पर्यावरण दिवस, पर्यावरण के प्रति वैश्विक स्तर पर राजनैतिक और सामाजिक जागृति लाने के लिए मनाया जाता है। इसकी शुरुआत 1972 में 5 जून से 16 जून तक संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा आयोजित विश्व पर्यावरण सम्मेलन से स्टॉकहोम, स्वीडन हुई। 119 देशों ने मिलकर एक ही पृथ्वी के सिद्धांत को लेकर पर्यावरण दिवस की शुरुआत की।
लेकिन वर्तमान हालातों पर नजर डालें तो -
बढ़ रहा है धरती का तापमान...
कट रहे हैं घने जंगल...
लुप्त हो रही हैं प्रजातियां...
प्रदूषित हो रहा है पर्यावरण...
जल रही है पृथ्वी ....
तप रहा है आसमान...
पिघल रहे हैं हिमालय....
जी हां, यदि ऐसा ही होता रहा तो एक दिन -
न रहेंगी प्रजातियां...
न बचेंगे जंगल...
न होगी हरियाली
और न होगी वर्षा।
यदि ऐसा ही होता रहा...
तो नहीं होगा जल
और ना होगा जीवन...
और न रहेंगे हम...,
क्योंकि धरती का तापमान लगातार बढ़ रहा है। पर्यावरण में बढ़ता प्रदूषण कैसे कर रहा है आपको प्रभावित, आइए हम बताते हैं
दरअसल, पृथ्वी के सभी प्राणी एक-दूसरे पर निर्भर हैं तथा विश्व का प्रत्येक पदार्थ एक-दूसरे से प्रभावित होता है इसलिए और भी आवश्यक हो जाता है कि प्रकृति की इन सभी वस्तुओं के बीच आवश्यक संतुलन को बनाए रखा जाए।
लेकिन ऐसा नहीं होने की स्थिति में पर्यावरण प्रदूषण, भूमि प्रदूषण, जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है। नतीजतन मानव और अन्य जीवों के पास न तो लेने के लिए शुद्ध प्राणवायु है, न स्वच्छ जल और न ही वह मृदा जिस पर उगे अनाज से मनुष्य अपना पोषण कर सके।
और इसके साथ ही बढ़ रहा है मानव जीवन के भी प्रदूषित होने का खतरा भी। इन सबके उपायों के तौर पर सरकार या संस्थाओं के अलावा हम सभी को अपने स्तर पर पर्यावरण का संरक्षण करना होगा, ताकि प्रकृति शुद्ध और हम स्वस्थ रह सकें। आइए जानें कैसे -
प्रत्येक व्यक्ति प्रति वर्ष यादगार अवसरों (जन्मदिन, विवाह की वर्षगांठ) पर अपने घर, मंदिर या ऐसे स्थल पर फलदार अथवा औषधीय पौधारोपण करें, जहां उसकी देखभाल हो सके।
1 जितना हो सके, पौधारोपण करें।
2 उपहार में भी सबको पौधे दें।
3 कार्यालयों में कार्यरत् समस्तजन राष्ट्रीय पर्व व महत्वपूर्ण तिथियों पर पौधे रोपें।
4 विद्यार्थी एक संस्था में जितने वर्ष अध्ययन करते हैं, उतने पौधे वहां लगाएं और जीवित भी रखें।
5 अपने आसपास कचरा और गंदगी न होने दें।
6 प्रत्येक गांव-शहर व हर-मुहल्ले व कॉलोनी में पर्यावरण संरक्षण समिति बनाई जाए।
7 जल व्यर्थ न बहाएं। गाड़ी धोने या पौधों को पानी देने में इस्तेमाल किए गए पानी का प्रयोग करें।
8 अनावश्यक बिजली की बत्ती जलती न छोड़ें।
9 पॉलिथीन का उपयोग न करें। कचरा कूड़ेदान में ही डालें।
10 अपना मकान बनवा रहे हों तो उसमें वर्षा के जल-संरक्षण और उद्यान के लिए जगह अवश्य रखें।