आश्विन माह के शुक्ल पक्ष को पापांकुशा एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस बार अश्विन माह में चार एकादशियां रही। पहली 13 सितंबर को इंदिरा एकादशी, दूसरी 27 सितंबर को कमला एकादशी, तीसरी 13 अक्टूबर को पुरुषोत्तमी एकादशी और चौथी 27 अक्टूबर को है पापांकुशा एकादशी। पापांकुशा एकादशी का नाम पापों को हरने के कारण रखा गया है।
1. पापांकुशा एकादशी के दिन विष्णु के पद्मनाभ रूप की पूजा की जाती है। इस व्रत से सभी प्रकारों के पापों से मुक्ति मिलती है।
2. जो व्यक्ति इस एकादशी की रात में जग कर कीर्तन भजन करता है वह स्वर्ग का अधिकारी बनता है। इस दिन व्रत रखने से पुण्य फलों की प्राप्ति होती है और स्वर्ग का मार्ग प्रशस्त होता है।
3. पापांकुशा एकादशी का विधि विधान से व्रत और पारण किए जाने से शरीर तथा आत्मा शुद्ध रहते हैं। यह एकादशी अपार धन, समृद्धि और सुख देती है।
4. शास्त्रों के अनुसार पापांकुशा एकादशी एक हजार अश्वमेघ तथा सौ सूर्ययज्ञ करने के समान फल प्रदान करने वाली होती है।
5. इस दिन जो व्यक्ति सुवर्ण, जल, तिल, भूमि, अन्न, गौ, जूते तथा छाते का दान करता है, उसे यमराज का सामना नहीं करना पड़ता है।