नई दिल्ली/हैदराबाद/मुंबई। विपक्षी दलों समेत कई क्षेत्रीय संगठनों ने केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठनों द्वारा 8 दिसंबर को किए गए भारत बंद के आह्वान को रविवार को अपना समर्थन दिया। इन कानूनों को निरस्त किए जाने की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन पिछले 11 दिन से जारी है।
विपक्ष हुआ लामबंद : कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख शरद पवार, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी, द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के प्रमुख एमके स्टालिन तथा गुपकर घोषणापत्र गठबंधन (पीएजीडी) के अध्यक्ष फारुक अब्दुल्ला समेत प्रमुख विपक्षी नेताओं ने रविवार को एक संयुक्त बयान जारी कर किसान संगठनों द्वारा बुलाए गए भारत बंद का समर्थन किया और केंद्र पर प्रदर्शनकारियों की वैध मांगों को मानने के लिए दबाव बनाया।
सरकार और प्रदर्शनकारी किसानों के बीच शनिवार को 5वें दौर की बातचीत भी बेनतीजा रही थी। इसके बाद केंद्र ने गतिरोध समाप्त करने के लिए 9 दिसंबर को एक और बैठक बुलाई है।
किसान नेता बलदेव सिंह यादव ने में कहा कि यह आंदोलन केवल पंजाब के किसानों का नहीं है, बल्कि पूरे देश का है। हम अपने आंदोलन को मजबूत करने जा रहे हैं और यह पहले ही पूरे देश में फैल चुका है।
उन्होंने सभी से बंद को शांतिपूर्ण बनाना सुनिश्चित करने की अपील करते हुए कहा कि चूंकि सरकार हमारे साथ ठीक से व्यवहार नहीं कर रही थी, इसलिए हमने भारत बंद का आह्वान किया।
उन्होंने कहा कि हम किसी को भी इसे हिंसक बनाने की अनुमति नहीं देंगे। हम सभी से बंद में शामिल होने का अनुरोध करते हैं।
किसान नेताओं ने कहा कि बंद के दौरान दुकानें और व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रहेंगे। एंबुलेंस और अन्य आपात सेवाओं को छूट दी गई है।
कांग्रेस, टीआरएस, द्रमुक, शिवसेना, सपा, राकांपा और आप ने केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठनों के भारत बंद के आह्वान के प्रति अपना समर्थन जताया।
इन विपक्षी पार्टियों से पहले शनिवार को तृणमूल कांग्रेस, राजद और वाम दलों ने भी बंद का समर्थन किया था। 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने भी बंद का समर्थन किया है।
राकांपा प्रमुख और पूर्व केन्द्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने रविवार को केंद्र से कहा कि वे किसानों के प्रदर्शन को गंभीरता से ले क्योंकि यदि गतिरोध जारी रहता है तो आंदोलन केवल दिल्ली तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि देशभर से लोग कृषकों के साथ खड़े हो जाएंगे।
पवार ने कहा कि मुझे उम्मीद है कि सरकार को समझ आएगी और वह मुद्दे के समाधान के लिए इसका संज्ञान लेगी। यदि यह गतिरोध जारी रहता है तो प्रदर्शन दिल्ली तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि देशभर से लोग प्रदर्शनकारी किसानों के साथ खड़े हो जाएंगे।
उनकी पार्टी ने कहा कि पवार का किसानों के चल रहे प्रदर्शन को लेकर 9 दिसम्बर को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलने का भी कार्यक्रम है। कांग्रेस ने भारत बंद के प्रति पूरा समर्थन जताया और घोषणा की कि इस दिन वे किसानों की मांगों के समर्थन में सभी जिला एवं राज्य मुख्यालयों में प्रदर्शन करेगी।
दिल्ली में पार्टी मुख्यालय में प्रवक्ता पवन खेड़ा ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि मैं यहां घोषणा करना चाहता हूं कि कांग्रेस 8 दिसंबर को होने वाले भारत बंद को पूरा समर्थन देती है। उन्होंने कहा कि पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ट्रैक्टर रैलियों, हस्ताक्षर अभियानों और किसान रैलियों के जरिए किसानों के पक्ष में पार्टी की आवाज बुलंद कर रहे हैं।
खेड़ा ने कहा कि हमारे सभी जिला मुख्यालय एवं प्रदेश मुख्यालयों के कार्यकर्ता इस बंद में हिस्सा लेंगे। वे प्रदर्शन करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि बंद सफल रहे।
मुक्केबाजी में भारत के पहले ओलंपिक पदक विजेता और कांग्रेस नेता विजेंदर सिंह ने चेतावनी दी कि अगर केंद्र सरकार नए कृषि कानून के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन कर रहे किसानों की मांग स्वीकार नहीं करती है तो वे राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार लौटा देंगे। उन्होंने नए कानून को काला कानून करार दिया।
तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के अध्यक्ष और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने कहा कि पार्टी के नेता और कार्यकर्ता इसमें सक्रियता से शामिल होकर बंद को सफल कराएंगे।
एक आधिकारिक बयान के अनुसार राव ने समर्थन को सही ठहराया है और कहा है कि किसान वैध तरीके से कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं।
उन्होंने यह भी दोहराया कि उनकी पार्टी ने संसद में इन कानून से जुड़े विधेयकों का विरोध किया था क्योंकि इससे किसानों के हितों को नुकसान पहुंचता है।
तमिलनाडु में द्रमुक नीत विपक्षी खेमे ने 8 दिसंबर को किसानों द्वारा आहूत भारत बंद के प्रति समर्थन जताया और कहा कि कृषि कानूनों को वापस लेने की किसानों की मांग पूरी तरह से जायज है।
द्रमुक प्रमुख एमके स्टालिन ने राज्य के किसान संघों, व्यवसायी संगठनों, सरकारी कर्मचारियों के संगठनों, मजदूर संघों तथा अन्य से बंद को भरपूर समर्थन देने और मंगलवार के बंद को सफल बनाने की अपील की।
स्टालिन, द्रमुक के सहयोगी दलों कांग्रेस के तमिलनाडु इकाई के प्रमुख केएस अलागिरी, एमडीएमके के संस्थापक वाइको और वाम नेताओं ने बयान में कहा कि दिल्ली के बाहर किसानों का प्रदर्शन दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है और पूरी दुनिया की इस पर नजर है। इन दलों ने किसानों द्वारा की जा रही कानूनों को वापस लेने की मांग नहीं मानने पर केंद्र की निंदा की।
अभिनेता कमल हासन की मक्कल नीधि मय्यम (एमएनएम) ने भी किसानों के प्रदर्शनों को समर्थन दिया है।
सोनिया गांधी और अन्य विपक्षी नेताओं ने अपने संयुक्त बयान में कहा है कि राजनीतिक दलों के हम दस्तखत करने वाले नेतागण देशभर के विभिन्न किसान संगठनों द्वारा आयोजित भारतीय किसानों के जबर्दस्त संघर्ष के साथ एकजुटता प्रकट करते हैं और इन कृषि कानूनों एवं बिजली संशोधन विधेयक को वापस लेने की मांग को लेकर उनके द्वारा 8 दिंसबर को किए गए भारत बंद के आह्वान का समर्थन करते हैं।
इस बयान पर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव, समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के महासचिव डी. राजा, भाकपा (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य, ऑल इंडिया फारवार्ड ब्लॉक (एआईएफबी) के महासचिव देवव्रत विश्वास और आरएसपी के महासचिव मनोज भट्टाचार्य ने भी दस्तखत किए हैं।
बयान में आरोप लगाया गया है कि संसद में ठोस चर्चा और मतदान पर रोक लगाते हुए अलोकतांत्रिक तरीके से पारित किए गए ये नए कृषि कानून भारत की खाद्य सुरक्षा, भारतीय कृषि एवं हमारे किसानों की बर्बादी का खतरा पैदा करते हैं, न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था के खात्मे की बुनियाद डालते हैं, भारतीय कृषि एवं हमारे बाजारों को बहुराष्ट्रीय कृषि कारोबारी औद्योगिक एवं घरेलू कॉरपोरेट घरानों की मर्जी के आगे गिरवी रखते हैं।
इन नेताओं ने कहा कि केंद्र सरकार को लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं एवं नियमों का पालन करना चाहिए तथा किसान-अन्नदाताओं की वैध मांगों को पूरा करना चाहिए।
आम आदमी पार्टी (आप) ने भारत बंद के आह्वान का समर्थन किया है। दिल्ली के मुख्यमंत्री और पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने रविवार को यह जानकारी दी। केजरीवाल ने कहा कि देशभर में आप कार्यकर्ता राष्ट्रव्यापी हड़ताल का समर्थन करेंगे। उन्होंने सभी नागरिकों से किसानों का समर्थन करने की अपील की।
उन्होंने ट्वीट किया कि आम आदमी पार्टी 8 दिसंबर को किसानों के भारत बंद के आह्वान का पूरी तरह समर्थन करती है। देशभर में आप कार्यकर्ता शांतिपूर्ण तरीके से इसका समर्थन करेंगे। सभी देशवासियों से अपील है कि सभी को किसानों का समर्थन करना चाहिए और इसमें भाग लेना चाहिए। आप नेता और दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि सभी कार्यकर्ता किसानों के समर्थन में बंद में भाग लेंगे।
असम में कांग्रेस, एआईयूडीएफ और वाम दलों सहित विपक्षी दलों ने नए कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग कर रहे किसान संगठनों द्वारा बुलाए गए 'भारत बंद' को 'पूर्ण समर्थन' देने की घोषणा की। सत्तारूढ़ भाजपा की सहयोगी असम गण परिषद (एजीपी) ने भी किसानों के संघर्ष को अपना समर्थन दिया, लेकिन राष्ट्रव्यापी बंद के लिए हाथ मिलाने से परहेज किया।
महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ शिवसेना ने भारत बंद को रविवार को अपना समर्थन दे दिया। राज्यसभा सदस्य अनिल देसाई ने रविवार रात पीटीआई को बताया, 'शिवसेना के अध्यक्ष तथा मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे किसान-विरोधी तथा श्रमिक-विरोधी केन्द्रीय कानूनों के खिलाफ हैं। हम भारत बंद का समर्थन करते हैं। शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने पंजाबियों से बंद का समर्थन करने की अपील की है।
शिअद के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि उनकी पार्टी नए कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए किसानों के साथ मिलकर काम करेगी। पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों द्वारा बुलाए गए भारत बंद को अपना नैतिक समर्थन देने का शनिवार को फैसला किया था।
तृणमूल कांग्रेस के सांसद सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा था कि बंगाल में अपने विरोध कार्यक्रमों के दौरान उनकी पार्टी कृषि कानूनों को तुरंत वापस लेने की मांग करेगी। पार्टी की मांग है कि सभी हितधारकों के साथ विचार-विमर्श के बाद नए विधेयकों को संसद की स्थायी समिति या प्रवर समिति को भेजा जाना चाहिए।
वामपंथी दलों भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी(माले), रिवॉल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी और ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक ने एक संयुक्त बयान में बंद को समर्थन की घोषणा की थी।
इन ट्रेड यूनियनों ने दिया समर्थन : पटना में राजद के नेता तेजस्वी यादव के नेतृत्व में विपक्षी पार्टियों ने शनिवार को इन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन किया था। किसानों का समर्थन करने वाली ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच में इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (आईएनटीयूसी), ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एआईटीयूसी), हिंद मजदूर सभा (एचएमएस), सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस (सीआईटीयू), ऑल इंडिया यूनाइटेड ट्रेड यूनियन सेंटर (एआईयूटीयूसी) और ट्रेड यूनियन कोऑर्डिनेशन सेंटर (टीयूसीसी) शामिल हैं। (भाषा)