वित्तीय वर्ष 21010-11 समाप्ति पर है और आखिरी समय पर टैक्स बचाने वाले व्यक्तियों के लिए अब सिर्फ तीन दिन रह गए हैं। इन तीन दिनों में, जो विकल्प अभी भी आपके पास मौजूद हैं, उनमें सरकारी प्रतिभूतियाँ, बैंकों की सावधि जमा योजनाएँ, म्यूच्युअल फंड की टैक्स बचत योजनाएँ व जीवन बीमा कंपनियों की योजनाएँ प्रमुख हैं।
आयकर की धारा 80-सी के अलावा, स्वास्थ्य बीमा करवाकर धारा 80-डी के तहत और आयकर की नई धारा 80-सीसीएफ के तहत भी अतिरिक्त छूट ली जा सकती है।
सरकारी प्रतिभूतियाँ जैसे कि पीपीएफ, एनएससी या वरिष्ठ नागरिक जमा योजना और बैंकों की जमा योजना में निवेश कर टैक्स की छूट चाहने वाले व्यक्तियों को वर्ष के अंत में निवेश करने से कोई खास फर्क नहीं पड़ता है।
रिजर्व बैंकों की नीतियों के कारण ब्याज दर बढ़ोतरी पर है और पाँच वर्ष की बैंक एफडी में अभी लगभग 9 से 10 प्रश ब्याज मिल रहा है।
म्यूच्युअल फंड के माध्यम से किए हुए निवेश में शेयर बाजार के जोखिम जुड़े हुए हैं और नियोजित ढंग (एसआईपी) से निवेश करना एक बेहतर विकल्प है। अगर मार्च महीने में शेयर इंडेक्स ऊँचाइयाँ छू रहा हो, तो आपको यूनिट्स भी तुलनात्मक ऊँचे दामों पर ही खरीदने पड़ेंगे, जिससे प्रतिलाभ प्रभावित होता है।
एक बात और, इन योजना में वे ही व्यक्ति निवेश करें, जिन्हें लंबी अवधि में भारत की आर्थिक प्रगति पर कोई शक न हो। यहाँ न्यूनतम लॉक-इन अवधि तीन वर्ष की होती हैं, पर ऋण प्रतिभूतियों से बेहतर लाभ कमाने के लिए निवेशकों को यहाँ कम से कम 6 वर्ष या अधिक समय के लिए निवेशित रहना होगा। वित्तीय वर्ष के अंत में किसी भी प्रकार की जीवन या स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी लेने के मैं सख्त खिलाफ हूँ।
पॉलिसी बंद होने के या सिर्फ टैक्स बचाने के चक्कर में जल्दबाजी में किए हुए निवेश से नुकसान होने की संभावना अधिक होती है। विचार कीजिए कि क्या हम अपने परिवार की सुरक्षा की बात सोच-समझकर आराम से अप्रैल माह में नहीं कर सकते हैं?
आयकर की धारा 80-सी के तहत मिलने वाली १लाख रु. की छूट के अलावा अधिकतम 20 हजार रु. के इन्फ्रा बॉण्ड्स खरीद कर धारा 80-सीसीएफ के तहत अतिरिक्त छूट ली जा सकती है। इनमें लॉक-इन अवधि 5 से 7 वर्ष की होती है व लगभग 8.25 प्रश से 8.5 प्रश की दर से कर योग्य ब्याज मिल रहा है।