मुस्लिमों का पवित्र रमजान का महीना चल रहा है और इस बार रोजे गर्मी के मौसम में करीब 15 घंटे से अधिक के हो रहे हैं। चिकित्सकों की सलाह है कि दिल और मधुमेह के मरीज खासतौर पर सतर्क रहें और अपने चिकित्सक की सलाह के बिना रोजा न रखें, क्योंकि रोजे के दौरान 15 घंटे भूखे-प्यासे रहना पड़ेगा जो ऐसे लोगों के स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह हो सकता है।
रमजान के दौरान खास पकवानों (कुल्चा नेहारी, शीरमाल, कबाब और बिरयानी आदि) के प्रति उनकी दीवानगी और उनकी दवाओं के प्रति जरा भी लापरवाही उनके रोग को बढ़ा सकती है और उन्हें अस्पताल में भर्ती होने पर मजबूर कर सकती है। चिकित्सकों के अनुसार ऐसे मरीज रोजा तो रख सकते हैं लेकिन इस दौरान वे अपने डॉक्टर से लगातार सलाह मश्विरा करते रहें और खाने पीने के प्रति थोड़ी सावधानी बरतें।
लखनऊ के संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) के वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ प्रो. सुदीप कुमार ने कहा कि रमजान में अक्सर दिल के मरीज और मधुमेह पीड़ित लोग यह सवाल करते हैं कि क्या उन्हें रोजा रखना चाहिए।