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लाल किताब और पेड़ों का महत्व

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अनिरुद्ध जोशी

लाल किताब के अनुसार हमारे जीवन में पेड़े, पौधे या वृक्षों का बहुत अधिक महत्व होता है। यदि यह घर की उचित दिशा में नहीं लगे हैं तो यह आप पर सकारात्मक प्रभाव भी डालते हैं और नकारात्मक भी। दूसरा यह कि आपकी कुंडली के अनुसार यदि उचित पौधे नहीं लगे हैं तो भी यह आपने लिए नुकसान दायक हो सकते हैं। आजो जानते हैं लाल किताब में पेड़ों का महत्व।
 
 
सूर्य : सूर्य का वृक्ष तेजफल का वृक्ष होता है। कुंडली में सूर्य जिस भाव में बैठा है, उस भाव की ओर घर से बाहर या अंदर तेज फल का वृक्ष लगाना शुभ फलदायी होता है। शुक्र, राहु और शनि के वृक्ष इसके आसपास नहीं होना चाहिए। इसके अलावा पर्वतों पर उगने वाले पौधे, मिर्च, काली मिर्च, शलज़म, सूर्यमुखी का फूल, सरसों, गेहूं और विल्वमूल की जड़ पर भी सूर्य का अधिकार होता है।
 
चंद्र : पोस्त का हरा पौधा, जिसमें दूध हो या सभी दूध वाले वृक्ष या पौधे चंद्र के हैं। चंद्र यदि कुंडली में जिस भाव में बैठा हो तो उस भाव की दिशा अनुसार ऐसा पौधे लगाने चाहिए, लेकिन दूध वाले पौधे लगाने के लिए किसी वास्तु शास्त्री से संपर्क जरूर करें। चंद्र के पौधे या वृक्ष के साथ शनि, राहु और केतु के वृक्ष नहीं लगाना चाहिए। इसके अलावा खोपरा, ठंडे पदार्थ, रसीले फल, चावल, खिरनी की जड़ और सब्जियों पर भी चंद्र का अधिकार रहता है।
 
मंगल : नीम का पेड़ साक्षात मंगल है। मंगल की दिशा दक्षिण है अत: नीम का वृक्ष कुंडली में मंगल की स्थित जानकर लगाना चाहिए और रोज उसमें जल चढ़ाते रहना चाहिए। नीम का पेड़ रोग और शोक दूर कर देता है। बुध, शुक्र, शनि, राहु और केतु के वृक्ष इस वृक्ष के आसपास नहीं होना चाहिए। वर्ना मंगल खराब हो जाएगा। इसके अलावा नुकीले वृक्ष, बरगद, अदरक, अनाज, जिन्सें, तुअर दाल, मूंगफली और अनंतमूल की जड़ पर मंगल का अधिकार रहता है।
 
बुध : केला, चौड़े पत्ते के पौधे या वृक्ष बुध के कारक है। यदि यह वृक्ष आपके घर के आसपास है तो किसी वास्तु शास्त्री या लाल किताब के विशेषज्ञ से संपर्क करें क्योंकि इसकी दिशा सही होना चाहिए। बुध को भी पूर्वदिशा का स्वामी माना जाता है। कुंडली में किस भाव में बुध बैठा है यह उस मान से तय होगा कि ये वृक्ष कहां लगाएं। बुध के वृक्ष या पौधों के साथ चंद्र के पौधे नहीं होना चाहिए। इसके अलावा आंधीझाड़ा की झाड़ी, विधारा की जड़, नर्म फसल, मूंग दाल, हरे मुंग की दाल और बैंगन पर भी बुध का अधिकार होता है।
 
गुरु : गुरु अर्थात बृहस्पति साक्षात रूप में पीपल का वृक्ष है। कुंडली में बृहस्पति शुभ हो और जिस भाव में बैठा है, मकान के उस हिस्से में या उस दिशा की ओर पीपल का वृक्ष लगाना शुभ माना जाता है। पीपल के पास शुक्र, बुध, शनि, केतु और राहु के वृक्ष नहीं होना चाहिए। इसके अलावा केले के वृक्ष, भारंगी/केले की जड़, खड़ी फसल, बंगाली चना और गांठों वाले पादप से जुड़े पौधे पर भी गुरु का अधिकार होता है।
 
शुक्र : कपास का पौधा और मनी प्लांट शुक्र का कारक है। कोई भी जमीन पर आगे बढ़ने वाली लेटी हुई बेल शुक्र की कारक है। यदि शुक्र खराब है तो घर में मनी प्लांट लगाएं। शुक्र अच्छा है तो भी लगाएं। शुक्र कच्ची भूमि का कारण है और आजकल घर में कच्ची भू‍मी नहीं होती है। ऐसे में मनी प्लांट लगाना जरूरी हो जाता है। शुक्र के पौधों के पास कभी भी सूर्य, चंद्र, मंगल, गुरु और राहु के पौधे या वृक्ष न लगाएं। इसके अलावा फलदार वृक्ष, फूलदार पौधे, गुलर, मटर, बींस, पहाड़ी पादप, मेवे पैदा करने वाले पादप और लताओं पर भी शुक्र का अधिकार होता है।
 
शनि : शमी, कीकर, आम और खजूर का वृक्ष शनि का कारक है। इनमें से शमी के वृक्ष को छोड़कर कोई सा भी वृक्ष नहीं लगाना चाहिए। वायव दिशा शनि की होती है। शमी के वृक्ष को भी कुंडली की स्थिति जानकर ही उचित दिशा में लगाना चाहिए। इसके अलावा पादपों में जहरीले और कांटेदार पौधे, खारी सब्जियां, बिच्छोल की जड़ और तम्बाकू पर भी शनि का अधिकार होता है।
 
राहु : नारियल का पेड़, चंदन का पेड़, कुत्ता घास, कैक्टस और कांटे वाले सभी वृक्ष या पौधे राहु के कारक हैं। चंदन एवं नारियल के पेड़ को छोड़कर इन्हें घर में या आसपास कभी भी लगाना चाहिए। नारियल का पेड़ लगा है तो सूर्य, मंगल और चंद्र के पौधे या वृक्ष उसके आसपास नहीं होना चाहिए। नारियल यदि वास्तु अनुसार घर की उचित दिशा में लगा है तो ही शुभ फल देगा। इसके अलावा लहसुन, काले चने, काबुली चने और मसले पैदा करने वाले पौधों पर राहु और केतु का अधिकार होता है।
 
केतु : इमली का दरख्त, तिल के पौधे और केला केतु के कारक है। यदि केतु खराब हो तो इन पौधों को घर के आसपास लगाना घर के मालिक के बेटे के लिए अशुभ फल का कारक हो जाता है, क्योंकि कुंडली में केतु हमारे बेटे का कारक भी है। अत: इन वृक्षों को घर के आसपास न लगाएं। केतु की दिशा वायव्य है। केले का वृक्ष लगा है तो उसके पास मंगल और चंद्र के वृक्ष नहीं लगे होना चाहिए। इसके अलावा अश्वगंधा, लहसुन, काले चने, काबुली चने और मसले पैदा करने वाले पौधों पर राहु और केतु का अधिकार होता है।
 
वृक्ष के अन्य नियम : घर के पूर्व में बरगद, पश्चिम में पीपल, उत्तर में पाकड़ और दक्षिण में गूलर का वृक्ष शुभ होता है किंतु ये घर की सीमा में नहीं होना चाहिए। घर के उत्तर एवं पूर्व क्षेत्र में कम ऊंचाई के पौधे लगाने चाहिए। पौधारोपण उत्तरा, स्वाति, हस्त, रोहिणी एवं मूल नक्षत्रों में करना चाहिए। ऐसा करने पर रोपण निष्फल नहीं होता।
 
घर के दक्षिण एवं पश्चिम क्षेत्र में ऊंचे वृक्ष (नारियल अशोकादि) लगाने चाहिए। इससे शुभता बढ़ती है। जिस घर की सीमा में निगुंडी का पौधा होता है वहां गृह कलह नहीं होती। जिस घर में एक बिल्व का वृक्ष लगा होता है उस घर में लक्ष्मी का वास बतलाया गया है। जिस व्यक्ति को उत्तम संतान एवं सुख देने वाले पुत्र की कामना हो, उसे पलाश का पेड़ लगाना चाहिए। तुलसी का पौधा घर की सीमा में शुभ होता है।
 
घर के द्वार और चौखट में भूलकर भी आम और बबूल की लकड़ी का उपयोग न करें। कोई भी पौधा घर के मुख्य द्वार के सामने न रोपें। इससे जहां द्वार भेद होता है वहीं बच्चों के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल असर पड़ता।
 
बांस का पौधा रोपना अशुभ होता है। जामुन और अमरूद को छोड़कर फलदार वृक्ष भवन की सीमा में नहीं होने चाहिए। इससे बच्चों का स्वास्थ्य खराब होता है। आवासीय परिसर में दूध वाले वृक्ष लगाने से धनहानि होती है। महुआ, पीपल, बरगद घर के बाहर होना चाहिए। केवड़ा और चंपा को लगा सकते हैं। बैर, पाकड़, बबूल, गूलर आदि कांटेदार पेड़ घर में दुश्मनी पैदा करते हैं। इनमें जति और गुलाब अपवाद हैं। घर में कैक्टस के पौधे नहीं लगाएं।

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