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फ्यूजन का है फैशन!

ईस्ट और वेस्ट, ये लि‍बास है बेस्‍ट

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- रेणु भसीन

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पिछले कुछ सालों में न केवल विदेशों में बल्कि भारत में भी फ्यूजन को पसंद करने वालों की तादाद बढ़ी है। ये फ्यूजन देसी के साथ विदेशी या फिर और किसी भी तरह का हो सकता है। अब आपको शादी की पार्टी में टीशर्ट पर टाई लगाए या यहाँ तक कि शर्ट के साथ धोतीनुमा लोअर पहने कई पुरुष दिख जाएँगे।

वहीं महिलाओं के मामले में तो यह प्रयोग और भी बड़े पैमाने पर हुए हैं। जींस और शॉर्ट टॉप के ऊपर रंग-बिरंगा दुपट्टा ओढ़ना, लहँगा-चोली के साथ लंबा सा ओवरकोटनुमा जैकेट पहनना, साड़ी के साथ पगड़ी पहन लेना, सलवार को टीशर्ट के साथ मैच करना, साड़ी के साथ हाथ में बिलकुल मर्दाना घड़ी पहन लेना, धोतीनुमा लोअर के साथ लंबा कुर्ता पहनना।

या फिर जींस और कुर्ते के साथ माथे पर बड़ी सी बिंदी लगा लेना, ये सभी फ्यूजन के तौर पर आसानी से अब फैशन में शामिल हो गया है। यही नहीं अंतररराष्ट्रीय स्तर पर डिजायनिंग के मामले में इस तरह के प्रयोग बड़े स्तर पर किए जा रहे हैं।

असल में फ्यूजन फैशन को अपनाने का मतलब है मनचाहे प्रयोगों को अपनाना। एक ऐसी स्टाइल को अपनाना जो आपको आजादी के साथ कई तरह डिजाइन्स एक साथ पहनने को दें, बिंदास ड्रेसिंग को बढ़ाए और आपको दूसरों से कुछ अलग लुक दे। खासतौर पर युवाओं में इस फैशन का क्रेज ज्यादा है।

अब युवा सलवार-सूट पर स्पोर्ट्स शूज पहने नजर आ सकते हैं और जींस के साथ कोल्हापुरी चप्पलें पहने भी। ठीक इसी तरह एक्सेसरीज के मामले में भी अब आपको फ्यूजन की बहार दिखाई देंगी। यहाँ जींस के साथ कपड़े का झोला भी हो सकता है, पुराना रानी-महारानियों के जमाने का बटुआ भी हो सकता है।

सलवार सूट या साड़ी के साथ रुद्राक्ष की माला भी हो सकती है और शूज भी। स्कर्ट के साथ रंग-बिरंगी चप्पलें भी हो सकती हैं और सर पर गाँधी टोपी भी। इस तरह फ्यूजन ने अब फैशन जगत में एक अलग मुकाम बना लिया है।

यूँ तो फ्यूजन का मतलब ही है 'अलग-अलग अंदाज की चीजों का संगम' चाहे फिर बात संगीत की हो, खाने की हो या फिर कपड़ों और एक्सेसरीज की। देशी और विदेशी के फ्यूजन के अलावा इसमें व्यक्तिगत रचनात्मकता भी उभरकर सामने आती है। खासतौर पर पहनावे और एक्सेसरीज के मामले में। देश-विदेश में हर साल होने वाले ढेरों फैशन शोज में हर बार कुछ नया करने और दिखाने की ख्वाहिश लेकर डिजाइनर शामिल होते हैं।

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ऐसे में फ्यूजन के कारण वे अपने काम को न केवल और भी विस्तृत कर सकते हैं, बल्कि उसमें कई गुना रचनात्मकता को और जोड़ सकते हैं। यही कारण है कि कभी फैशन शो में आपको साठ के दशक का गरारा आज के टीशर्ट के साथ दिखता है तो कभी हिप्पी कट बालों वाली युवती साड़ी में इठलाती नजर आती है।

इसके अलावा फिल्म स्टारों द्वारा अपनाई गई हेयर स्टाइल, पहनावा और ज्वेलरी को भी नए जमाने के अंदाज में प्रस्तुत किया जाता है। इसके अलावा पुरानी हिंदी फिल्मों से लेकर देवी-देवताओं तक के चित्रों को कपड़ों, बैग तथा अन्य एक्सेसरीज में शामिल कर लिया जाता है। नए और पुराने का यही मिश्रण एक नए और अनूठे फैशन को जन्म देता है और इसी को फ्यूजन कहते हैं।

यह चलन अब बड़े पैमाने में लोगों तक पहुँच चुका है। इसका एक कारण यह भी है कि अब पहनावा किसी प्रोटोकॉल में बँधा हुआ नहीं है। इसके कारण हर व्यक्ति अपने हिसाब से मिक्स-मैच करके कपड़े पहनता है और जो वो पहनता है वही फैशन बन जाता है। वहीं एक कारण यह भी है कि अब वैश्वीकरण के चलते पूरी दुनिया की विभिन्न फैशन संस्कृतियाँ एक स्थान से दूसरे स्थान पर आसानी से अपनाई जा रही है।

यानी अब भारतीय युवा अगर शॉर्ट्‌स, डेनिम और इवनिंग गाऊन का उपयोग कर रहे हैं तो विदेशों में साड़ी और सलवार सूट के प्रति मोह बढ़ रहा है। साथ ही इसमें विदेश और देश के हिसाब से ऐसे परिवर्तन भी किए जा रहे हैं कि पुराना भी जिंदा रहे और नया भी जगह पा जाए। यही फ्यूजन आजकल सबसे हॉट फैशन ट्रेंड बना हुआ है। इसे अपनाना भी आसान है और इसे अपनाने में स्वतंत्रता तो है ही। तो अब आप भी कन्फ्यूजन से निकल आइए और मजे में फ्यूजन अपनाइए।

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