14 जून से 32 देशों की टीमें रूस के विभिन्न मैदानों पर अपना जलवा बिखेरती नज़र आने लगेंगी। फीफा वर्ल्ड कप में पहली बार आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल मैच को रोमांचक बनाने के लिए किया जाएगा। विश्व कप शुरू होने से पहले ही मैच के दौरान इस्तेमाल होने वाली गेंद चर्चा में आ जाती है। 1930 में खेले गए पहले विश्व कप से लेकर अब तक गेंद में बहुत से बदलाव हुए है, हर बार विश्व कप में गेंद में कुछ ना कुछ परिवर्तन किए गए है।
इस बार फीफा में जिस गेंद का इस्तेमाल होगा उसमें उसमें चिप लगी है, जिसको मोबाइल फोन से जोड़ कर खेल से जुड़े कई अहम आंकड़े हासिल किए जा सकते हैं। इस गेंद का नाम टेलस्टार-18 है जिसे एडिडास कंपनी ने डिजाइन किया है। इससे पहले 1970 और 1974 के विश्व कप में भी टेलस्टार गेंद का उपयोग हुआ था। 1970 टेलस्टार बॉल की तरह ही इस बार की गेंद को डिजाइन किया गया है। पुराने वाले टेलस्टार गेंद में 32 पैनल वॉल थे लेकिन इस बार केवल 6 पैनल है।
1994 में हुए विश्व कप के बाद पहली बार गेंद सिर्फ काले और सफेट रंग में होगी। टेलस्टार-18 का निर्माण पाकिस्तान में हुआ है। जिसे एडिडास कंपनी के साथ काम करने वाली कंपनी फॉरवर्ड स्पोर्टस ने बनाया है। इस गेंद का टेस्ट 600 से ज्यादा खिलाडि़यों ने किया है। इस गेंद का इस्तेमाल 2017 फीफा क्लब विश्व कप के सेमीफाइनल मैच में किया गया था।
टेलस्टार-18 की सतह को 3डी डिजाइन में बनाया गया है। 3डी सतह होने के कारण गेंद को कंट्रोल करना आसान होगा। फुटबॉल मैच के दौरान हर मैच में 11 बॉल का यूज होता है। जबकि पूरे टूर्नामेंट में 64 मैचों के दौरान 704 बॉलों का इस्तेमाल किया जाता है।