जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के राष्ट्रीय महासचिव व पूर्व सांसद केसी त्यागी ने मीडिया से मुखातिब होते हुए कहा कि कृषि कानून कोई धार्मिक ग्रंथ नहीं है जिसमें बदलाव न किया जा सके। कृषि बिल को लेकर सरकार व किसान दोनों ने अपनी नाक का सवाल बना लिया है इसलिए दोनों जिद पर अड़े हुए हैं। सरकार को किसानों से बिल में संशोधन की बात करनी चाहिए, वहीं किसानों को यह जिद छोड़ देनी चाहिए कि पहले संशोधन हो। किसानों को किसी पार्टी का मोहरा या खिलौना नहीं बनना चाहिए इसलिए जिद छोड़कर सरकार से बात करें।
किसानों के दर्द को समझते हुए वे बोले कि देश में किसानों की हालत एक जूता पालिश करने वाले मोची से भी गई बीती है। एक सर्वे कंपनी ने किसानों की आय को लेकर रिपोर्ट पेश की थी। किसान को उसकी फसल का अब न्यूनतम मूल्य की जगह लाभकारी मूल्य मिलना चाहिए। किसान को भी खुशहाल रहने का अधिकार है। राकेश टिकैत ने केसी त्यागी को किसानों और सरकार के बीच मध्यस्थता के लिए निमत्रंण दिया है, लेकिन वे खुद को इस काबिल नहीं मानते हैं।
इस समय देश में धर्मांतरण का मुद्दा छाया हुआ है। हमारे देश में बालिग और नाबालिग के लिए कानून में स्पष्ट उल्लेख और अधिकार है। यदि बालिग अपनी इच्छा से किसी भी धर्म को स्वीकार करता है तो किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए। यदि कोई जबरन यह करता है तो उसके लिए कानून में आईपीसी की धारा निर्धारित है। धर्मांतरण को राजनीतिक लाभ के लिए किसी भी कीमत पर इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
केसी त्यागी के मुताबिक जेडीयू आगामी विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी बिहार से सटे इलाकों समेत उप्र में 200 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। उन्होंने कहा कि 2022 में ओवैसी 100 सीटों पर चुनाव लड़ने की जो बात कर रहे हैं, वह सिर्फ बकैती है और कुछ नहीं। यहां उनका कोई जनाधार नही है। केसी त्यागी के मुताबिक देश में काफी समय से अंदरुनी टकराव बढ़ता जा रहा है, जो चिंतनीय है।