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सावन मास की कामिका एकादशी कब है? जानिए महत्व, शुभ मुहूर्त, कथा और व्रत पारण का समय

हमें फॉलो करें सावन मास की कामिका एकादशी कब है? जानिए महत्व, शुभ मुहूर्त, कथा और व्रत पारण का समय
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार सभी एकादशी व्रतों में से कामिका एकादशी को भगवान श्रीहरि विष्णु का सबसे उत्तम व्रत माना जाता है, क्योकि यह व्रत भगवान शिव के पवित्र मास श्रावण में आता है। इस दिन श्रीहरि विष्णुजी का पूजन और उपवास करके आप अपने कष्टों से मुक्त हो सकते हैं। 
 
इस वर्ष 4 अगस्त 2021, बुधवार को कामिका एकादशी मनाई जा रही है। इस दिन व्रत रखा जाएगा और उसी दिन भगवान विष्णु की विधि​पूर्वक पूजा की जाएगी। कामिका एकादशी के दिन तुलसी पत्ते का प्रयोग भी बेहद लाभकारी माना जाता है। अत: एकादशी पूजन में तुलसी का प्रयोग अवश्य करें। इस साल कामिका एकादशी व्रत में सर्वार्थ सिद्धि योग में रखा जाएगा। 
 
महत्व- श्रावण कृष्ण पक्ष में आने वाली इस एकादशी को कामिका एकादशी कहते है। इस एकादशी की कथा एक समय स्वयं ब्रह्माजी ने देवर्षि नारद से कही थी। इसको सुनने मात्र से वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है। इस दिन शंख, चक्र, गदाधारी विष्णु भगवान का पूजन होता है, जिनके नाम श्रीधर, हरि, विष्णु, माधव, मधुसूदन हैं। उनकी पूजा करने से जो फल मिलता है सो सुनो। जो फल गंगा, काशी, नैमिषारण्य और पुष्कर स्नान से मिलता है, वह विष्णु भगवान के पूजन से मिलता है। जो फल सूर्य व चंद्र ग्रहण पर कुरुक्षेत्र और काशी में स्नान करने से, समुद्र, वन सहित पृथ्वी दान करने से, सिंह राशि के बृहस्पति में गोदावरी और गंडकी नदी में स्नान से भी प्राप्त नहीं होता वह भगवान विष्णु के पूजन से मिलता है।
 
जो मनुष्य श्रावण में भगवान का पूजन करते हैं, उनसे देवता, गंधर्व और सूर्य आदि सब पूजित हो जाते हैं। अत: पापों से डरने वाले मनुष्यों को कामिका एकादशी का व्रत और विष्णु भगवान का पूजन अवश्यमेव करना चाहिए। पापरूपी कीचड़ में फंसे हुए और संसाररूपी समुद्र में डूबे मनुष्यों के लिए इस एकादशी का व्रत और भगवान विष्णु का पूजन अत्यंत आवश्यक है। इससे बढ़कर पापों के नाशों का कोई उपाय नहीं है।
 
स्वयं भगवान ने यही कहा है कि कामिका व्रत से जीव कुयोनि को प्राप्त नहीं होता। जो मनुष्य इस एकादशी के दिन भक्तिपूर्वक तुलसी दल भगवान विष्णु को अर्पण करते हैं, वे इस संसार के समस्त पापों से दूर रहते हैं। विष्णु भगवान रत्न, मोती, मणि तथा आभूषण आदि से इतने प्रसन्न नहीं होते जितने तुलसी दल से।
 
तुलसी दल पूजन का फल चार भार चांदी और एक भार स्वर्ण के दान के बराबर होता है। हे नारद! मैं स्वयं भगवान की अतिप्रिय तुलसी को सदैव नमस्कार करता हूं। तुलसी के पौधे को सींचने से मनुष्य की सब यातनाएं नष्ट हो जाती हैं। दर्शन मात्र से सब पाप नष्ट हो जाते हैं और स्पर्श से मनुष्य पवित्र हो जाता है। कामिका एकादशी पूजन के मुहूर्त और पारण का समय इस प्रकार रहेगा। अत: एकादशी पूजन में तुलसी का प्रयोग अवश्य करें। कामिका एकादशी पूजन के मुहूर्त और पारण का समय इस प्रकार रहेगा। आइए जानें...
 
कामिका एकादशी 2021 मुहूर्त-  
 
हिंदू पंचांग के अनुसार, श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 03 अगस्त 2021, दिन मंगलवार को दोपहर 12.59 मिनट से प्रारंभ होकर उसका समापन 4 अगस्त, बुधवार को दोपहर 3.17 मिनट पर होगा। उदया तिथि के अनुसार, इस वर्ष कामिका एकादशी व्रत 4 अगस्त 2021 को रखा जाएगा। 
 
कामिका एकादशी के दिन 4 अगस्त 2021, बुधवार को सुबह 05.44 मिनट से अगले दिन 05 अगस्त को सुबह 04.25 मिनट तक सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा। इस बार इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है। अत: कामिका एकादशी व्रत इस वर्ष सर्वार्थ सिद्धि योग में रखा जाएगा। इस समयावधि में आप व्रत-पूजन और पारण करके एकादशी व्रत का लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
 
पारण का समय-
 
कामिका एकादशी व्रत का पारण 05 अगस्त, गुरुवार के दिन किया जाएगा। व्रत का पारण सुबह 05.45 मिनट से सुबह 08.26 मिनट के बीच कभी भी कर सकते हैं। द्वादशी तिथि का समापन शाम को 05.09 मिनट पर होगा।
 
कथा- 
 
कथा के अनुसार प्राचीन काल में किसी गांव में एक ठाकुर जी थे। क्रोधी ठाकुर का एक ब्राह्मण से झगडा़ हो गया और क्रोध में आकर ठाकुर से ब्राह्मण का खून हो जाता है। अत: अपने अपराध की क्षमा याचना हेतु ब्राह्मण की क्रिया उसने करनी चाही, परंतु पंडितों ने उसे क्रिया में शामिल होने से मना कर दिया और वह ब्रह्म हत्या का दोषी बन गया। परिणामस्वरूप ब्राह्मणों ने भोजन करने से इंकार कर दिया।
 
तब उन्होंने एक मुनि से निवेदन किया कि- हे भगवान, मेरा पाप कैसे दूर हो सकता है, इस पर मुनि ने उसे कामिका एकादशी व्रत करने की प्रेरणा दी। ठाकुर ने वैसा ही किया जैसा मुनि ने उसे करने को कहा था। जब रात्रि में भगवान की मूर्ति के पास वह शयन कर रहा था, तभी उसे स्वप्न में प्रभु दर्शन देते हैं और उसके पापों को दूर करके उसे क्षमा दान देते हैं।
 
कामिका एकादशी की रात्रि को दीपदान तथा जागरण के फल का माहात्म्य चित्रगुप्त भी नहीं कह सकते। जो इस एकादशी की रात्रि को भगवान के मंदिर में दीपक जलाते हैं उनके पितर स्वर्गलोक में अमृतपान करते हैं तथा जो घी या तेल का दीपक जलाते हैं, वे सौ करोड़ दीपकों से प्रकाशित होकर सूर्य लोक को जाते हैं।
 
ब्रह्माजी कहते हैं कि हे नारद! कामिका एकादशी के व्रत का माहात्म्य श्रद्धा से सुनने और पढ़ने वाला मनुष्य सभी पापों से मुक्त होकर विष्णु लोक को जाता है। ब्रह्म हत्या तथा भ्रूण हत्या आदि पापों को नष्ट करने वाली इस कामिका एकादशी का व्रत मनुष्य को यत्न के साथ करना चाहिए।


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