Hanuman Chalisa

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

ब्याज दरें कैसे स्टॉक मार्केट को करती हैं प्रभावित

Advertiesment
हमें फॉलो करें ब्याज दर

मोलतोल डॉट इन

ब्याज दरें, अधिकांश लोग इस पर ध्यान देते हैं, और यह स्टॉक मार्केट को प्रभावित कर सकते हैं। लेकिन क्यों? इस लेख में, आप ब्याज दर और स्टॉक मार्केट के बीच इनडायरेक्ट लिंक्स के बारे में सीखेंगे और यह जानेंगे कि वह कैसे आपके जीवन को प्रभावित कर सकते हैं।

FILE
ब्याज दर: आमतौर पर, ब्याज उस भुगतान से अधिक कुछ नहीं है, जिसे एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति के धन का उपयोग करने के बदले देता है। घर खरीदने वाला इसे आसानी से समझ लेता है। वे बैंक के धन का उपयोग, मोर्टगेज द्वारा, घर खरीदने के लिए करता है और बाद में वे किस्तो में बैंक का पैसा ब्याज सहित वापस करते हैं।

क्रेडिट कार्ड उपयोगकर्ता भी इसे आसानी से समझते हैं- वे तुरंत कुछ चीज खरीदने के लिए शॉर्ट टाइम के लिए पैसा उधार लेते हैं। लेकिन जब स्टॉक मार्केट और ब्याज दर के प्रभाव की बात आती है तो ऊपर बताए गए उदाहरण से यह अलग होते हैं- हालांकि हम देखेंगे कि वह कैसे प्रभावित करते हैं।

निवेशक पर लागू होने वाली ब्‍याज दर को बैंक तय करते हैं लेकिन इस पर नियंत्रण भारतीय रिजर्व बैंक का होता है क्‍योंकि वही रेपो रेट तय करता है। रेपो रेट वह ब्‍याज लागत है जिसे भारतीय रिजर्व बैंक अन्‍य बैंकों को नकद उधार देने के बदले वसूल करता है। यह नंबर इतना अधिक महत्वपूर्ण क्यों हैं? इस रास्ते के जरिये भारतीय रिजर्व बैंक मुद्रास्फीति को नियंत्रित करता है।

मुद्रास्फीति, बहुत थोड़ी चीजों के लिए बहुत अधिक धन उपलब्धता (या बहुत अधिक मांग की तुलना में बहुत कम आपूर्ति), जिसकी वजह से कीमतें बढ़ती हैं। वस्तुओं को खरीदने के लिए उपलब्ध धन को प्रभावित कर, रिजर्व बैंक मुद्रास्फीति को नियंत्रित कर सकता है।

अन्य देशों की सेंट्रल बैंक भी इसके लिए समान रास्ता अपनाती हैं। वास्तव में, रिजर्व बैंक फंडस रेट को बढ़ा कर, अपने धन को और अधिक महंगा बनाने के लिए इसकी आपूर्ति को कम करता है।

वृद्धि का प्रभाव: जब रिजर्व बैंक अपनी फंड्स रेट को बढ़ाता है, तब इसका स्टॉक मार्केट पर तत्काल प्रभाव नहीं आता। इसके विपरीत, बढ़ी हुई रेपो रेट का सीधा असर यह होता है कि बैंकों का रिजर्व बैंक से ऋण लेना महंगा हो जाता है। ब्‍याज दर में वृद्धि लहर प्रभाव का कारण भी है, हालांकि, यह कारक व्यक्तिगत और बिजनैस दोनों को प्रभावित करते हैं।

भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा बढ़ाई गई ब्‍याज दर का पहला इनडायरेक्ट प्रभाव यह है कि बैंक अपनी उन दरों में वृद्धि करते हैं, जो वे अपने ग्राहकों से दिए गए ऋण पर वसूल करते हैं। व्यक्तिगत लोग क्रेडिट कार्ड और मोर्टगेज ब्याज दरों में वृद्धि से प्रभावित होते हैं, विशेषकर अगर वे परिवर्तनीय ब्याज दर लिए हुए हों। यह प्रभाव ग्राहक द्वारा खर्च की जा सकने वाली राशि को कम करता है।

आखिरकार, लोग अभी भी बिलों का भुगतान कर रहे हैं और जब यह बिल बहुत अधिक खर्चीले हो जाते हैं तो हाउसहोल्ड्स को कम डिसपोजेबल इनकम के साथ छोड़ दिया जाता है। इसका मतलब यह है कि लोग अब अविवेकाधीन पैसे कम खर्च करेंगे, जो कि बिजनेस की उच्च और निम्न लाइन को प्रभावित करेगा।

रेवेन्यू और प्रॉफिट: इसलिए, आरबीआई फंड्स रेट में वृद्धि का असर व्यक्तिगत ग्राहकों के साथ ही बिजनेस पर भी इनडायरेक्टली पड़ता है। लेकिन बिजनेस पर इसका डायरेक्ट प्रभाव भी पड़ता है। वह भी अपने ऑपरेशन को चलाने और विस्तार के लिए बैंक से धन उधार लेते हैं। जब बैंक अपने उधार को महंगा बनाते हैं, तब कंपनियां और अधिक ऋण लेने से बचती हैं और अपने पुराने ऋण पर उन्हें अधिक ब्याज चुकाना होगा। कम बिजनेस खर्च एक कंपनी की ग्रोथ को धीमा कर सकती है, इसकी वजह से प्रोफिट में गिरावट आती है।

स्टॉक प्राइस प्रभाव: जाहिर है, आरबीआई फंड्स रेट में बदलाव उपभोक्ता और बिजनेस के व्यवहार को प्रभावित करता है, लेकिन साथ ही स्टॉक मार्केट को भी प्रभावित करता है।

याद रखें कि कंपनी का मूल्यांकन करने और वर्तमान स्तर से डिस्काउंटेड रेट पर वापस खरीदने के लिए यहां एक विधि है सभी संभावित भविष्य कैश फ्लो का जोड़। स्टॉक के प्राइस पर पहुंचने के लिए, भविष्य के डिस्काउंटेड कैश फ्लो के जोड़ को उपलब्ध शेयर की संख्या से विभाजित करें।

इस मूल्य में उतार-चढ़ाव के के परिणामस्वरूप लोगों को अलग-अलग समय पर कंपनी विभिन्न दिखाई पड़ती है। इन मतभेदों की वजह से, वे विभिन्न कीमतों पर शेयर को खरीदते और बेचते हैं।

यदि एक कंपनी अपने विकास खर्च में कटौती कर रही है या कम लाभ कमा रही है- या फिर उच्च ऋण खर्च या उपभोक्ता से कम राजस्व- तो अनुमानित भविष्य कैश फ्लो कम होगा।

यह सभी बराबर होते हैं, इसकी वजह से कंपनी के स्टॉक की कीमत कम होगी। यदि बहुत सी कंपनियों के स्टॉक प्राइस में गिरावट आती है, पूरा बाजार या इंडेक्‍स, (जैसे बीएसई सेंसेक्‍स या निफ्टी फिफ्टी) नीचे जाएंगे।

निवेश प्रभाव : कई निवेशकों के लिए, बाजार में गिरावट या शेयर की कीमत एक वांछित परिणाम नहीं है। निवेशक अपने निवेशित धन को वृद्धि करते हुए देखने की कामना करते हैं। कुछ लोग शेयर मूल्य वृद्धि या डिविडेंड्स के भुगतान से या दोनों से लाभ अर्जित करते हैं।

कंपनी में विकास और फ्यूचर कैश फ्लो में कम उम्मीद के साथ, निवेशक स्टॉक मूल्य वृद्धि से ज्यादा वृद्धि हासिल नहीं करेंगे, यह शेयर स्वामित्व को कम वांछनीय बनाता है।

इसके अलावा, स्टॉक में निवेश करना अन्य निवेश विकल्पों की तुलना में अधिक जोखिम भरा हो सकता है। जब आरबीआई अपने फंड्स रेट में वृद्धि करता है, नए पेश सरकारी प्रतिभूतियों, जैसे ट्रेजरी बिल और बांड्स, अक्सर सबसे सुरक्षित निवेश माने जाते हैं और आमतौर पर ब्याज दरों में इसके अनुरूप वृद्धि होती है।

दूसरे शब्दों में, जोखिम मुक्त रेट ऑफ रिटर्न बढ़ रहा है, इससे इस तरह के निवेश ज्यादा वांछनीय बन रहे हैं। जब लोग स्टॉक में निवेश करते हैं, उन्हें इस तरह के निवेश में अतिरिक्त जोखिम का खतरा होता है, या फिर जोखिम मुक्त रेट के लिए प्रीमियम का भुगतान करना होता है।

स्टॉक में निवेश से इच्छित रिटर्न जोखिम मुक्त रेट और जोखिम प्रीमियम का योग होता है। बेशक, विभिन्न लोगों के लिए विभिन्न जोखिम प्रीमियम होते हैं, यह उनके जोखिम क्षमता और उनकी कंपनी के खरीदने पर निर्भर करता है।
सामान्यत:, हालांकि, जोखिम मुक्त रेट बढ़ रहा है, उसी अनुसार कुल रिटर्न स्टॉक में निवेश की जरूरत भी बढ़ जाती है। इसलिए, यदि आवश्यक जोखिम प्रीमियम घट रहा है, जबकि संभावित रिटर्न स्थिर या निम्न हो रहा है, तो निवेशकों को यह महसूस हो जाता है कि स्टॉम बहुत अधिक जोखिमभरा हो रहा है, और उन्हें अपना धन कहीं ओर निवेश करना होगा।

अंतिम पंक्तिया: ब्याज दर, आमतौर पर मीडिया द्वारा घिरे होते हैं, जिसका अर्थव्यवस्था पर व्यापक और विविध प्रभाव पड़ता है। जब यह बढ़ता है, इसका सामान्य प्रभाव संचालन में धन की मात्रा पर पड़ता है, जो मुद्रास्फीति को निम्न बनाए रखने का काम करता है। यह पैसे उधार लेने को भी अधिक महंगा बनाता है, जो ग्राहकों और कंपनियों के धन को खर्च करने को प्रभावित करते हैं, यह वृद्धि कंपनियों के खर्च बढ़ाने और आय घटाने का कारक है।

अंत में, यह वजह स्टॉक मार्केट को निवेश के लिए धीरे-धीरे कम आकर्षक बना रहा है। ध्यान रखें, हालांकि, यह सभी कारक और परिणाम आपस में अंर्तसंबंधित हैं। ऊपर जो कुछ भी बताया गया है वह बहुत व्यापक बातचीत है, जो अनगिनत रास्तों से अपना काम कर सकते हैं।

ब्याज दरें अकेला ऐसा कारक नहीं है जो स्टॉक प्राइस को प्रभावित करती हो। यहां कई अन्य ऐसी चीजें हैं जो स्टॉक प्राइस और बाजार के सामान्य ट्रेंड को प्रभावित करे हैं- बढ़ी हुई ब्याज दर उनमें से एक है।

आरबीआई द्वारा ब्याज दरों में वृद्धि का स्टॉक प्राइस पर नकारात्म प्रभाव पड़ेगा, इसे कोई भी पूर्ण विश्वास से नहीं कह सकता।

मोलतोल.इन

सौजन्य: मोलतोल.इन


Share this Story:

Follow Webdunia Hindi