बागपत (उत्तरप्रदेश)। राष्ट्रीय लोक दल (RLD) के उपाध्यक्ष जयंत चौधरी ने तीनों नए कृषि कानूनों को किसानों के लिए आपदा करार देते हुए रविवार को कहा कि इन कानूनों को खत्म कराने के लिये भाजपा को सियासी चोट देना जरूरी हो गया है। जयंत ने यहां किसान महापंचायत में किसानों का 'दमनकारी नीतियां' बनाने वाली भाजपा सरकार को उखाड़ फेंकने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा कि किसानों को इन तीनों कानूनों को खत्म कराने के लिए जाति मजहब भूलकर एकजुट होना होगा। यह हर किसान का आंदोलन है। किसान विरोधी तीनों नए कानूनों को खत्म कराने के लिए भाजपा को राजनीतिक चोट करना जरूरी हो गया है।
जयंत ने आरोप लगाया कि मंडियां खत्म होने से देश का नुकसान होगा। उनके अनुसार मंडी परिषद के शुल्क से ही गांवों में विकास होता है जबकि अब यह शुल्क कॉरपोरेट घरानों की तिजोरी में भरा जाएगा।
प्रधानमंत्री के मन की बात पर सवाल खड़ा करते हुए रालोद उपाध्यक्ष ने कहा कि पूरे देश में किसान परेशान हैं, ऐसे में प्रधानमंत्री को चैन की नींद कैसे आती है। उन्होंने कहा कि सरकार किसान आंदोलन को दबाना चाहती है। जयंत के अनुसार कोशिश की गई कि किसानों पर ऐसा आरोप लगा दो कि ये आंदोलन दब जाए लेकिन किसान वे लाठी-डंडे से डरने वाले नहीं है एवं यह संघर्ष जारी रहेगा।
जयंत ने भाजपा पर हमला जारी रखते हुए कहा कि उत्तरप्रदेश में पिछले चार साल से गन्ने का दाम नहीं बढ़ाया गया है। सरकार चीनी मिलों से गन्ना मूल्य का भुगतान कराने में विफल है। महंगाई आसमान छू रही है। पेट्रोल-डीजल और रेल के किराए समेत तमाम चीजों के दाम तीन गुना तक बढ़ गए हैं।
कंपनी शासन थोपना चाहती है भाजपा : अखिलेश
इधर समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा सरकार की तुलना ब्रिटिश राज से करते हुए रविवार को कहा कि ईस्ट इंडिया कम्पनी के जरिये भारत को गुलाम बनाने वाले अंग्रेजों की तरह भाजपा भी देश में 'कम्पनी शासन' थोपना चाहती है।
अखिलेश ने यहां एक बयान में भाजपा पर किसानों के साथ छल करने का आरोप लगाते हुए कहा, 'किसान की आय दोगुनी होने की दूर-दूर तक सम्भावना नहीं है। सच तो यह है कि किसान की जो आमदनी थी, भाजपा के राज में वह भी खत्म हो गई। भाजपा कम्पनी शासन थोपना चाहती है, इसी तरह ईस्ट इण्डिया कम्पनी के जरिए अंग्रेजों ने भारत को गुलाम बनाया था। इसका जवाब जनता सन् 2022 (आगामी विधानसभा चुनाव) में देगी।
नए कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले कई महीनों से जारी किसानों के आंदोलन का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, 'जब हजारों किसान कोई मांग उठा रहे हैं तो भाजपा सरकार को उसका समाधान करना चाहिए। मगर भाजपा सरकार ने तो किसानों की मर्जी के बगैर अपना कानून थोप दिया है। किसानों को आशंका है कि नए कृषि कानूनों से उनकी खेती छिन जाएगी और वह खेत का स्वामी न रहकर खेतिहर मजदूर बन जायेंगे ।
केन्द्र सरकार किसानों को सुरक्षा देने के मामले में आश्वस्त करने में विफल रही है।' अखिलेश ने कहा कि भाजपा की किसानों के प्रति हठधर्मिता के चलते अब अतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी किसान आंदोलन की गूंज होने लगी है। कई देशों के समाजसेवियों ने भारत के किसान आंदोलन को अपना समर्थन दिया है। 'टाइम' पत्रिका ने इस बार का अपना कवर पेज भारत की उन महिला किसानों को समर्पित किया है जो निर्भीकता के साथ आंदोलनरत हैं।