Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

मंदोदरी को चकमा दे दिया था हनुमानजी ने, तब श्रीराम कर पाए थे रावण का वध

हमें फॉलो करें मंदोदरी को चकमा दे दिया था हनुमानजी ने, तब श्रीराम कर पाए थे रावण का वध

अनिरुद्ध जोशी

, गुरुवार, 14 अक्टूबर 2021 (17:07 IST)
राम और रावण का युद्ध अश्विन शुक्ल पक्ष की तृतीया को प्रारंभ हुआ था और दशमी को यह युद्ध समाप्त हुआ था। लेकिन युद्ध तो उससे पहले ही जारी था। कुल मिलाकर युद्ध 32 दिन चला था। रामजी लंका में कुल 111 दिन रहे थे। राम ने जब रावण का वध किया तो इस तरह किया था।
 
रावण को मारने में लगी थी सारी शक्तियां, जैसे हनुमानजी, लक्ष्मण, सुग्रीव, अंगद, जामवंत, गरुड़ भगवान और विभीषण सभी ने श्रीराम की मदद की थी क्योंकि रावण बड़ा ही शक्तिशाली और मायावी थी।
 
1. विभीषण ने बताया राज : कई दिनों के युद्ध के बाद में जब रावण नहीं मारा जा रहा था तो वानर सेना में चिंता की लहर दौ़ड़ गई थी। ऐसे में बाद में विभीषण ने आकर श्रीराम को बताया कि इसके प्राण नाभि में हैं। ऐसी मान्यता है कि रावण ने अमृत्व प्राप्ति के उद्देश्य से भगवान ब्रह्मा की घोर तपस्या कर वरदान माँगा, लेकिन ब्रह्मा ने उसके इस वरदान को न मानते हुए कहा कि तुम्हारा जीवन नाभि में स्थित रहेगा। 
webdunia
2. कोदंण के बाण से किया वध : बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि भगवान राम के धनुष का नाम कोदंड था इसीलिए प्रभु श्रीराम को कोदंड ( Kodanda ) कहा जाता था। 'कोदंड' का अर्थ होता है बांस से निर्मित। कोदंड एक चमत्कारिक धनुष था जिसे हर कोई धारण नहीं कर सकता था। कोदंड एक ऐसा धनुष था जिसका छोड़ा गया बाण लक्ष्य को भेदकर ही वापस आता था। प्रभु श्रीराम इस धनुष का उपयोग तभी करते थे जबकि बहुत ही आवश्यक हो। श्रीराम ने कोदंड से रावण का वध किया था।
 
 
3. रावण के लिए था विशेष धनुष : रामायण से इतर एक कथा के अनुसार यह भी कहा जाता है कि प्रभु श्रीराम ने रावण का वध कोदंड से बाण से नहीं किया था क्योंकि जिस तरह रावण के प्राण उसकी नाभि में थे उसी तरह उसके प्राण लेने के लिए उसके लिए उसके महल में गुप्त जगह पर रखा था एक विशेष धनुष। विभीषण ने प्रभु श्रीराम को बताया था कि रावण को मारने के लिए एक विशेष अस्त्र की आवश्यकता है, नहीं तो यह कभी नहीं मरेगा और यह युद्ध ऐसा ही चलता रहेगा। यह अस्त्र ब्रह्माजी ने रावण को प्रदान किया था। जिसे महारानी मंदोदरी ने अपने कक्ष में छिपा रखा था। इस धनुष को लाने के लिए हनुमानजी को को जिम्मा सौंपा गया।
 
 
4. मंदोदरी को चकमा दे दिया था हनुमानजी ने : श्रीराम की आज्ञा ने हनुमानजी ने एक वृद्ध ब्राह्मण का वेश धारण किया और महारानी मंदोदरी के समक्ष पहुंच गए। मंदोनरी ने हनुमानजी को ब्राह्मण समझकर उनका आदर सत्कार किया और पधारने का कारण पूछा तो हनुमानजी ने मंदोदरी से कहा कि विभीषण ने श्री राम को उस विशेष दिव्यास्त्र के बारे में बता दिया है, जो आपके कक्ष में रखा है और जिससे रावण का वध किया जा सकता है। हनुमान जी ने कहा कि माते आपको वह अस्त्र कहीं ओर छिपा देना चाहिए अन्यथा अनर्थ हो जाएगा। मंदोदरी यब बात सुनकर घबरा गई, और वह तुरंत उस स्थान पर गई जहां पर अस्त्र छिपाकर रखा गया था। बाद में हनुमानजी तुरंत ही मंदोदरी से वह दिव्यास्त्र छीनकर आकाश मार्ग से वहां से चले गए। 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

Mandir Mystery : बिहार के मां राज राजेश्वरी त्रिपुर सुंदरी मंदिर का अनसुलझा रहस्य