नई दिल्ली। कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों पर टिप्पणी करते हुए केंद्रीय मंत्री वीके सिंह ने कहा है कि तस्वीरों में बहुत से लोग किसान नहीं दिखते हैं। उन्होंने कहा कि विपक्ष के अलावा कमीशन पाने वाले लोग विरोध प्रदर्शन के पीछे हैं।
किसान नहीं है जिन्हें इस (कृषि कानूनों) से कोई समस्या है, बल्कि वो दूसरे लोग हैं। विपक्ष के अलावा कमीशन पाने वाले लोग इसके (विरोध) पीछे हैं।
वीके सिंह का यह बयान ऐसे वक्त पर आया है जब सरकार आंदोलन कर रहे किसानों के साथ बातचीत कर रही है और उनकी मांगों पर गौर करने के लिए एक समिति गठित करने की पेशकश की। हालांकि समिति को लेकर किसानों ने ज्यादा उत्साह नहीं दिखाया और कहा कि उनका आंदोलन जारी रहेगा।
केंद्र सरकार और किसानों के बीच अगली बातचीत 3 दिसंबर को होनी है। किसान संगठन तीनों नए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। किसानों के प्रतिनिधियों ने इन कानूनों को कृषक समुदाय के हित के खिलाफ करार दिया।
3 घंटे की बैठक बेनतीजा : सरकार ने किसान संगठनों से तीन नए कृषि कानूनों से संबंधित मसलों को स्पष्ट तौर पर चिन्हित करने और उसके बारे में बुधवार को बताने को कहा है। इन मसलों पर बृहस्पतिवार को होने वाली अगले दौर की बातचीत में विचार किया जाएगा। करीब 3 घंटे चली बैठक के बेनतीजा रहने के बाद मंगलवार को जारी आधिकारिक बयान में यह जानकारी दी गई।
कृषि मंत्री नरेंद्र सिहं तोमर, रेलवे और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल तथा वाणिज्य एवं उद्योग राज्यमंत्री सोमप्रकाश ने मंगलवार को 35 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की। यहां विज्ञान भवन में हुई बैठक में मंत्रियों ने किसान संगठनों के प्रतिनिधियों को कृषि सुधार कानूनों के लाभ के बारे में जानकारी दी। इन कानूनों से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर सौहार्दपूर्ण माहौल में विस्तार से चर्चा की गयी।
तोमर ने इस बात पर जोर दिया कि सरकार किसानों के कल्याण के लिये पूरी तरह से प्रतिबद्ध है और कृषि विकास हमेशा से शीर्ष प्राथमिकता रही है। बयान के अनुसार कि बातचीत के दौरान केंद्रीय कृषि मंत्री ने किसानों के मुद्दों को सामने रखने और विचार के लिये समिति गठित करने का प्रस्ताव किया ताकि आपसी सहमति से उसका समधान किया जा सके। किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने कहा कि सभी प्रतिनिधि मामले के सौहार्दपूर्ण तरीके से समाधान के लिये सरकार के साथ बातचीत में शामिल होंगे।
बातचीत के दौरान सरकार ने किसान प्रतिनिधियों को कृषि सुधार कानूनों से संबंधित मसलों को स्पष्ट तौर पर चिन्हित करने और उसे विचार के लिये दो दिसंबर को रखने को कहा। उसके बाद इन मसलों पर तीन दिसंबर को चौथे दौर की बातचीत में विचार-विमर्श किया जाएगा।
बैठक में यह आश्वासन दिया गया कि केंद्र हमेशा किसानों के हितों के संरक्षण को लेकर प्रतिबद्ध है और कृषकों के कल्याण के लिए बातचीत को सदा तैयार है।
बैठक के बाद अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) ने एक बयान में कहा कि बातचीत बेनतीजा रही और सरकार का प्रस्ताव कृषक संगठनों को मंजूर नहीं है। संगठन के अनुसार जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं होती, वे अपना विरोध प्रदर्शन और तेज करेंगे।
विज्ञान भवन में बैठक समाप्त होने के तुरंत बाद कृषि मंत्रालय में भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के प्रतिनिधियों के साथ अलग से बातचीत शुरू हुई। सरकार ने कहा कि बीकेयू सदस्यों के साथ बातचीत अच्छे माहौल में हुई और किसानों के सुझावों को ध्यान से सुना गया।