Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

Papmochani ekadashi 2024 : पापमोचनी एकादशी व्रत पूजा विधि और पारण का समय

हमें फॉलो करें Papmochani ekadashi 2024 : पापमोचनी एकादशी व्रत पूजा विधि और पारण का समय

WD Feature Desk

, मंगलवार, 2 अप्रैल 2024 (13:07 IST)
HIGHLIGHTS
 
• पापमोचिनी एकादशी की पूजा विधि।
• पापमोचिनी एकादशी पर पारण का समय कब है।
Papmochani Ekadashi : वर्ष 2024 में 05 अप्रैल, दिन शुक्रवार को पापमोचिनी एकादशी व्रत किया जा रहा है। कैलेंडर के मतांतर के चलते यह 4 और 5 अप्रैल को मनाई जाने की संभावना है। हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार इस दिन जगत के पालनहार भगवान श्री विष्णु तथा माता लक्ष्मी का पूजन करने का विशेष महत्व है।

प्रतिवर्ष यह एकादशी चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पर पड़ती है, जिसे पापमोचनी एकादशी के नाम से जाना जाता हैं, जो कि जन्म-जन्मांतर में किए गए सारे पाप नष्ट करने में सक्षम हैं। मान्यतानुसार पापमोचनी एकादशी व्रत करने से व्यक्ति को समस्त पापों से मुक्ति मिलती है तथा मोक्ष मिलता है।
 
आइए यहां जानते हैं पापमोचनी एकादशी पूजा विधि और पारण का समय- 
 
इस वर्ष चैत्र कृष्ण एकादशी तिथि का प्रारंभ- 04 अप्रैल 2024, दिन गुरुवार को 07:44 ए एम से हो रहा है तथा एकादशी तिथि की समाप्ति दिन शुक्रवार, 05 अप्रैल, 2024 को 04:58 ए एम पर होगी। उदयातिथि के अनुसार 05 अप्रैल को पापमोचनी एकादशी मनाई जाएगी।  
 
पापमोचिनी एकादशी पर पारण का समय : 
 
एकादशी पारण/ व्रत तोड़ने का समय- 05 अप्रैल 12:43 पी एम से 03:07 पी एम तक।
पारण के दिन हरि वासर समाप्त होने का समय- 10:11 ए एम पर।
 
इसी तरह 05 अप्रैल 2024, शुक्रवार के दिन गौण पापमोचिनी एकादशी व्रत का पारण समय निम्नानुसार है- 
गौण एकादशी पारण या व्रत तोड़ने का समय- 06 अप्रैल को 05:32 ए एम से 07:56 ए एम तक। 
आपको बता दें कि पारण के दिन द्वादशी का समापन सूर्योदय के पूर्व ही हो जाएगा।
 
पूजा विधि : Puja Vidhi 2024
 
- चैत्र मास के कृष्ण पक्ष एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्‍नान के बाद पीले वस्त्र धारण करके व्रत का संकल्‍प लें।
- घर के मंदिर में पूजा करने से पहले वेदी बनाकर 7 अनाज उड़द, मूंग, गेहूं, चना, जौ, चावल और बाजरा आदि रखें।
- वेदी के ऊपर कलश की स्‍थापना करें और उसमें आम या अशोक के 5 पत्ते लगाएं।
- अब भगवान श्री विष्‍णु की मूर्ति या तस्‍वीर स्थापित करें और पीले फूल, ऋतु फल और तुलसी दल समर्पित करें।
- फिर धूप-दीप से विष्‍णु की आरती उतारें।
- शाम के समय भगवान विष्‍णु की आरती उतारने के बाद फलाहार ग्रहण करें।
- इस दिन रात्रि शयन न करें, बल्‍कि भजन-कीर्तन करते हुए जागरण करें।
- द्वादशी तिथि पर पारण से पहले ब्राह्मण तथा असहाय को भोजन कराएं, तथा दान-दक्षिणा दें।
- तत्पश्चात स्वयं पारण करें।
 
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।


Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

Dasha Mata Vrat 2024 Kab Hai: दशा माता व्रत 2024 कब है?