Tulsi Vivah puja ka chowk kaise banate hain: कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन देव उठनी एकादशी का व्रत रखकर शाम को विष्णु पूजा के बाद तुलसी और शालिग्राम विवाह किया जाता है। इसके लिए चौकी बनाई जाती है। यह चौकी तुलसी माता के गमले के ठीक सामने या दाईं ओर स्थापित की जाती है, ताकि तुलसी विवाह की रस्में पूरी की जा सकें। इस चौकी का उपयोग शालिग्राम जी को स्थापित करने के लिए किया जाता है। चावल के आटे से चौक बनाया जाता है। चौक के बीच में भगवान विष्णु का चित्र या मूर्ति रखी जाती है। इसके साथ ही चौक से भगवान के चरण चिह्न भी बनाए जाते हैं, जो ढककर रखे जाते हैं। देवउठनी एकादशी पर चौकी तैयार करने की विधि इस प्रकार है। 
 
 			
 
 			
					
			        							
								
																	
	 
	देवउठनी एकादशी पर चौकी बनाने की विधि:-
	आवश्यक सामग्री:-
	चौकी या पाटा: लकड़ी की एक छोटी चौकी या पाटा (आसन)।
	लाल या पीला वस्त्र: चौकी पर बिछाने के लिए कपड़ा।
	गेरू या हल्दी: चौकी के स्थान पर लगाने के लिए (वैकल्पिक)।
	आटा या चावल का पेस्ट: अष्टदल कमल बनाने के लिए (वैकल्पिक)।
								
								
								
										
			        							
								
																	
	कलश: एक छोटा तांबे या मिट्टी का कलश।
	नारियल: एक पानी वाला नारियल।
	आम के पत्ते: 5 या 7 पत्ते।
	शालिग्राम जी: (भगवान विष्णु का प्रतीक) यदि उपलब्ध हों।
	फूल और माला: चौकी सजाने के लिए।
	 
	चौकी सजाने की चरण-दर-चरण विधि
	1. स्थान का चुनाव और सफाई
	स्थान: चौकी को तुलसी के गमले के पास, आंगन, पूजा घर या छत पर स्थापित करें।
	सफाई: उस स्थान को अच्छी तरह से साफ करें और गंगा जल छिड़ककर पवित्र करें।
	चौक पूरना: यदि संभव हो तो उस स्थान पर गेरू से चौकोर चौक या रंगोली बनाएं।
	 
	2. चौकी पर वस्त्र बिछाना: चौकी को अच्छी तरह पोंछकर साफ करें। इस पर लाल या पीला (शुभ) वस्त्र बिछाएँ। सुनिश्चित करें कि वस्त्र चारों ओर से थोड़ा लटका हुआ हो।
	 
	3. अष्टदल कमल बनाना: बिछे हुए वस्त्र के ऊपर, आटे या चावल के पेस्ट से अष्टदल कमल (आठ पंखुड़ियों वाला कमल) बनाएं। यह भगवान के आसन का प्रतीक है।
	 
	4. कलश स्थापना
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		अष्टदल कमल के ठीक मध्य में कलश स्थापित करें।
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		कलश पर स्वस्तिक (सातिया) बनाएं।
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		कलश के कंठ (गर्दन) पर मौली (कलावा) बांधें।
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		कलश में जल (या गंगाजल मिश्रित जल) भरें।
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		कलश के मुख पर आम के 5 या 7 पत्ते वृत्ताकार रूप में रखें।
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		पत्तों के ऊपर नारियल को लाल कपड़े या मौली से लपेटकर रखें।
	 
	5. शालिग्राम जी की स्थापना
	1. कलश के पास या सामने, चौकी के बीचों-बीच, शालिग्राम जी को स्थापित करें।
	2. शालिग्राम जी को पंचामृत से स्नान कराकर, पीला वस्त्र पहनाकर और चंदन का तिलक लगाकर उनका श्रृंगार करें।
	 
	6. मंडप तैयार करना (वैकल्पिक लेकिन महत्वपूर्ण):-
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		हालांकि मंडप तुलसी के गमले पर बनता है, चौकी को भी मंडप का हिस्सा बनाया जाता है।
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		चौकी और गमले के चारों ओर गन्ने के डंडों से एक छोटा मंडप या घेरा बनाएं।
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		इस मंडप को लाल चुनरी से ढक दें।
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		इस प्रकार, देवउठनी एकादशी के लिए शालिग्राम जी की चौकी तैयार हो जाती है, जो तुलसी माता के साथ उनके प्रतीकात्मक विवाह के लिए वर पक्ष का आसन बनती है।