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आज मनेगी शब-ए-कद्र

27 रुपए देना होगा फितरा

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रमजान मुबारक का तीसरा असरा ढलान पर है। तीसरे असरे की 27वीं शब को शब-ए-कद्र के रूप में मनाया जाता है। इसी मुकद्दस रात में कुरआन भी मुकम्मल हुआ। रमजान के तीसरे असरे की पाँच पाक रातों में शब-ए-कद्र खोजा जाता है। ये इबादत की रात होती है। इसी दिन बड़ा रोजा रखा जाएगा और कुरान पूरे किए जाएँगे। जिन मस्जिदों में तरवीह की नमाज अदा की गई वहाँ कुरान हाफिजों का सम्मान किया जाएगा। साथ ही सभी मस्जिदों में नमाज अदा कराने वाले इमाम साहेबान का भी मस्जिद कमेटियों की तरफ से इनाम-इकराम देकर इस्तकबाल किया जाएगा। शबे कद्र को रात भर इबादत के बाद मुसलमान अपने रिश्तेदारों, अजीजो-अकारिब की कब्रों पर सुबह-सुबह फूल पेश कर फातिहा पढ़कर उनकी मगफिरत (मोक्ष) के लिए दुआएँ भी माँगेंगे।

इस रात में अल्लाह की इबादत करने वाले मोमिन के दर्जे बुलंद होते हैं। गुनाह बक्श दिए जाते हैं। दोजख की आग से निजात मिलती है। वैसे तो पूरे माहे रमजान में बरकतों और रहमतों की बारिश होती है। ये अल्लाह की रहमत का ही सिला है कि रमजान में एक नेकी के बदले 70 नेकियाँ नामे-आमाल में जुड़ जाती हैं, लेकिन शब-ए-कद्र की विशेष रात में इबादत, तिलावत और दुआएँ कुबूल व मकबूल होती हैं।

अल्लाह ताअला की बारगाह में रो-रोकर अपने गुनाहों की माफी तलब करने वालों के गुनाह माफ हो जाते हैं। इस रात खुदा ताअला नेक व जायज तमन्नाओं को पूरी फरमाता है। रमजान की विशेष नमाज तरावीह पढ़ाने वाले हाफिज साहबान इसी शब में कुरआन मुकम्मल करते हैं, जो तरावीह की नमाज अदा करने वालों को मुखाग्र सुनाया जाता है। इसके साथ घरों में कुरआन की तिलावत करने वाली मुस्लिम महिलाएँ भी कुरआन मुकम्मल करती हैं।

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रमजान का पवित्र महीना अपने आखिरी दौर में पहुँच चुका है। संभवतः ईद-उल-फितर 10 या 11 सितंबर को मनाई जाएगी। सोमवार रात को शबे कद्र होगी। इस रात को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। हालाँकि यह तय नहीं माना जाता कि रमजान में शबे कद्र कब होगी, लेकिन 26वाँ रोजा और 27वीं शब को शबे कद्र होने की संभावना जताई जाती है।

रमजान के पवित्र महीने में ईद से पहले हर व्यक्ति को 1 किलो 633 ग्राम गेंहू या उसकी कीमत के बराबर राशि गरीबों में वितरित करनी होती है। इसे फितरा कहते हैं। इस बार बाजार भाव के हिसाब से 1 किलो 633 ग्राम गेहूँ की कीमत 27 रुपए तय की गई है। फितरा हर पैसे वाले इंसान पर देना वाजिब है। नाबालिग बच्चों की ओर से उनके अभिभावकों को फितरा अदा करना होता है।

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