भोपाल। राजधानी भोपाल के बैरसियां तहसील स्थित इस्लामनगर अब अपने पुराने नाम जगदीशपुर के नाम से फिर से पहचाना जाने लगेगा। सरकार ने इस्लाम नगर का नाम जगदीशपुर करने का गजट नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया। इस्लाम नगर का नाम जगदीशपुर करने पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मुझे यह बताते हुए प्रसन्नता है कि इस्लाम नगर का नाम अब पुनः जगदीशपुर हो गया है। जो उसका प्राचीन और ऐतिहासिक नाम था।
आखिरी प्राचीन और ऐतिहासिक स्थल जगदीशपुर कैसे इस्लाम नगर बन गया था और अब इस्लाम नगर फिर क्यों जगदीशपुर बना, यह सवाल भी लोगों के मन में है। 'वेबदुनिया' पर पढ़ें इस्लाम नगर के जगदीशपुर बनने की पूरी कहानी।
जगदीशपुर कैसे बना था इस्लाम नगर?-पुरातत्वविद् पूजा सक्सेना कहती है कि जगदीशपुर में 11वीं सदी के परमार कालीन मंदिर के पत्थर और मूर्तिया मिलती हैं। सम्भव है कि यहां परमार काल में यहां मंदिर रहे होंगे। परमारों के उपरांत यह क्षेत्र गढ़ा-मण्डला जबलपुर के गोंड राजा संग्राम शाह के बावन गढ़ों में से एक था, इसलिए यहां पर एक गोंड महल भी है। गोंड प्रशासन के उपरान्त यह गढ़ अथवा किला देवड़ा राजपूतों द्वारा शासित था।
सन् 1715 में दोस्त मोहम्मद खान ने जगदीशपुर पर आक्रमण किया। किन्तु उसे सफलता नहीं मिली। तब उसने षड़यंत्रपूर्वक बेस नदी के किनारे सहभोज के लिए बुलाया। जब सभी राजपूत मेहमान रात्रिभोज कर रहे थे तभी तम्बू की रस्स्यिां काट दी गयीं और सभी राजपूतों को हलाल कर दिया गया। कहते हैं कि इतना खून बहा कि नदी का पानी लाल हो गया और तभी से यह नदी हलाली के नाम से जाने जाने लगी। इस तरह धोखे से जगदीसपुर पर दोस्त मोहम्मद ने कब्जा कर लिया और उसका नाम बदलकर इस्लामनगर कर दिया।
बैरसिया पर भी किया था कब्जा-दोस्त मोहम्मद अफगनिस्तान के खैबर के तीराह का रहने वाला था। 1696 में वह उत्तरप्रदेश के जलालाबाद आ गया। वह इतना क्रोधी स्वभाव का था कि उसने छोटी बात पर हुए झगड़े में अपने को शरण देने वाले अमीर जलाल खान के दामाद को सरेआर मार डाला। वहां से भागकर वह करनाल और फिर दिल्ली चला गया। यहां मुगल सेना में भर्ती हो गया। मुगल और मराठा युद्ध के चलते वह 1703 में मालवा आ गया। यहां उसने अपने हथियार आदि विदिशा के शासक मोहम्मद फारूख के पास जमा कर दिया और थोड़़े से झगड़े के बाद उसकी भी हत्या कर दी।
इसके बाद वह मंगलगढ़ में शरण पाने में सफल हो गया और वहां के महाराज-महारानी के साथ महल में रहने लगा। तभी महाराज की मृत्यु हो जाने पर दोस्त मोहम्मद ने मंगलगढ़ को भी लूट लिया और सारा खजाना लेकर बैरसिया आ गया। यहां भी अपने स्वभाव के अनुरूप यहां के सूबेदार ताज मोहम्मद से पहले तो बैरसिया लीज पर लिया और बाद में उसे भी धोखा देकर बैरसिया पर कब्जा जमा लिया।
इस्लामनगर से अब फिर जगदीशपुर?-इस्लामनगर का नाम जगदीशपुर करने की मांग बीते कई दशकों से हो रही थी। गुरुवार को सरकार ने इस्लाम नगर का नाम जगदीशपुर करने का गजट नोटिफिकेशन जारी कर दिया। इस्लामनगर का नाम बदलने की मुहिम कई दशक पुरानी है और स्थानीय लोगों के साथ भाजपा से जुड़े जनप्रतिनिधि लंबे समय से नाम बदलने की मांग कर रहे थे। भाजपा विधायक रामेश्वर शर्मा कहते हैं कि स्थानीय लोगों ने कभी जगदीशुप को इस्लाम नगर नहीं माना। वहां पर प्राचीन जगदीशपुर का मंदिर भी था और गांव जगदीशपुर के नाम से जाना जाता था। स्थानीय लोग दोस्त मोहम्मद खान की दोगलाई नीति को समय-समय पर उजागर करते रहे और नाम बदलने की मांग करते रहे।
मध्यप्रदेश में जब पिछले सालों में शिवराज सरकार में नाम बदलने का सिलसिला शुरु किया तब इस्लाम नगर का नाम बताने की मुहिम ने तेजी पकड़ी। स्थानीय भाजपा विधायक विष्णु खत्री ने खुद इस मामले में पहल कर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सामने इस पूरे मुद्दें को रखा। खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कई मौकों पर इससे सहमत दिखे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 2021 हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम रानी कमलापति के नाम पर रखकर नाम बदलने से इसकी शुरुआत की।
इसके बाद राजधानी के ऐतिहासिक मिंटो हाल का नाम खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कुशाभाऊ ठाकरे हाल करने का एलान कर दिया था। वहीं इंदौर के पातालपानी रेलवे स्टेशन का नाम टंट्या मामा, इंदौर के भंवरकुआं चौराहे और एमआर टेन बस अड्डा का नामकरण भी टंट्या मामा के नाम से कर दिया गया। वहीं मंडला के महिला पॉलिटेक्निक का नाम रानी फूलकुंवर के नाम पर होगा तो मंडला की कंप्यूटर सेंटर और लाइब्रेरी भी अब शंकर शाह ओर रघुनाथ शाह के नाम पर जानी जायेगी। वहीं भोपाल से सटे होशंगाबाद का नाम नर्मदापुरम और बाबई का नाम माखन नगर करने का फैसला भी सरकार ने किया।