Rangbhari Ekadashi 2022: फाल्गुन मास (Phalguna Month) के शुक्ल पक्ष की एकादशी को रंगभरी एकादशी कहते हैं। यह एकादशी होली के पूर्व आती है। होलिका दहन 17 मार्च की पूर्णिमा की रात में है और रंगभरी एकादशी 14 मार्च को रहेगी। मान्यता अनुसार इस दिन भगवान भोलेनाथ एवं माता पार्वती अपने गणों के साथ होली खेलते हैं।
होली के पूर्व एकादशी के दिन शिव और पार्वती रंग और गुलाल से होली खेलते हैं इसीलिए इसे रंगभरी एकादशी कहते हैं। आमलकी एकादशी के दिन भगवान शिव की नगरी काशी में उनका विशेष श्रृंगार पूजन होता है और उनको दूल्हे के रूप में सजाते हैं। इसके बाद बाबा विश्वनाथ जी के साथ माता पार्वती का गौना कराया जाता है। मान्यतानुसार इस दिन भगवान शिव माता पार्वती और अपने गणों के साथ रंग-गुलाल से होली खेलते हैं। यह दिन भगवान शिव और माता पार्वती के वैवाहिक जीवन से संबंध रखता है।
मान्यता के अनुसार फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी अर्थात महाशिवरात्रि पर शिव और पार्वती का विवाह हुआ था और फाल्गुन शुक्ल रंगभरी एकादशी के दिन भगवान शिव माता पार्वती को विवाह के बाद पहली बार काशी लेकर लाए थे। इस उपलक्ष्य में भोलेनाथ के गणों ने रंग-गुलाल उड़ाते हुए खुशियां मनाई थीं। तब से प्रति वर्ष रंगभरी एकादशी को काशी नगरी में बाबा विश्वनाथ रंग से होली खेलते हैं और माता गौरी का गौना कराया जाता है। इस दिन बाबा विश्वनाथ मां पार्वती के साथ नगर भ्रमण करते हैं और पूरा नगर लाल गुलाल से सरोबार हो जाता है।