Hanuman Chalisa

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

तूफान और हादसे के बीच खड़े हम हिन्दुस्तानी....

Advertiesment
हमें फॉलो करें दतिया
webdunia

जयदीप कर्णिक

हम तूफान से तो लड़ सकते हैं....पर अपने आप से ...? तूफान से तो हम लड़ भी लिए पर अपने आप से लड़ाई फिर एक बार हार गए...। एक तरफ सारा देश ओडिशा और आंध्र में फैलिन के हालात पर अपनी नज़रें गड़ाए था तो दूसरी ओर एक बड़ा हादसा बस हो जाने का इंतजार कर रहा था। एक तरफ तूफान से लड़ने की तैयारी, 9 लाख लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुँचाना, सेना, प्रशासन, मौसम विभाग, आपदा से निपटने वाली टीम और मीडिया की भूमिका को देखकर सीना चौड़ा हो रहा था, मन उनको सलाम कर रहा था तो दूसरी ओर हमारे इस गर्व को काफूर कर देने वाला हादसा आकार ले रहा था, आसमान की ओर उठा हमारा सिर शर्म से झुकने को मजबूर हो गया। एक तरफ़ मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ट्वीट कर रहे थे कि फैलिन तूफान से निपटने में उनकी सरकार ओडिशा सरकार की हर संभव मदद करेगी तो दूसरी ओर उनकी अपनी सरकार के नाकारा अधिकारी ख़ुद अपने घर में एक नया तूफान खड़ा कर रहे थे।
webdunia
PTI

रतनगढ़ माता के दर पर 116 जानें चली गईं। घायल अभी अस्पताल में हैं। मरने वालों में 30 से ज़्यादा बच्चे हैं। कुछ तो बिलकुल दुधमुँहे। अपनी माँ की छाती से लिपटे पड़े इन मासूमों का आप्त स्वर रूह को निचोड़ देने वाला है। 2006 में भी यहीं माता के दर पर 57 जानें गईं थीं। .... कुछ नहीं। मुट्ठी भर पुलिस वाले और लाखों लोगों का सैलाब.... सब भगवान भरोसे। जिम्मेदार अधिकारी छुट्टी पर। पैसे लेकर ट्रैक्टर ट्राली को पुल पर जाने दिया गया। अफवाह फैली। भगदड़ मची। पुलिस की लाठियाँ चलीं। और अधिक भगदड़ मची। जानें चलीं गई। ... भगदड़ के असली कारण पर जाँच होती रहेगी और सच शायद तब भी सामने ना आए। ... पर एक सच पक्का है... शर्मनाक लापरवाही और हादसों से सबक ना लेने का। सच, गरीब की जान सस्ती होने का। सच, आस्था के साथ दिन-रात होते खिलवाड़ का। सच, जनता और व्यवस्था के भगवान भरोसे होने का।

हमारे तमाम धार्मिक स्थलों पर उमड़ने वाली भीड़ और वहाँ मचने वाली लूट, भगवान और आस्था के नाम पर रुपया बना लेने की होड़ क्या कड़वा और बड़ा सच नहीं है? अभी उत्तराखंड में लाशों की अंगुली काटकर अंगूठियां निकाल ली गईं। ..... हमारे तमाम हौसले, हुनर और बेहतरी के बीच लगे ये ऐसे टाट के पैबंद हैं जो हमारी खुशी को मुकम्मल नहीं होने देते।

श्रेष्ठता और बदइंतजामी दोनों के नमूने हम खुद ही पेश करते हैं। हम अपने ही दुश्मन आप हैं। जब तक हम अपने आप से आँख मिलाकर इन सच्चाइयों का सामना नहीं कर लेते... तूफान को जीत लेने का हमारा जश्न अधूरा ही रहेगा
webdunia
कभी हमारे डॉक्टर इसलिए सम्मानित होते हैं कि एक जान बचाने के लिए उन्होंने अपनी जान लगा दी तो कभी जहरीले मध्यान्ह भोजन से ही हमारे यहाँ 23 स्कूली बच्चे मारे जाते हैं। धड़धडाती ट्रेन कावड़ यात्रियों पर चढ़ जाती है तो कभी किसी कृपालु महाराज के भंडारे में भगदड़ से लोग मारे जाते हैं। श्रेष्ठता और बदइंतजामी दोनों के नमूने हम खुद ही पेश करते हैं। हम अपने ही दुश्मन आप हैं। जब तक हम अपने आप से आँख मिलाकर इन सच्चाइयों का सामना नहीं कर लेते... तूफान को जीत लेने का हमारा जश्न अधूरा ही रहेगा। वो सभी जिनकी जान रतनगढ़ हादसे में गई है, उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि और ये उम्मीद की इस मोर्चे पर भी हम तूफान से जंग जीत ही लेंगे।

हमारे साथ WhatsApp पर जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें
Share this Story:

वेबदुनिया पर पढ़ें

समाचार बॉलीवुड ज्योतिष लाइफ स्‍टाइल धर्म-संसार महाभारत के किस्से रामायण की कहानियां रोचक और रोमांचक

Follow Webdunia Hindi