दीपा करमाकर - तुम्हारे प्रदर्शन की चमक अब भी उतनी ही सुनहरी है...तुम अपने बुलंद इरादों, व्यक्तिगत समर्पण और ज़िद से वहाँ पहुँचीं, जहाँ पहुँचने के ख़्वाब देखना भी मुश्किल भरा था।
दीपा, जब तुम्हें कहा गया था कि तुम अपने सपाट तलुओं की वजह से जिम्नास्टिक के लिए फ़िट नहीं हो.... उस क्षण से लेकर यहाँ विश्व के सर्वश्रेष्ठ जिम्नास्टों के साथ चौथे स्थान पर आना....ये सफ़र ही तुम्हारी जीत है... बहुत कम अंतर (.0.15) से काँस्य चूक गईं...बहुत थोड़े से....
पर भविष्य में सोने पर निगाह बनी रहे...यह सोना तुम्हें आने वाले कल में जरूर मिलेगा.....उस देश में जहाँ खेलों में सफलता का शिखर संस्थागत और नियोजित प्रयास से नहीं बल्कि व्यक्तिगत ज़िद, जुनून और हौसले से ज़्यादा छुआ जाता है, उस देश के करोड़ों भारतवासियों के लिए तुम विजेता ही हो.....हम एक देश के रूप में खिलाड़ियों को हताश करने वाली व्यवस्था क़ायम करें और फिर सोशल मीडिया पर मेडल की उम्मीद के बारे में लिखेंगे तो यह हो नहीं पाएगा....
आप कहेंगे - एक आम आदमी कर भी यही सकता है!!! नहीं वो अपने बच्चों को दीपा से प्रेरणा लेने के लिए कह सकते हैं.... ये भी बता सकते हैं कि इस विश्व मंच पर अंतर हमेशा बहुत थोड़े से का ही होता है..... वही एक चैम्पियन को सबसे अलग करता है.... ओलंपिक के मंच पर तिरंगा फहराना और अपना राष्ट्रगान बजवा लेना कितना कठिन काम है, यह कोई सोच भी नहीं सकता है। हमें बहुत मेहनत करनी होगी वहाँ तक पहुँचने के लिए........ #जयभारत #रियोओलिम्पिक