रामपुर (उत्तरप्रदेश)। विदेश में शादी के बाद 27 वर्षीय नवरीतसिंह अपने रिश्तेदारों और दोस्तों को दावत देने के लिए हाल में ऑस्ट्रेलिया से उत्तरप्रदेश के रामपुर जिले में स्थित अपने घर आए थे। बुधवार को बिलासपुर क्षेत्र के डिबडिबा गांव में उनके घर लोग तो जमा हुए, लेकिन वे जश्न नहीं मातम में शरीक होने पहुंचे।
राष्ट्रीय राजधानी में नए कृषि कानूनों के खिलाफ ट्रैक्टर परेड में शामिल 27 वर्षीय किसान की मौत उनका ट्रैक्टर पलटने के बाद उसके नीचे दबने से हो गई थी। घटना के समय वे मध्य दिल्ली के आईटीओ पर एक पुलिस अवरोधक को तोड़ने की कोशिश कर रहे थे।
एक पुलिस अधिकारी ने पीटीआई को बताया कि शव को मंगलवार रात रामपुर लाया गया और बाद में पोस्टमार्टम किया गया। उनके परिवार के सदस्यों ने बताया कि नवरीत ऑस्ट्रेलिया में अपनी शादी की दावत देने के लिए पैतृक स्थान आए थे।
अपने करीबी रिश्तेदारों की बातें मानते हुए सिंह गणतंत्र दिवस के दिन परेड में हिस्सा लेने आए और सोशल मीडिया पर कुछ ऐसे वीडियो सामने आए हैं, जिनमें वे तेज गति से ट्रैक्टर चलाते हुए दिखते हैं।
दिल्ली पुलिस ने मंगलवार को बताया कि ट्रैक्टर से पीले रंग के पुलिस अवरोधक को धकेलने की कोशिश की जा रही थी तभी वाहन पलट गया और नवरीत इसके नीचे दब गए। गांव में नवरीत के एक पड़ोसी ने कहा कि हम परेड में हिस्सा लेने के लिए साथ आए थे लेकिन कभी सोचा नहीं था कि ऐसा हो जाएगा।
घटना के बाद ऐसी अफवाह भी उड़ी कि नवरीत की मौत पुलिस की गोली से हुई लेकिन दिल्ली पुलिस ने इससे इंकार करते हुए कहा कि सीसीटीवी फुटेज में कहीं भो गोली चलने की पुष्टि नहीं होती है।
सैंकड़ों लोग बुधवार को शोक संतप्त परिवार को सांत्वना देने पहुंचे। अंतिम संस्कार से पहले शव को डिबडिबा गांव में रखा गया। रामपुर जिले में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है और वरिष्ठ अधिकारी कानून-व्यवस्था की समीक्षा करने के लिए मौजूद हैं।
पुलिस अधिकारी ने बताया कि बरेली जोन के एडीजी अविनाशचंद्र ने रामपुर के एसपी शगुन गौतम के साथ जिले के बिलासपुर क्षेत्र का निरीक्षण किया और कानून-व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा की। वहां के कर्मियों को जरूरी निर्देश दिए गए हैं।
शोक संतप्त परिवार ने नवरीत को शहीद बताते हुए कहा कि नवरीत उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए ऑस्ट्रेलिया गए थे और हाल में वहीं उनकी शादी हुई थी। वे शादी की दावत देने यहां आया थे।
मंगलवार को इस घटना के बाद प्रदर्शन कर रहे किसानों ने शव को तिरंगे में लपेटकर आईटीओ क्रॉसिंग पर रखा और पुलिस को इसे पोस्टमार्टम के लिए ले जाने की इजाजत नहीं दी। वे जल्द से जल्द शव को गांव ले जाने पर अड़े रहे और इस घटना की रिपोर्टिंग कर रहे मीडियाकर्मियों पर भी बरस पड़े।
इस घटना पर दिल्ली के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि कुछ किसान सुरक्षाकर्मियों को धक्का देने के लिए लापरवाही और तेजी से वाहन चला रहे थे। उन्होंने कहा कि हमने ट्रैक्टर को अवरोधक से टकराते देखा। हमारे कर्मी जब उसे बचाने को दौड़े तो किसानों के समूह ने उन्हें रोक दिया। हालांकि किसानों ने पुलिस के बयानों को खारिज किया है और दावा किया है कि नवरीत की मौत पुलिस की गोली लगने से हुई।
किसान ने आरोप लगाया कि पुलिस ने नवरीत पर आंसू गैस के गोले दागे, जिसमें से एक उसके सिर में लगा और वे वाहन से अपना नियंत्रण खो बैठा। पुलिस ने उसकी मदद तक नहीं की।
नवरीत के पड़ोसी ने कहा कि इस पूरे मामले की विस्तृत जांच की जरूरत है क्योंकि एक चश्मदीद के मुताबिक एक पुलिसकर्मी ने आंसू गैस का एक गोला नवरीत के सिर पर दागा, जिसकी वजह से वे अपना नियंत्रण खो बैठे और ट्रैक्टर पलट गया। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि ट्रैक्टर गाजीपुर सीमा से चले समूह का हिस्सा था और यह समूह मंगलवार को तय रास्ते से हटकर दूसरे रास्ते पर निकल गया। (भाषा) (प्रतीकात्मक चित्र)