Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment
Candidate Name भूपेश बघेल
State Chhattisgarh
Party Congress
Constituency Patan
Candidate Current Position CM

Bhupesh Baghel Biography in Hindi : राजनीतिक सफर : कांग्रेस नेता भूपेश बघेल वर्तमान में छत्‍तीसगढ के मुख्‍यमंत्री हैं।

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को फर्श से अर्श तक पहुंचाने भूपेश बघेल का खासा योगदान है। 17 दिसंबर 2018 को उन्‍होंने राज्य के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।

माना जा रहा है कि कांग्रेस छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 जीतने पर भूपेश बघेल इस बार फिर से राज्य के सीएम बन सकते हैं।
 
उपलब्‍धि : छत्तीसगढ़ में पिछले 15 वर्षों से सत्तासीन रही भाजपा की सरकार को बेदखल किया और सत्ता की चाबी कांग्रेस के हाथों आ गई।

राज्य में जीत के लिए तरस रही कांग्रेस को 68 सीटों पर जीत दिलाने में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल की बड़ी भूमिका रही।

बाद में वे सीएम बने। 57 वर्षीय भूपेश बघेल ने ऐसे समय पर कांग्रेस का राजनीतिक वनवास दूर किया है, जब 5 साल पहले एक भीषण नक्सली हमले में राज्य कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व का सफाया हो गया था।

राज्य में अन्य पिछड़ा वर्ग के अंतर्गत आने वाला कुर्मी समुदाय प्रभावशाली माना जाता है। राज्य की कुल आबादी में इस समुदाय की हिस्सेदारी 14 फीसदी है।

भूपेश बघेल राज्य के इसी बहुसंख्यक अन्य पिछड़ा वर्ग के कुर्मी समाज से आते हैं, जो राज्य की राजनीति में काफी दखल रखता है।
 
छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार के दौरान भूपेश लगातार विवादों में रहे, लेकिन जनता की नजर में कांग्रेस में वे एकमात्र ऐसे नेता हैं जिन्होंने सरकार के खिलाफ और खासकर तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह के खिलाफ मोर्चा खोला था।

वर्ष 2013 में जब छत्तीसगढ़ में विधानसभा का चुनाव होना था, तब कांग्रेस की कमान नंद कुमार पटेल के हाथ में थी। पटेल को कांग्रेस का तेज-तर्रार नेता माना जाता था।
 
पटेल ने जनता के मत को भांपकर परिवर्तन यात्रा शुरू की थी। इस यात्रा के दौरान 25 मई 2013 को जीरम घाटी में नक्सली हमले में पटेल समेत कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं की मृत्यु हो गई।

ऐसे में जब कांग्रेस की प्रथम पंक्ति मारी जा चुकी थी और राज्य में भाजपा ने एक बार फिर से सरकार बना ली थी, तब दिसंबर 2013 में कांग्रेस आलाकमान ने प्रदेश कांग्रेस की जिम्मेदारी बघेल को सौंपी थी।

यह ऐसा समय था, जब कांग्रेस के कार्यकर्ता निराश थे। वर्ष 2014 में जब लोकसभा का चुनाव हुआ, तब कांग्रेस को यहां लाभ नहीं हुआ और मोदी लहर के कारण कांग्रेस यहां 11 में से 10 सीटों पर हार गई।
 
लेकिन इसके बावजूद कांग्रेस आलाकमान ने भूपेश बघेल पर भरोसा जताया और 5 वर्ष तक वे लगातार मेहनत करते रहे। भूपेश के सामने इस दौरान पार्टी के भीतर ही सबसे बड़ी चुनौती थी।

यह चुनौती थी उनके पुराने प्रतिद्वंद्वी पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी। राज्य निर्माण के बाद जब यहां अजीत जोगी के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनी तब भूपेश राजस्व मंत्री बनाए गए।

जोगी और बघेल के मध्य विवाद होता रहा। वर्ष 2013 में भूपेश के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद जोगी ने इनका सबसे अधिक विरोध किया था।
 
जब वर्ष 2015-16 में अंतागढ़ उपचुनाव को लेकर कथित सीडी का मामला हुआ तब अजीत जोगी के पुत्र अमित जोगी को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।

इसे भूपेश बघेल की बड़ी जीत के रूप में देखा गया। बाद में अजीत जोगी ने जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के नाम से नई का पार्टी का गठन कर लिया। भूपेश बघेल इस पार्टी को हमेशा भाजपा की 'बी' टीम कहते रहे हैं।
 
जोगी पिता-पुत्र के पार्टी से बाहर जाने के बाद भी भूपेश बघेल के लिए परेशानी कम नहीं हुई और वे लगातार अपने ही विधायकों और नेताओं से लड़ते रहे।

हालांकि इस दौरान राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी का साथ भी उन्हें मिलता रहा। इधर सरकार के मुखर विरोधी होने के कारण भूपेश बघेल को कठिनाई का सामना करना पड़ा।

बघेल, उनकी पत्नी और मां के खिलाफ आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा में मामला दर्ज हुआ, तब बघेल परिवार समेत गिरफ्तारी देने इस शाखा के दफ्तर में पहुंच गए।
 
बघेल लगातार राज्य सरकार के खिलाफ पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को लेकर आंदोलन करते रहे। वे भ्रष्टाचार, चिटफंड कंपनी और किसानों के मुद्दे उठाते रहे और पीडीएस घोटाले को लेकर मुख्यमंत्री रमन सिंह और उनके परिवार पर लगातार निशाना साधते रहे। इस दौरान उन्होंने पनामा पेपर का मामला उठाया और मुख्यमंत्री के सांसद पुत्र को भी घेरने की कोशिश की।
 
इस बीच विवादों ने उनका पीछा नहीं छोड़ा। पिछले वर्ष जब राज्य के लोक निर्माण विभाग के तत्कालीन मंत्री राजेश मूणत का कथित अश्लील सीडी का मामला सामने आया, तब वे पत्रकार विनोद वर्मा के साथ खड़े हो गए। वर्मा को राज्य की पुलिस ने सीडी मामले में गाजियाबाद से गिरफ्तार किया था।

इस मामले में भूपेश बघेल के खिलाफ भी अपराध दर्ज हुआ और मामला सीबीआई को सौंप दिया गया। मामला जब अदालत में पहुंचा, तब बघेल ने जमानत नहीं लेकर जेल जाना पसंद किया। उन्होंने जनता को यह बताने की कोशिश की कि सरकार के खिलाफ लड़ाई की वजह से वे जेल भेजे गए हैं।
 
राज्य में भूपेश बघेल की छवि कांग्रेस के तेज-तर्रार नेता की है जिन्होंने नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव के साथ मिलकर लगातार हार के कारण निराश संगठन में फिर से नई जान फूंकी।

बघेल का जन्म 23 अगस्त 1961 में दुर्ग जिले के संभ्रांत किसान परिवार में हुआ। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 80 के दशक में की थी। वे लगातार कांग्रेस के कार्यक्रमों और आंदालनों में शामिल होते रहे।
 
बघेल के कार्यों को देखकर पार्टी ने वर्ष 1993 में उन्हें टिकट दिया और वे पाटन विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीत गए। बाद में वे 1998 और 2003 में भी क्षेत्र से विधायक रहे। वर्ष 2008 में वे चुनाव हार गए थे। इस चुनाव में भाजपा के विजय बघेल ने उन्हें हराया था। हार के बाद बघेल को वर्ष 2009 में रायपुर लोकसभा सीट से पार्टी ने उम्मीदवार बनाया लेकिन वे रमेश बैस से चुनाव हार गए। बघेल पर पार्टी ने एक बार फिर भरोसा जताया और वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में उन्हें जीत मिली।
 
वर्ष 2013 में प्रदेश कांग्रेस की कमान मिलने के बाद भूपेश बघेल ने पार्टी को एकजुट किया और सरकार के खिलाफ भी मोर्चा खोला। राज्य सरकार और उनके खास अधिकारियों पर हमलों के कारण बघेल को परेशानी का सामना करना पड़ा लेकिन इससे पार्टी के कार्यकर्ता एकजुट हो गए।

इस एकजुटता का ही परिणाम है कि लंबे अंतराल के बाद कांग्रेस की सत्ता में वापसी हो सकी। इसका श्रेय भूपेश बघेल को जाता है।
 
पारिवारिक पृष्‍ठभूमि : भूपेश बघेल के पिता का नाम नंद कुमार बघेल और माता का नाम बिंदेश्‍वरी बघेल है। उनका जन्‍म दुर्ग मध्‍यप्रदेश (अब छत्‍तीसगढ) में हुआ। उनकी पत्‍नी का नाम मुक्‍तिश्‍वरी देवी से हुआ। उनके चार बच्‍चे हैं।
 
जन्‍म : 23 अगस्‍त 1961 को भूपेश बघेल का जन्‍म हुआ।
 
शिक्षा : भूपेश बघेल पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर से पोस्‍ट ग्रेजुएट हैं।