान पर भी रावण दहन नहीं होता है वहां पर भी रावण का मंदिर बना हुआ है, जहां लोग उसे महान शिव भक्त के रूप में पूजते हैं।
 
10. काकिनाड : आंध्रप्रदेश के काकिनाड में भी रावण दहन नहीं होता है और यहां के लोग रावण की पूजा करते हैं। वे रावर को शक्तिशाली सम्राट मानते हैं। इस मंदिर में भगवान शिव के साथ रावण की भी पूजा की जाती है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

Maa Katyayini Poojan vidhi : मां कात्यायनी को प्रसन्न करना है तो पढ़ें पूजा की सरल विधि