How to observe Kamika Ekadashi fast: प्रतिवर्ष श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की ग्यारहवीं तिथि पर पड़ने वाली एकादशी को कामिका एकादशी के नाम से जाना जाता है। यह भगवान विष्णु को समर्पित एकादशी है और इसका व्रत रखना अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है, खासकर जब यह सावन के महीने में पड़े। माना जाता है कि भगवान विष्णु तुलसी दल से सर्वाधिक प्रसन्न होते हैं। अत: एकादशी पर तुलसी दल अर्पित करना ना भूलें।
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार कामिका एकादशी का व्रत रखने से भक्तों को कई प्रकार के लाभ मिलते हैं:
कामिका एकादशी का व्रत कैसे करें:
पौराणिक शास्त्रों के अनुसार कामिका एकादशी व्रत दशमी तिथि यानी व्रत के एक दिन पहले से ही शुरू हो जाता है और द्वादशी तिथि यानी व्रत के अगले दिन को पारण के साथ समाप्त होता है।
1. व्रत के एक दिन पहले अर्थात् दशमी तिथि के दिन सात्विक भोजन करें।
- प्याज, लहसुन, मांस-मदिरा, अंडा आदि का सेवन न करें।
- मन और तन से पवित्रता बनाए रखें।
काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार से बचें।
2. व्रत के दिन यानी एकादशी तिथि पर सुबह उठकर संकल्प लें। ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। पूजा स्थल को साफ कर भगवान विष्णु के सामने हाथ में जल लेकर व्रत का संकल्प लें कि आप इसे निर्विघ्न पूरा करेंगे।
- भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। उन्हें गंगाजल से अभिषेक कराएं। पीले चंदन, पीले फूल, फल, पंचामृत यानी दूध, दही, घी, शहद, शकर का मिश्रण और विशेष रूप से तुलसी दल अर्पित करें।
- मंत्र- 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' का अधिक से अधिक जाप करें। विष्णु सहस्त्रनाम या भागवत कथा का पाठ भी कर सकते हैं।
- आप अपनी क्षमतानुसार निर्जला यानी बिना जल और अन्न के या फलाहारी व्रत रख सकते हैं।
फलाहारी के रूप में आप फल, दूध, दही, छाछ, जूस और व्रत में खाई जाने वाली चीजें जैसे- साबूदाना, कुट्टू का आटा, सिंघाड़े का आटा, आलू, शकरकंद, पनीर, मखाने आदि का सेवन कर सकते हैं।
- इस व्रत में सामान्य नमक वर्जित है, अत: केवल सेंधा नमक का ही प्रयोग करें।
- इस दिन अनाज जैसे चावल, गेहूं, दालें, प्याज, लहसुन, मांस, अंडे, शराब, चाय, कॉफी और किसी भी प्रकार का तामसिक भोजन बिल्कुल न खाएं। ये सब वर्जित माने गये हैं।
- यदि संभव हो तो रात्रि जागरण/ रात में जागरण कर भगवान विष्णु के भजन-कीर्तन करें।
3. द्वादशी तिथि पर व्रत का पारण करें- अपनी सामर्थ्य अनुसार ब्राह्मणों या जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र या धन का दान करें। तिल का दान विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
- द्वादशी तिथि को सूर्योदय के बाद और निश्चित पारण मुहूर्त के भीतर व्रत का पारण करें।
- पारण के लिए सबसे पहले कुछ सात्विक भोजन यानी अनाज ले सकते हैं, उसे ग्रहण करें।
- व्रत के दौरान किसी भी प्रकार की गलती के लिए भगवान विष्णु से क्षमा याचना करें।
1. समस्त पापों का नाश: यह व्रत व्यक्ति के जाने-अनजाने में किए गए सभी पापों को नष्ट करने की शक्ति रखता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह ब्रह्महत्या जैसे महापापों से भी मुक्ति दिला सकता है।
2. मोक्ष की प्राप्ति: कामिका एकादशी का व्रत रखने वाले को नर्क के कष्टों से मुक्ति मिलती है और अंततः मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह सीधे भगवान विष्णु के लोक यानी वैकुंठ में स्थान दिलाने वाला माना जाता है।
3. पितृ दोष से मुक्ति: इस एकादशी पर तिल का दान करना और व्रत रखना पितरों को शांति प्रदान करता है और पितृ दोष को शांत करने में सहायक होता है।
4. वाजपेय यज्ञ के समान फल: धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, कामिका एकादशी की कथा सुनने मात्र से ही वाजपेय यज्ञ के समान पुण्य फल प्राप्त होता है। व्रत का पालन करने पर यह फल और भी कई गुना बढ़ जाता है।
5. सुख-समृद्धि और आरोग्य: भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा से घर में सुख-शांति, धन-धान्य और समृद्धि आती है। यह व्रत शारीरिक और मानसिक शुद्धि भी प्रदान करता है, जिससे आरोग्य की प्राप्ति होती है।
6. नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति: यह व्रत मन को शांत करता है, भय, चिंता और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है, जिससे जीवन में सकारात्मकता आती है।
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