नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी के किसानों को मवाली बताने वाले बयान पर बवाल मचा। किसान नेताओं के साथ-साथ पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी उन पर जोरदार हमला बोला। अमरिंदर सिंह ने इसे किसान विरोधी मानसिकता करार दिया। अपने बयान पर मीनाक्षी लेखी ने सफाई दी। लेखी ने कहा कि मेरे शब्दों को तोड़ा मरोड़ा गया है अगर इससे किसी को ठेस पहुंची है तो मैं अपने शब्द वापस लेती हूं। उन्होंने कहा कि उनका बयान 26 जनवरी पर हुई हिंसा को लेकर था।
उन्होंने कहा कि उनकी प्रेस कॉन्फ्रेंस पेगासस के खुलासे पर थी और उस दौरान यह सवाल किया गया कि 26 जनवरी को जो अपमान किया गया उस पर आपका क्या कहना है। मीनाक्षी लेखी कहा कि इस पर उन्होंने कहा कि ये किसानों का काम नहीं हो सकता है। ये लोग मवाली ही कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि इसको जो तोड़-मरोड़ रहे हैं वे अपने दिमागी दिवालियापन का परिचय दे रहे हैं। इस तरह के लोगों के साथ खड़ा होना पसंद नहीं करती हूं जो लालकिले को अपमानित करें।
क्या कहा था मीनाक्षी लेखी ने : एक पत्रकार ने 26 जनवरी की घटना के संदर्भ पर लेखी से जब आंदोलनकारियों को किसान कहकर संबोधित करते हुए अपना सवाल पूछा तो इसके जवाब में उन्होंने कहा कि फिर आप उन लोगों को किसान बोल रहे हैं...मवाली हैं वे लोग। उन्होंने आगे कहा कि मीडिया पर हमला आपराधिक गतिविधि है..जो कुछ 26 जनवरी को हुआ वह भी शर्मनाक था। वह भी आपराधिक गतिविधियां थीं और विपक्ष द्वारा ऐसी चीजों को बढ़ावा दिया गया।
इससे पहले, इसी प्रकरण से जुड़े एक अन्य सवाल पर भी आंदोलनकारियों को किसान कहने पर लेखी बिफर पड़ी। उन्होंने कहा कि पहली बात उन लोगों को किसान कहना बंद कीजिए। क्योंकि वह किसान नहीं हैं। वह षडयंत्रकारी लोगों के हत्थे चढ़े कुछ लोग हैं जो कि किसानों के नाम पर यह हरकतें कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि किसानों के पास इतना समय नहीं है कि वे जंतर-मंतर पर आकर धरने पर बैठे। उन्होंने कहा कि किसान अपने खेतों में काम कर रहा है। ये आढ़तियों द्वारा चढ़ाए गए लोग हैं जो चाहते ही नहीं कि किसानों को किसी प्रकार का सीधा फायदा मिले।
अमरिंदर ने कहा- इस्तीफा दें : कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि मीनाक्षी लेखी को किसानों को अपमानित करने का कोई अधिकार नहीं है। पंजाब सीएम ने आगे कहा कि उनकी इस अपमानजक टिप्पणी से यह जाहिर होता है कि किसी तरह बीजेपी की किसान विरोधी मानसिकता है। अमरिंदर ने कहा कि उन्हें मंत्री के पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।