नई दिल्ली। 3 केंद्रीय मंत्रियों के साथ शुक्रवार को हुई नौवें दौर की वार्ता में प्रदर्शनकारी किसान 3 नए विवादित कृषि कानूनों को निरस्त करने की अपनी मांग पर अड़े रहे, जबकि सरकार ने किसान नेताओं से उनके रुख में लचीलापन दिखाने की अपील की एवं कानून में जरूरी संशोधन के संबंध में अपनी इच्छा जताई। इस दौर की वार्ता के अंत में दोनों पक्षों ने तय किया कि अगली बैठक 19 जनवरी को होगी।
किसान नेता जोगिन्दर सिंह उग्रहान ने बैठक के बाद कहा कि किसान संगठनों ने सरकार से तीनों कानून रद्द करने का आग्रह किया लेकिन केंद्र ऐसा करने को अनिच्छुक दिखी। उन्होंने कहा, हमने 19 जनवरी को दोपहर 12 बजे फिर से मिलने का फैसला किया है।
उग्रहान ने कहा कि बैठक के दौरान किसान संगठनों के नेताओं ने पंजाब के उन ट्रांसपोर्टरों पर एनआई के छापे का मुद्दा उठाया, जो किसान विरोध प्रदर्शन का समर्थन कर रहे हैं और आवाजाही की सुविधाएं प्रदान कर रहे हैं।भोजनावकाश सहित करीब पांच घंटे तक चली बैठक में किसान संगठनों ने कहा कि वे तीन कृषि कानूनों को लेकर जारी गतिरोध को दूर करने के लिए सीधी वार्ता जारी रखने को प्रतिबद्ध हैं।
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, रेलवे, वाणिज्य एवं खाद्य मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्य मंत्री तथा पंजाब से सांसद सोम प्रकाश ने करीब 40 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ विज्ञान भवन में नौवें दौर की वार्ता की।
बैठक में हिस्सा लेने वाली अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति की सदस्य कविता कुरूंगटी ने कहा, सरकार और किसान संगठनों ने सीधी वार्ता की प्रक्रिया जारी रखने की प्रतिबद्धता व्यक्त की।इससे पहले 11 जनवरी को उच्चतम न्यायालय ने तीन कृषि कानूनों के कार्यान्वयन पर अगले आदेश तक रोक लगा दी थी।
शीर्ष अदालत ने इस मामले में गतिरोध को समाप्त करने के लिए चार सदस्यीय समिति का गठन किया था। हालांकि समिति के सदस्य और भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष भूपिन्दर सिंह मान ने कल समिति से अपने को अलग कर लिया।
पंजाब किसान मोर्चा के बलजीत सिंह बाली ने कहा, अपनी प्रारंभिक टिप्पणी में तोमर ने कहा कि आप लगातार कह रहे हैं कि सरकार अड़ी है और इसे प्रतिष्ठा का सवाल बनाए हुए है जबकि हमने आपकी कई मांगों को मान लिया है। क्या आप नहीं समझते कि आपको लचीला होना चाहिए और केवल कानून को रद्द करने की मांग पर अड़े नहीं रहना चाहिए।
किसान नेता दर्शन पाल ने कहा, तीनों कानूनों के बारे में अच्छी चर्चा हुई। कुछ समाधान निकलने की संभावना है। हम सकारात्मक हैं।एक अन्य किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा, सरकार ने हमसे कहा कि समाधान बातचीत से निकाला जाना चाहिए, अदालत में नहीं।
सभी का समान मत है कि कुछ समाधान की संभावना है। इससे पहले, आठ जनवरी को हुई वार्ता बेनतीजा रही थी। पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश से हजारों की संख्या में किसान दिल्ली की सीमाओं के पास पिछले एक महीने से अधिक समय से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
आठ जनवरी की बैठक में कोई नतीजा नहीं निकल सका था क्योंकि केंद्र सरकार ने तीनों कानूनों को रद्द करने की मांग को खारिज कर दिया और दावा किया कि इन सुधारों को देशव्यापी समर्थन प्राप्त है। वहीं किसान नेताओं ने कहा कि वह अंत तक लड़ाई के लिए तैयार है और कानूनी वापसी के बिना घर वापसी नहीं होगी।
इस मामले के समाधान के बारे में राय देने के लिए उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित समिति में अन्य तीन सदस्यों में शेतकारी संगठन महाराष्ट्र के अध्यक्ष अनिल घनावत, इंटरनेशनल फूड पालिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट के प्रमोद कुमार जोशी और कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी शामिल हैं।
किसान संगठनों और केंद्र के बीच 30 दिसंबर को छठे दौर की वार्ता में दो मांगों पराली जलाने को अपराध की श्रेणी से बाहर करने और बिजली पर सब्सिडी जारी रखने को लेकर सहमति बनी थी।(भाषा)