नई दिल्ली। केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर जारी किसानों के प्रदर्शन में और लोगों के शामिल होने के बीच आंदोलन कर रहे किसानों ने अधिक से अधिक प्रदर्शनकारियों तक पहुंच बनाने के लिए विशाल एलईडी स्क्रीन और स्पीकर लगाए हैं।
किसान यूनियनों की प्रबंध टीमों ने एक-दूसरे के साथ संपर्क में रहने और संदेश भेजने के लिए वॉकी-टॉकी रखे हैं। सिंघु बॉर्डर पर चल रहा किसानों का आंदोलन हाईटेक हो गया है और यहां एलईडी स्क्रीन से लेकर लाउडस्पीकर तक का इस्तेमाल किया जा रहा है।
प्रदर्शनकारियों की संख्या बढ़ने के साथ ही संयुक्त किसान मोर्चा की प्रबंध टीम ने महसूस किया कि केवल सीमित संख्या में प्रदर्शनकारी ही नेताओं को देख सकते हैं और उनके भाषण सुन सकते हैं। इस समस्या को दूर करने के लिए मंच के पास 8 गुणा 10 फुट की 2 एलईडी स्क्रीन लगाई गईं और कम से कम 10 किलोमीटर में स्पीकर लगाए गए हैं।
विरोध प्रदर्शन की शुरुआत से ही मंच का इस्तेमाल नेताओं द्वारा भाषण देने, प्रमुख घोषणाएं करने के लिए किया जा रहा है। हालांकि पिछले सप्ताह तक यहां केवल कुछ ही स्पीकर लगे थे। इससे उस समय मंच के सामने उपस्थित लोग ही घोषणाएं और भाषण सुन सकते थे। आजाद किसान कमेटी, द्वाबा के लखविंदर सिंह के अनुसार सिंघु बॉर्डर पर 26 दिसंबर को पंजाब के फतेहपुर साहिब में एक वार्षिक धार्मिक सभा के समापन के बाद प्रदर्शनकारियों की भीड़ बढ़ने लगी।
उन्होंने कहा कि वे सभी लोग जो फतेहपुर साहिब में थे, अब विरोध प्रदर्शन में शामिल हो रहे हैं और पिछले हफ्ते हमने महसूस किया कि मंच के सामने भीड़ काफी बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि हमारे पास कई लोग आए जिन्होंने कहा कि वे मंच से दूर वक्ताओं को ठीक से देख या सुन नहीं सकते इसलिए हमने स्क्रीन लगाने का फैसला किया।
लखविंदर संयुक्त किसान मोर्चा प्रबंधन टीम का भी हिस्सा हैं। उन्होंने कहा कि हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि हमारे सभी किसान भाइयों और बहनों को हमारे आंदोलन के बारे या मंच पर हमारे नेताओं द्वारा साझा की जाने वाली रणनीतियों के बारे में अच्छी तरह से जानकारी रहे। उन्होंने कहा कि यह स्वाभाविक है कि हर कोई हर समय मंच के सामने नहीं रह सकता इसलिए माइक्रोफोन सभी किसानों को जुड़े रहने में मदद करते हैं।
किसान नेताओं और प्रबंधन टीम के प्रमुख सदस्यों ने वॉकी-टॉकी रखे हैं, जो उन्हें 2-3 किमी की सीमा में जोड़े रखते हैं। प्रदर्शनस्थल पर मंच और प्रकाश आदि की व्यवस्था देखने वाले जसकरन सिंह ने कहा कि हमारे फोन व्यावहारिक रूप से यहां काम नहीं करते और कॉल बार-बार ड्रॉप होती है इसलिए वॉकी-टॉकी हमें संपर्क में रहने में मदद करते हैं। (भाषा)