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'सत्य की जीत' के शुभ संकेत

आमिर खान ने दिखाई नई राह

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जयदीप कर्णिक

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रविवार की अलसाई सुबह आमिर खान ने लगभग तमाचा मार कर लोगों को जगा दिया। यूँ तो तारे जमीं पर, लगान और पीपली लाइव वाले आमिर खान से कुछ अलग की उम्मीद थी ही, पर ये 'अलग' इतना क्रांतिकारी होगा ये उम्मीद कम ही लोग कर पाए थे।

रविवार को देर तक चलने वाले नाश्ते को निपटा कर जब लोग आमिर के इस 'अलग' को देखने बैठे तो रविवार की सारी खुमारी उतर गई और देश की एक जिन्दा हकीकत से करोड़ों दर्शक रूबरू हुए। आमिर खान ने टेलीविजन चैनल पर अपना पहला पदार्पण सत्यमेव जयते के जरिए किया और कन्या भ्रूण हत्या का मुद्दा उठाया। निश्चित ही मुद्दा नया नहीं है लेकिन अहम है, ज्वलंत है। अपने पहले ही कार्यक्रम में इसे उठा कर आमिर ने ना केवल इस अहम मुद्दे की ओर सारे देश का ध्यान खींचा है, बल्कि अपनी संवेदना, संजीदगी और सोच का भी परिचय दिया है।

कई पत्रकारों, अखबारों, और टीवी चैनलों ने इस मुद्दे को समय-समय पर उठाया है। कई सरकारी और गैर-सरकारी संगठन अपने-अपने स्तर पर कन्या भ्रूण हत्या रोकने के लिए लड़ रहे हैं। ऐसे में आमिर जैसे सुपर सितारे का इस टीवी शो के माध्यम से लड़ाई में उतर जाना इस आंदोलन को और मजबूती ही देगा।

आमिर ने तो राजस्थान से सहारा समय के उन दोनों पत्रकारों श्रीपाल शेखावत और मीना शर्मा को बुलाकर भी मंच दिया जिन्होंने बहुत मेहनत के साथ स्टिंग ऑपरेशन के जरिए पूरे राजस्थान में सोनोग्राफी सेंटरों और अस्पतालों के गठजोड़ से चल रही कन्या भ्रूण हत्या को उजागर किया था।

आश्चर्य की बात तो ये कि इन सारे मामलों में सामने आए सोनोग्राफी सेंटर और डॉक्टरों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है बल्कि कई डॉक्टरों को पदोन्नति तक मिल गई। आमिर ने इस मामले में राजस्थान सरकार को इन मामलों की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट के जरिए करवाने के लिए चिठ्ठी लिखने का निर्णय लिया और जनता का समर्थन माँगा। समर्थन के एसएमएस से मिलने वाले पैसे को भी एक एनजीओ को देने की जानकारी दी गई।

निश्चित ही सास-बहू के झगड़ों, युवाओं को गाली देना सिखाने वाले सीरियलों और सनी लियोन को बुलाने वाले रियलिटी शो के दमघोंटू माहौल के बीच आमिर का ये प्रयास ताजी हवा का एक झोंका बनकर आया। एक ऐसे समय में जब केवल पत्रकारिता ही नहीं, समूचे मीडिया (जिसमें मनोरंजन चैनल भी शामिल हैं) और उसकी भूमिका को लेकर बहस हो रही है तब एक मनोरंजन चैनल पर एक सुपर सितारे द्वारा इस तरह सार्थक मुद्दे उठाने की कोशिश करना निश्चित ही सराहनीय है।

समाज पर मीडिया का गहरा प्रभाव है। लोग यदि सितारों कि सुनते हैं और मनोरंजन को तरजीह देते हैं तो वहीं से ही इन मुद्दों को लेकर झकझोरा जाना अच्छी पहल है। इस तरह समाज की सच्चाइयों से मुँह मोड़ कर मनोरंजन कि चादर से मुँह ढँक कर सोने की इजाजत किसी को नहीं मिल पाएगी।

सत्यमेव जयते अगर क्रांति नहीं भी कर पाया और इस चादर को खींच कर लोगों को उठ बैठने और सोचने के लिए मजबूर भी कर दे तो बड़ी बात होगी। ऐसे में उस मीडिया कि तरफ भी ध्यान जा पाएगा जो सतत पूरी गंभीरता से ऐसे मुद्दे उठा रहा है। आमिर ने ये भी बता दिया है कि आज देश को करोड़ों रुपए जीतने के सपने दिखाने के बजाय उस सच्चाई से रूबरू कराना ज्यादा जरूरी है जो कड़वी भी है और भयावह भी।

अमेरिका में भी ओप्रा विनफ्रे लोगों के दर्द और समाज कि सच्चाइयों को सामने लाकर पूरी दुनिया में मशहूर हो गईं। आमिर के इस कार्यक्रम को लेकर कई तरह की विवेचना और समीक्षा की जाती रहेगी। इसके व्यावसायिक पहलू पर भी अलग से चर्चा की जा सकती है, लेकिन आमिर खुद को पूरी संजीदगी के साथ अलग साबित करने में और करोड़ों टीवी दर्शकों को सोचने पर मजबूर करने में सफल तो हो ही गए हैं। अगले रविवार वे किस मुद्दे को उठाते हैं, इस बात का इंतजार रहेगा।

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