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Dev uthani ekadasshi 2024: देव उठनी एकादशी का पारण समय क्या है?

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WD Feature Desk

, मंगलवार, 12 नवंबर 2024 (17:02 IST)
Dev uthani ekadashi paran time 2024: कार्तिक माह शुक्ल पक्ष की देव उठनी एकादशी के दिन देव उठ जाते हैं। इस बार यह देवउठनी एकादशी 12 नवंबर 2024 मंगलवार की है। देव उठनी एकादशी का व्रत रखने से सभी तरह के पाप नष्ट हो जाते हैं। चंद्र दोष, पितृ दोष, सर्प दोष और शनि दोष से मुक्ति मिलती है। कहते हैं कि देवोत्थान एकादशी का व्रत करने से हजार अश्वमेघ एवं सौ राजसूय यज्ञ का फल मिलता है। इस दिन निर्जल या केवल जलीय पदार्थों पर उपवास रखना चाहिए। यदि आपने व्रत रखा है जो जानिए कि कब करना चाहिए परायण या पारण यानी व्रत खोलना का समय।ALSO READ: dev uthani ekadashi katha 2004: देवप्रबोधिनी एकादशी की पौराणिक कथा
  • एकादशी तिथि प्रारम्भ- 11 नवम्बर 2024 को शाम 06:46 बजे से।
  • एकादशी तिथि समाप्त- 12 नवम्बर 2024 को शाम 04:04 बजे तक।
  • 13 नवंबर 2024 पारण (व्रत तोड़ने का) समय- सुबह 06:42 से 08:51 के बीच।
  • पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय- दोपहर 01:01 बजे।
देव उठनी एकादशी व्रत करने के फायदे:-
1. पाप हो जाते हैं नष्ट: एकादशी के व्रत से अशुभ संस्कार नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
 
2. चंद्र दोष: कुंडली में चंद्रमा के कमजोर होने की स्थिति में जल और फल खाकर या निर्जल एकादशी का उपवास जरूर रखना चाहिए। व्यक्ति यदि सभी एकादशियों में उपवास रखता है तो उसका चंद्र सही होकर मानसिक स्थिति भी सुधर जाती है।
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3. अश्वमेघ एवं राजसूय यज्ञ का फल: कहते हैं कि देवोत्थान एकादशी का व्रत करने से हजार अश्वमेघ एवं सौ राजसूय यज्ञ का फल मिलता है।ALSO READ: Tulsi vivah 2024: देवउठनी एकादशी पर तुलसी के साथ शालिग्राम का विवाह क्यों करते हैं?
 
4. पितृदोष से मुक्ति: पितृदोष से पीड़ित लोगों को इस दिन विधिवत व्रत करना चाहिए। पितरों के लिए यह उपवास करने से अधिक लाभ मिलता है जिससे उनके पितृ नरक के दुखों से छुटकारा पा सकते हैं।
 
5. भाग्य हो जाता जागृत: देवउठनी या प्रबोधिनी एकादशी का व्रत करने से भाग्य जागृत होता है।
 
6. धन और समृद्धि: पुराणों अनुसार जो व्यक्ति एकादशी करता रहता है वह जीवन में कभी भी संकटों से नहीं घिरता और उनके जीवन में धन और समृद्धि बनी रहती है।
 
7. कथा श्रवण या वाचन: इस दिन व्रत रखकर देवउठनी एकादशी की पौराणिक कथा का श्रवण या वाचन करना चाहिए। कथा सुनने या कहने से पुण्य की प्राप्ति होती है।ALSO 
 
8. तुलसी पूजा: इस दिन शालीग्राम के साथ तुलसी का आध्यात्मिक विवाह देव उठनी एकादशी को होता है। इस दिन तुलसी की पूजा का महत्व है। तुलसी दल अकाल मृत्यु से बचाता है। शालीग्राम और तुलसी की पूजा से पितृदोष का शमन होता है।
 
9. विष्णु पूजा: इस दिन भगवान विष्णु या अपने इष्ट-देव की उपासना करना चाहिए। इस दिन "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः "मंत्र का जाप करने से लाभ मिलता है।

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