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सिर्फ सेमीफाइनल में विरोधियों से खाया गोल, हार के बावजूद मोरक्को ने जीता दिल

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, गुरुवार, 15 दिसंबर 2022 (12:44 IST)
अल खोर: ‘कौन कहता है कि आसमान में सुराख नहीं होता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों ’। इसे चरितार्थ करने वाली मोरक्को की टीम ने विश्व कप सेमीफाइनल हारने से बावजूद न सिर्फ फुटबॉल के दिग्गजों के बीच अपनी मौजूदगी पूरी शिद्दत से दर्ज कराई बल्कि दुनिया भर में खेलप्रेमियों के दिल भी जीत लिये।

बड़ी बड़ी टीमों को हराया

उसके अंतिम चार में पहुंचने की किसी ने कल्पना भी नहीं की थी लेकिन अपने ऐतिहासिक अभियान में कदम दर कदम दिग्गजों को जमींदोज करने वाली मोरक्को टीम ने देश के फुटबॉल इतिहास में स्वर्णिम अध्याय जोड़ दिया । क्रोएशिया, बेल्जियम, स्पेन और क्रिस्टियानो रोनाल्डो की पुर्तगाल के सफर पर विराम लगाकर मोरक्को यहां तक पहुंचा था ।

यादगार रहा मोरक्को का सफर

विश्व कप के इतिहास की सबसे यादगार गाथाओं में गिना जायेगा मोरक्को का यह सफर। सेमीफाइनल से पहले इस टीम ने किसी विरोधी खिलाड़ी को गोल नहीं करने दिया। सेमीफाइनल से पहले दो खिलाड़ियों के चोटिल होने का खामियाजा भी उसे भुगतना पड़ा। डिफेंडर नायेफ एगुएर्ड अभ्यास के दौरान चोटिल हो गए जबकि कप्तान रोमेस सेस 21 मिनट बाद ही हैमस्ट्रिंग चोट के कारण बाहर हो गए।

स्टेडियम के भीतर उसके समर्थकों की तादाद देखकर लग रहा था मानों लाल सैलाब उमड़ आया हो। विश्व कप सेमीफाइनल तक पहुंचने वाली पहली अफ्रीकी टीम के समर्थन में उसके प्रशंसकों ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी थी। मोरक्को का राष्ट्रगीत जब स्टेडियम में बजा तो शोर से पूरा आसमान गुंजायमान हो गया।
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मोरक्को के खिलाड़ियों ने भी जुझारूपन की पूरी बानगी पेश की। फ्रांस जैसी दिग्गज टीम को उसने आसानी से अपने गोल में सेंध नहीं मारने दी। लेकिन आखिर में काइलियान एमबाप्पे की फ्रांसीसी टीम का अनुभव मोरक्को के जोश पर भारी पड़ा।

सिर्फ सेमीफाइनल में हुआ गोल

मोरक्को ना सिर्फ विश्व कप सेमीफाइनल में पहुंचने वाली पहली अफ्रीकी टीम रही, बल्कि इसने अपने दमदार अभियान में विपक्षी टीम के किसी खिलाड़ी को गोल करने का मौका भी नहीं दिया, सिर्फ सेमीफाइनल का ही मैच एक अपवाद रहा।

कनाडा के ऊपर 2-1 की जीत में मोरक्को के विरुद्ध जो एकमात्र गोल हुआ भी वह उनके अपने खिलाड़ी नायेफ एगर्ड ने ही किया। बेल्जियम और स्पेन जैसी बड़ी टीमों को धराशाई करने वाली मोरक्को अगर आज फुटबॉल का सबसे बड़ा टूर्नामेंट जीतने की दावेदार था, तो निस्संदेह इसका श्रेय उसके रक्षण को जाता है।
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टीम की एकता पर थे सवाल

मोरक्को के विश्व कप अभियान से पहले हालांकि उनकी एकता को लेकर कई सवाल उठ रहे थे। रेग्रागुई की 26 सदस्यीय-स्क्वाड में सिर्फ 12 खिलाड़ी मोरक्को में जन्मे थे, जबकि अन्य 14 अलग-अलग यूरोपीय देशों से आकर अपनी मातृभूमि के लिये खेल रहे थे।

मोरक्को के कोच वालिद रेग्रागुइ ने कहा ,‘‘ मेरे खिलाड़ियों ने सब कुछ दे दिया । वे यहां तक पहुंच गए। वे इतिहास रचना चाहते थे लेकिन चमत्कारों से विश्व कप नहीं जीता जाता । मेहनत के बल पर यह संभव है और हम आगे भी कड़ी मेहनत करते रहेंगे।’’उन्होंने यह भी कहा ,‘‘ मैं चाहूंगा कि फ्रांस फाइनल जीते ताकि हम कह सकेंगे कि हम विश्व चैम्पियन से हारे।’’

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