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सिल्क साडि़यों का फैशन

नाजुक रेशमी साड़ी का रखरखाव

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गायत्री शर्मा

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साड़ी महिलाओं की कमजोरी होती है, तभी तो पत्नी के रूठने पर, किसी तीज-त्योहार पर या शादी की सालगिरह पर पति अपनी पत्नी को उपहारस्वरूप साड़ी देता है और पत्नी बड़ी प्रसन्नता से उसे पहनती है।

आजकल बाजार में कई प्रकार की साडि़याँ चलन में हैं, जिनमें रेशमी, शिफॉन, जार्जट, क्रेप आदि प्रमुख प्रकार हैं।

इनमें से सिल्क एक ऐसा मटेरियल है, जो सदाबहार है। बनारसी, कांजीवरम, पेपर सिल्क आदि की साडि़याँ आज भी हेवी लुक की साडि़यों में गिनी जाती हैं। ये साडि़याँ नारी को अपनी परंपरा से जोड़े रखती हैं और उसे संपूर्णता प्रदान करती हैं।

  साड़ी में कीड़े लगने से बचाने और खूशबू के लिए आप लौंग या कपूर को पीसकर सूती कपड़े की पोटली में रख सकते हैं। इन साडि़यों को घर पर धोने के बजाय बाजार में ड्रायक्लिन करवाएँ।      
तीज-त्योहारों पर पहनी जाने वाली सिल्क की साडि़याँ सदाबहार होती हैं, जिनका फैशन कभी पुराना नहीं होता। हर शुभ अवसर पर इनको पहनना अच्छा माना जाता है।

सोने के भारी जेवरों के साथ तो इनकी खूबसूरती और भी अधिक बढ़ जाती है। इनके चटख रंग हर किसी को दीवाना बना देते हैं। खासकर इन साडि़यों का मेहरून, नीला और पीला रंग तो सदाबहार रंग माना जाता है, जिनको सर्वाधिक पसंद किया जाता है।

कैसे करें इनका रखरखाव :-
सिल्क की साडि़यों की जरी नमी और हवा के संपर्क में आने से अक्सर काली पड़ जाती है। एक बार काली पड़ने के बाद फिर से इनकी चमक पहले जैसी नहीं हो पाती। यदि इनकी धुलाई व रखरखाव व्यवस्थित तरीके से हो तो इनकी जरी जल्दी काली नहीं होती और इनकी चमक सालों-साल बरकरार रहती है।

कीड़ों से बचाव के लिए इन साडि़यों को पेपर में लपेटकर कपड़े से बने साड़ी कवर में रखें। आजकल बाजार में रेडीमेड साड़ी कवर मिलते हैं। कभी भी जरी की साडि़यों को घड़ी करके पॉलिथीन में रखने की भूल न करें।

अक्सर हम अपने नए कपड़ों पर खूशबू के लिए परफ्यूम छिड़कते हैं, जिससे साडि़यों की जरी काली पड़ जाती है। आप चाहें तो साडि़यों के बीच में फिनाइल की गोलियाँ रख सकते हैं। इससे साड़ी की बदबू दूर हो जाती है।

साड़ी में कीड़े लगने से बचाने और खूशबू के लिए आप लौंग या कपूर को पीसकर सूती कपड़े की पोटली में रख सकते हैं। इन साडि़यों को घर पर धोने के बजाय बाजार में ड्रायक्लिन करवाएँ।

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