नए कृषि कानून को लेकर सड़क से लेकर संसद तक हंगामा मचा हुआ है। कानूनों की वापसी की मांग को लेकर विरोध कर रहे किसानों के आंदोलन को 70 दिन पूरे हो गए हैं लेकिन बीच का रास्ता नहीं निकलता दिखाई दे रहा है। सरकार और किसानों के बीच वार्ता बंद होने के बाद अब पूरेे मामले में सियासी एंट्री भी हो गई है। मंगलवार को संसद के दोनों सदनों में नए कृषि कानून और किसान आंदोलन का मुद्दा जोर शोर से उठा और विपक्ष ने सदन को नहीं चलने दिया। लोकसभा में कांग्रेस की ओर से इस पूरे मुद्दें पर स्थगन प्रस्ताव पेश कर चर्चा की मांग की गई है।
5 लेयर बैरिकेडिंग से अभेद दुर्ग में बदली दिल्ली !- दिल्ली की सीमाओं पर पिछले 70 दिन से विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों के 6 फरवरी को चक्काजाम एलान के बाद अब पूरी दिल्ली को अभेद दुर्ग में बदल दिया गया है। विरोध स्थलों पर दिल्ली पुलिस ने सुरक्षा के लिए पांच स्तरीय बैरिकेडिंग की है। जिसमें पहली लेयर में फ्रंट लाइन पर सीमेंट बैरिकेडिंग, सुरक्षाबलों के जवानों की तैनात किया गया है तो सड़कों पर कांटेदार तार की बाड़, खाइयाँ और कीलें भी लगाई गई है।
इसके साथ गाजीपुर बॉर्डर पर सीमेंट और लोहे की बड़ी बैरिकेडिंग लगाई गई है। इसके साथ किसानों को आगे बढ़ने से रोकने के लिए बड़े ट्रक ट्रॉलियों को भी सड़क पर खड़ा किया गया है। दिल्ली बॉर्डर की सुरक्षा के लिए कांटेदार तार की बाड़ और दिल्ली पुलिस, सीआरपीएफ और आईटीबीपी के जवान भी तैनात हैं।
दिल्ली के पुलिस कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव ने दिल्ली की सीमाओं पर विरोध स्थलों पर भारी बैरिकेडिंग के बारे में कहा कि "हमने सिर्फ बैरिकेडिंग को मजबूत किया है ताकि यह फिर से टूट न जाए।"। वहीं दिल्ली की सीमा को अभेद दुर्ग बदलने पर संयुक्त किसान मोर्चा ने आपत्ति जताते हुए इसकी तुलना पाकिस्तान और चीन की सीमा पर होने वाली सुरक्षा व्यवस्था से की की है। मोर्चे का कहना है कि देश के किसान, नागरिक और अन्नादता के खिलाफ की गई व्यवस्था है, वो किसान जो शांति से दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में विरोध करने के अपने अधिकार का प्रयोग कर रहे हैं।
उधर हरियाणा सरकार ने 3 फरवरी को शाम 5 बजे तक कैथल, पानीपत, जींद, रोहतक, चरखी दादरी, सोनीपत और झज्जर में वॉयस कॉल को छोड़कर इंटरनेट, बल्क एसएमएस सेवाओं और सभी डोंगल सेवाओं आदि पर प्रतिबंध बढ़ा दिया है।
कानून सहायता के लिए हेल्प डेस्क- उधऱ संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से 26 जनवरी की हिंसा के बाद गिरफ्तार लोगों के परिवारों और जिन्हें कानूनी सहायता की आवश्यकता है, उनके लिए सिंघू बॉर्डर पर कानूनी सहायता डेस्क स्थापित की गई है। वहीं दिल्ली हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें सभी व्यक्तियों को रिहा करने के लिए एक निर्देश देने की मांग की गई थी,जिन्हें कथित तौर पर सिंघू, टिकरी और गाजीपुर सीमाओं के आसपास 26 जनवरी के बाद अवैध हिरासत में रखा गया है।