Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

Devuthani Ekadashi 2021 : देवउठनी एकादशी व्रत-पूजन की सामान्य विधि

हमें फॉलो करें Devuthani Ekadashi 2021 : देवउठनी एकादशी व्रत-पूजन की सामान्य विधि
ब्रह्मा जी से नारद जी ने कहा कि भगवन! कार्तिक एकाद‍शी के व्रत की विधि हमसे कहिए और बताइए कि कैसा व्रत करना चाहिए। इस पर ब्रह्मा जी ने कहा कि ब्रह्म मुहूर्त में जब दो घड़ी रात्रि रह जाए तब उठकर शौचादि से निवृत्त होकर दंत-धावन आदि कर नदी, तालाब, कुआं, बावड़ी या घर में ही जैसा संभव हो स्नानादि करें, फिर भगवान की पूजा करके कथा सुनें। फिर व्रत का नियम ग्रहण करना चाहिए।
 
उस समय भगवान से प्रार्थना करें कि हे भगवन! आज मैं निराहार रहकर व्रत करूंगा। आप मेरी रक्षा कीजिए। दूसरे दिन द्वादशी को भोजन करूंगा। तत्पश्चात भक्तिभाव से व्रत करें तथा रात्रि को भगवान के आगे नृत्य, गीतादि करना चाहिए। कृपणता त्याग कर बहुत से फूलों, फल, अगर, धूप आदि से भगवान का पूजन करना चाहिए। शंखजल से भगवान को अर्घ्य दें। इसका समस्त तीर्थों से करोड़ गुना फल होता है।
 
जो मनुष्य अगस्त्य के पुष्प से भगवान का पूजन करते हैं उनके आगे इंद्र भी हाथ जोड़ता है। तपस्या करके संतुष्ट होने पर हरि भगवान जो नहीं करते, वह अगस्त्य के पुष्पों से भगवान को अलंकृत करने से करते हैं। जो कार्तिक मास में बिल्वपत्र से भगवान की पूजा करते हैं वे मुक्ति को प्राप्त होते हैं।
 
कार्तिक मास में जो तुलसी से भगवान का पूजन करते हैं, उनके दस हजार जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं। तुलसी दर्शन करने, स्पर्श करने, कथा कहने, नमस्कार करने, स्तुति करने, तुलसी रोपण, जल से सींचने और प्रतिदिन पूजन सेवा आदि करने से हजार करोड़ युगपर्यंत विष्णु लोक में निवास करते हैं। जो तुलसी का पौधा लगाते हैं, उनके कुंटुंब से उत्पन्न होने वाले प्रलयकाल तक विष्णुलोक में निवास करते हैं।
ALSO READ: देवउठनी एकादशी आज, जानिए शुभ मुहूर्त, महत्व, कथा और पूजन विधि एक साथ


webdunia

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

Dev Uthani Gyaras : तुलसी रोपण और विष्णु पूजन का महत्व जानकर आप चकित रह जाएंगे, जानिए हर पूजन के लाभ