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पान क्यों खाया जाता है दशहरे पर, पढ़ें दिलचस्प जानकारी

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दशहरे के दिन पान खाने और बजरंगबली को चढ़ाने का विशेष महत्व है। पान को विजय का सूचक माना गया है। पान का 'बीड़ा' शब्द का एक महत्व यह भी है इस दिन हम सन्मार्ग पर चलने का 'बीड़ा' उठाते हैं।  
पान प्रेम का पर्याय है। दशहरे में रावण दहन के बाद पान का बीड़ा खाने की परम्परा है। ऐसा माना जाता है दशहरे के दिन पान खाकर लोग असत्य पर हुई सत्य की जीत की खुशी को व्यक्त करते हैं, और यह बीड़ा उठाते हैं कि वह हमेशा सत्य के मार्ग पर चलेंगे। जानकार कहते हैं कि  पान का पत्ता मान और सम्मान का प्रतीक है। इसलिए हर शुभ कार्य में इसका उपयोग किया जाता है। 
 
दशहरे के दिन पान खाने की परम्परा पर वैज्ञानिकों का मानना है कि जिस तरह चैत्र नवरात्र में पूरे नौ दिन तक मिश्री, नीम की पत्ती और काली मिर्च खाने की परम्परा है। क्योंकि इनके सेवन से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। उसी तरह शारदेय नवरात्रि का समय भी ऋतु परिवर्तन का समय होता है। इस समय संक्रामक बीमारियों के फैलने का खतरा सबसे ज्यादा होता है। 
 
ऐसे में यह परम्परा लोगों की बीमारियों से रक्षा करती है। नौ दिन के उपवास के बाद लोग अन्न ग्रहण करते हैं जिसके कारण उनकी पाचन की प्रकिया प्रभावित होती है। पान का पत्ता पाचन की प्रक्रिया को सामान्य बनाए रखता है। इसलिए दशहरे के दिन शारीरिक प्रक्रियाओं को सामान्य बनाए रखने के लिए पान खाने की परम्परा है।

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