गुजरात के चुनावी घमासान के अंतिम चरण में पहुँचने के साथ ही वर्ष 2002 के दंगों के केंद्र में रहे गोधरा विधानसभा क्षेत्र में जीत कांग्रेस और भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गई है।
भाजपा के वरिष्ठ नेता ने कहा चुनाव में शामिल हर व्यक्ति गोधरा पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। इस सीट को जीतना सिर्फ संख्या बढ़ाना नहीं बल्कि आन की बात है। हम इस सीट पर हार बर्दाश्त नहीं कर सकते।
कांग्रेस के लिए भी यहां की जीत कम महत्व नहीं रखती। पंचमहल जिला कांग्रेस कमेटी के महासचिव अजितसिंह एस. भाटी ने कहा हिंदुत्व की तेज लहर में भाजपा ने पिछली बार यह सीट जीत ली थी। उस समय गोधरा भाजपा के लिए साख का प्रश्न बन गया था, लेकिन अब यहाँ किसी तरह की हार बुराई पर अच्छाई जीत की तरह होगी।
जीत सुनिश्चित करने के लिए भाजपा ने वर्तमान विधायक हरेश भट्ट की जगह कलोल के विधायक प्रभातसिंह चौहान को गोधरा से मैदान में उतारा है। चौहान की छवि मुसलमानों के बीच भी बेहतर है। गोधरा में बड़ी संख्या में मुस्लिम मतदाता हैं।
कांग्रेस ने सीके राउलजी को चुनाव मैदान में उतारा है। मजे की बात है कि 1992 में दोनों प्रत्याशी आमने-सामने थे, लेकिन दोनों की पार्टियाँ अब बदल गई हैं। तब राउलजी भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे और चौहान को मात दी थी।