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चार कदम, विदेश जाने से पहले

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Kaptan
-नूपुदीक्षि
विदेश जाकर उच्‍च शिक्षा हासिल करने का सपना कई युवा देखते है लेकिन उनमें से केवल कुछ का सपना ही साकार हो पाता है। ऐसा नहीं है कि शेष छात्रों में योग्‍यता की कमी होती है दरअसल वे विदेश जाने के पहले की जाने वाली तैयारियों में कमी के चलते मात खा जाते हैं।

अगर आप विदेश जाकर पढ़ाई करने के प्रति वाकई गंभीर हैं, तो इसके लिए जरूरी है कि आप स्‍नातक की पढ़ाई खत्‍म होने के पहले ही इसकी तैयारी करना शुरू कर दें।

आप चाहे वाणिज्‍य के छात्र हो, विज्ञान के या कला के अगर स्‍नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद विदेश जाने के इच्‍छुक है तो प्रथम वर्ष की परिक्षाएँ खत्‍म होने के बाद ही आपको विदेश में दाखिला लेने की तैयारी में जुट जाना चाहिए।

पहला कदम
सबसे पहले विदेशी यूनिवर्सिटीज के बारे में विस्‍तार से जानकारी निकालिए, आजकल जानकारी प्राप्‍त करने का ब्रह्मास्‍त्र इंटरनेट हर जगह पर आसानी से उपलब्‍ध है।

अब आप इन विश्‍वविद्यालयों द्वारा प्रस्‍तावित उन पाठ्यक्रमों की एक सूची तैयार करें, जिनमें आप दाखिला ले सकते है।

इसके बाद आप इन पाठ्यक्रमों के शुल्‍क, प्रवेश परीक्षा संबंधी नियम और आवास सुविधा के बारे में जानकारी लें।

यह सभी जानकारी एकत्रित करने के बाद पाँच से आठ ऐसे पाठ्यक्रम चुन ले, जिनमें आप प्रवेश हासिल कर सकते है। जो शुल्‍क, आवास और कॅरिअर तीनों के लिहाज से आप के व्‍यक्तित्‍व और आपके सपनों पर फिट बैठते हो।

जब आप यह पहला कदम उठा लेंगे, तो आपकी नजरों में आपका लक्ष्‍य स्‍पष्‍ट हो जाएगा। कहते है, लक्ष्‍य तभी प्राप्‍त किया जा सकता है, जब वह साधक की नजरों में स्‍पष्‍ट हो। एक कदम उठाने के बाद बारी आती है दूसरे कदम की।

दूसरा कद
स्‍नातक का द्वितीय वर्ष हर लिहाज से सबसे महत्‍वपूर्ण होता है, इसका महत्‍व उन विद्यार्थियों के लिए और भी बढ़ जाता है, जो निकट भविष्‍य में विदेश जाकर अध्‍ययन करना चाहते है।

आप अपने चुने हुए पाठ्यक्रमों पर पूरी तल्‍लीनता से ध्‍यान दें, यदि उनमें प्रवेश के लिए स्‍नातक में ऑनर्स होना जरूरी है तो द्वितीय वर्ष में ऑनर्स पाठ्यक्रम में प्रवेश ले।

स्‍नातक स्‍तर पर स्‍कोर करने के लिए द्वितीय वर्ष ही सबसे अधिक उपयुक्‍त होता है। इसलिए मन लगाकर पढ़ाई करे और जितने ज्‍यादा प्रतिशत अंक हासिल कर सकते है उतने लाने की कोशिश करें क्‍योकि अच्‍छे विदेशी विश्‍वविद्यालय में प्रवेश लेने के लिए अच्‍छी अकादमिक पृष्‍ठभूमि का होना बहुत जरूरी है।

इसके साथ ही टॉफेल और अन्‍य अनिवार्य प्रवेश परीक्षाओं के लिए गंभीरता से स्‍वाध्‍ययन प्रारंभ कर दें। यदि घर पर पढ़ाई करने से आप को संतुष्टि नहीं मिल रही है तो किसी कोचिंग संस्‍थान में जाए, जहाँ आपको एक ग्रुप भी मिलेगा, ग्रुप बन जाने से जान‍कारियों के आदान-प्रदान में भी सुविधा होगी।

तीसरा कद
द्वितीय वर्ष की परिक्षाएँ समाप्‍त होते ही आपको विदेश जाने की पूर्व तैयारी के व्‍यवहारिक पहलू की ओर ध्‍यान देना चाहिए।

यदि आपका पासपोर्ट नहीं है, तो सबसे पहले उसके लिए आवेदन करे।

आप जिस पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने के इच्‍छुक है, उसके लिए प्रदान की जाने वाली स्‍कॉलरशिप की ओर ध्‍यान केंद्रीत करें, साथ ही बैंक से मिलने वाले शिक्षा ऋण आदी की जानकारी निकाल कर खुद को अधिकारिक औपचारिकताओं के लिए तैयार रखें।

प्रवेश परीक्षा की तैयारी में जुट जाए और यदि स्‍नातकोत्‍तर पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने के लिए कार्यानुभव आवश्‍यक है, तो पढ़ाई के साथ कहीं काम भी करें।

तृतीय वर्ष की थोड़ी बहुत पढ़ाई कॉलेज खुलने से पहले ही प्रारंभ कर दें, क्‍योकि तृतीय वर्ष के दौरान ही प्रवेश परीक्षाओं में बैठने की वजह से पढ़ाई में व्‍यवधान आते है।

चौथा कद
अब बारी आती है चौथे और अंतिम कदम की। किताबी ज्ञान आप बहुत ले चुके अब व्‍यवहारिकता की ओर बढ़े।

अब आप स्‍वयं में लचीलापन लेकर आए और अपने खान-पान और स्‍वास्‍थ्‍य आदि की जिम्‍मेदारी खुद उठाना शुरू करें। इसका फायदा यह होगा कि विदेश जाने के बाद आप होमसिकनेस से बच जाएँगे।

वीसा इंटरव्‍यू और उस देश (जहाँ आप जाने चाहते है),के बारे में जानकारियाँ प्राप्‍त करें और खुद को वहाँ रहने के अनुरूप तैयार करें।

सीनियर छात्रों, दोस्‍तों या रिश्‍तेदारों की मदद से वहाँ के कुछ संपर्क सूत्र निकालने की कोशिश करें। निरंतर सिकुड रही दुनिया में अब यह काम आसान है। इस तरह संपर्क मालूम होने से आप निश्चिंत रहेंगे और किसी संकट के समय यह आपके लिए मददगार साबित होंगे।

तो अब देर किस बात की, यह चार कदम चलकर अपने पंखों को मजबूत बनाएँ और फिर अपने आसमाँ में उड़ान भरें।

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