सफला एकादशी कब है? जानिए 11 बड़ी बातें
इस साल की अंतिम एकादशी 19 दिसंबर 2022 को पड़ रही है, जिसे सफला एकादशी (Saphala ekadashi 2022) के नाम से जाना जाता है। पौष मास के कृष्ण पक्ष की यह एकादशी अपने नाम की तरह ही हर कार्य में सफल करने वाली मानी जाती गई है।
आइए जानते हैं इस एकादशी की 11 खास बातें-
1. सफला एकादशी व्रत सभी एकादशियों में सर्वश्रेष्ठ माना गया है। पौष मास के कृष्ण पक्ष में यह एकादशी पड़ती है, इस एकादशी के देवता श्री नारायण हैं।
2. धार्मिक मान्यता के अनुसार जिस प्रकार ग्रहों में चंद्रमा, नागों में शेषनाग, यज्ञों में अश्वमेध यज्ञ, पक्षियों में गरूड़, देवताओं में श्री विष्णु श्रेष्ठ हैं, उसी प्रकार सभी व्रतों में यह एकादशी श्रेष्ठ मानी गई है।
3. मान्यतानुसार इस एकादशी का व्रत करने से जीवन के सारे कार्य और सभी मनोरथ सफल होते हैं।
4. धार्मिक शास्त्रों के अनुसार सफला एकादशी के व्रत के समान दान, यज्ञ, तीर्थ और तप तथा कोई दूसरा व्रत भी नहीं है।
5. इस दिन भगवान श्री विष्णु के साथ धन की देवी माता लक्ष्मी का पूजन विधि-विधान से करने से वे प्रसन्न होकर व्रतधारी को जीवन की सभी खुशियां, सुख-समृद्धि, ऐश्वर्य का वरदान देते हैं और सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
6. यह परम पवित्र सफला एकादशी अंत समय में वैकुंठ दिलाने वाली तथा परिवार को हर कष्ट से मुक्ति दिलाने वाली मानी गई है। इस दिन श्री विष्णु-लक्ष्मी जी की आरती, मंत्र, सहस्त्रनाम, स्तोत्र, कथा आदि का पूरे मनोभाव से पाठ करना चाहिए।
7. जो मनुष्य अत्यंत पवित्र इस सफला एकादशी का व्रत नहीं करता है, वो पूंछ और सींगों से रहित पशुओं के समान माना जाता हैं।
8. सफला एकादशी के माहात्म्य तथा व्रत कथा को पढ़ने अथवा सुनने मात्र से अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है और जाने-अनजाने में हुए पाप कर्म दूर होकर वैकुठ में स्थान मिलता है।
9. सफला एकादशी के श्री नारायण की पूजा के लिए नारियल, नीबू, नैवेद्य, ऋतु फल आदि 16 वस्तुओं को एकत्रित करके इस सामग्री से विष्णु जी का पूजन करने तथा रात्रि जागरण करने से सभी तरह के पापों, संकट से मुक्ति मिलने के साथ ही जीवन में खुशियों का संचार होता है।
10. सफला एकादशी व्रत इतना अधिक खास माना गया है कि पांच हजार वर्षों की तपस्या से जो फल मिलता है, उससे भी अधिक फल इस एकादशी को करने से मिलता है। इससे सभी दुखों का नाश होता है।
11. एकादशी के दिन किसी की चुगली करने, झूठ और छल-कपट जैसे विचार रखने, किसी का अहित करने तथा छल-कपट से किसी का अधिकार छिनने से श्री विष्णु नाराज होते हैं तथा इस व्रत का अच्छा फल नहीं मिलता है।
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