Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

इक पेड़ जो घबराकर रोया तो बहुत रोया

हमें फॉलो करें इक पेड़ जो घबराकर रोया तो बहुत रोया
अजय अज्ञात 
 
हाथों में कुल्हाड़ी को देखा तो बहुत रोया
इक पेड़ जो घबराकर रोया तो बहुत रोया
जब पेड़ नहीं होंगे तो नीड़ कहां होंगे
इक डाल के पंछी ने सोचा तो बहुत रोया

 
दम घुटता है सांसों का जियें तो जियें कैसे...
इंसान ने सेहत को खोया तो बहुत रोया
जाने यह मिलाते हैं क्या ज़हर सा मिट्टी में
इक खिलता बगीचा जब उजड़ा तो बहुत रोया
हंसता हुआ आया था जो दरिया पहाड़ों से
अज्ञात वह नगरों से गुजरा तो बहुत रोया... 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

घोंघे के दिमाग से अब समझदार बनेगा रोबोट