- कोलकाता से दीपक रस्तोगी
कोलकाता चिड़ियाघर से बहुमूल्य ब्राजीलियाई बंदरों की चोरी वन्य जीवों की चोरी की सबसे बड़ी घटना मानी जा रही है। संकेत हैं कि पश्चिम एशिया, दक्षिण एशिया और यूरोप के देशों में सक्रिय तस्कर नेटवर्क की निगाह अब भारत के चिड़ियाघरों पर आ टिकी है। छोटे-छोटे ब्राजीलियाई बंदर और बड़े-बड़े विवाद। कोलकाता चिड़ियाघर से आठ ब्राजीलियाई बंदरों की चोरी की घटना ने वन्य जीवों की तस्करी के अंतरराष्ट्रीय रैकेट में कोलकाता को भी शामिल कर दिया। स्थानीय स्तर पर कछुआ, कई तरह के पक्षी और वन्य जीवों की हड्डियाँ व उनके अंगों की तस्करी की घटनाएँ सामने आती रही हैं लेकिन उनका दायरा लंदन, थाईलैंड से आगे नहीं जा पाया। ब्राजीलियाई बंदरों की चोरी से साफ हो गया है कि वन्य जीव तस्करों के नेटवर्क जापान, मलेशिया आदि पूरब के देशों के साथ ही इंग्लैंड, जर्मनी, फ्रांस और अमेरिका तक भी फैल चुका है। अगस्त के मध्य में कोलकाता चिड़ियाघर से पिंजड़ा काटकर आठ ब्राजीलियाई बंदरों (मरमोसेट) को चुरा लिया गया। तीन वयस्क नर, तीन वयस्क मादा और दो शिशु। कीमत अंतर्राष्ट्रीय बाजार में तीन हजार डॉलर प्रति जोड़ा। भारतीय बाजार में कम से कम सवा लाख रुपए जोड़ा। बंदरों की चोरी की घटना सामने आते ही पहले तो राजनीतिक तूफान उठा। बात-बात पर सत्ताधारी वाममोर्चा को घेरने वाली विपक्ष ने चिड़ियाघर में हुई इस चोरी को भी राजनीतिक मुद्दा बना लिया है।
मरमोसेट बंदरों के दिमाग से बने व्यंजन चीन और मलेशिया में बेहद लोकप्रिय हैं लेकिन इनका ज्यादा इस्तेमाल दक्षिण एशिया, पश्चिम एशिया और दक्षिण अमेरिका की दवा बनाने वाली कंपनियाँ शोध कार्य में कर रही हैं।
पहले कांग्रेस, फिर तृणमल कांग्रेस का लगातार धरना-प्रदर्शन फिर सेंट्रल जू अथॉरिटी की विभागीय कार्रवाई लेकिन कोलकाता पुलिस की जाँच में बंदरों के बारे में कोई सुराग नहीं लग पाया है। इन सारे हड़बोंग के बीच वन्य जीवों की तस्करी के अंतर्राष्ट्रीय रैकेट की चर्चा बंगाल से ब्रिटेन तक तूल पकड़ गई है। कोलकाता चिड़ियाघर से बंदरों की इस चोरी को वन्य जीवों की सबसे बड़ी चोरी माना जा रहा है। वन्य जीव प्रेमी संगठनों के कर्ता-धर्ताओं का दावा है कि बगैर प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत के मूल्यवान जीवों की इस कदर चोरी नहीं हो सकती। कोलकाता में बंदरों की चोरी की घटना के दो हफ्ते पहले मुंबई हवाई अड्डे पर एक थाई नागरिक को गिरफ्तार कर उसके कब्जे से पाँच ऐसे बंदर बरामद किए गए। उसने बंदरों को बक्से में पैक कर रखा था। तीन मर चुके थे। थाई नागरिक कहीं बाहर से आया था। वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन सोसाइटी ऑफ इंडिया की संस्थापक बेलिंडा राइट के अनुसार, मुंबई की बरामदगी और कोलकाता की घटना में कोई लिंक हो सकता है। राइट के अनुसार, इस प्रजाति के बंदरों की यूरोप के तस्करों में काफी माँग है। इंग्लैंड के चिड़ियाघरों से अक्सर दर्जनों की संख्या में ऐसे बंदरों की चोरी की खबरें आती हैं। इसी साल जुलाई में दक्षिण लंदन के चिड़ियाघर से चोरी की घटना हुई है। राइट के अनुसार, पश्चिम एशिया और दक्षिण एशिया में ऐसे बंदरों के खरीददार बहुत हैं। पश्चिम बंगाल के प्रिंसीपल चीफ कंजरवेटर ऑफ फॉरेस्ट अतनु राहा के अनुसार, कोलकाता चिड़ियाघर से चोरी में अंतर्राष्ट्रीय स्तर के तस्करों का हाथ है। इसमें दो राय नहीं। यहाँ की चोरी विश्व भर में कुछ बड़ी चोरियों से मेल खाली है। अगस्त 2004 में स्कॉटलैंड के ओबान जूलॉजिकल वर्ल्ड से 15 बंदर चुराए गए। जून 2006 में पूर्वी ससेक्स प्रांत से पाँच मरमोसेट, उसी दौरान इंग्लैंड के एक्सूमर चिडि़याघर से 11 मरमोसेट और जून 2007 में अमेरिका के सेवियरविले से दो मरमोसेट चुराए गए। तो क्या यह मान लेना चाहिए कि अंतर्राष्ट्रीय तस्करों के निशाने पर भारत के चिडि़याघर है? वन्य जीव विशेषज्ञ प्राणवेश सान्याल के अनुसार, अब शेर की खाल, पंजे और मगरमच्छ की खाल ही नहीं, भारत के चिडि़याघरों से अमूल्य प्राणी संपदा पर भी तस्करों की नजर है। कोलकाता आसान ट्रांजिट प्वाइंट बनता जा रहा है। कोलकाता से मुंबई और बंगलौर, फिर वहाँ से विदेशों को। साथ ही, उत्तर बंगाल के सिलीगुड़ी होकर नेपाल के रास्ते और सुंदरवन होकर बांग्लादेश के रास्ते आसान रास्ते हैं। ये बंदर आकार में छोटे होते हैं और इन्हे छुपाकर कहीं भी ले जाया जा सकता है। मरमोसेट बंदरों के दिमाग से बने व्यंजन चीन और मलेशिया में बेहद लोकप्रिय हैं लेकिन इनका ज्यादा इस्तेमाल दक्षिण एशिया, पश्चिम एशिया और दक्षिण अमेरिका की दवा बनाने वाली कंपनियाँ शोध कार्य में कर रही हैं। शोध के अनुसार कॉमन मरमोसेट (जिस प्रजाति के बंदर कोलकाता में चुराए गए है) और मानव में 88 से 97 फीसदी जेनेटिक समानता होती है। 1960
के बाद से टॉक्सिकोलॉजी, इम्यूनोलॉजी, फर्टिलिटी, के लिए बॉयोमेडिकल-रिसर्च में मरमोसेट का इस्तेमाल शुरू हो गया। मरमोसेट बंदरों पर प्रयोग से ही पर्किसंस डिसीज की एक दवा विकसित करने में कामयाबी मिली है। बहरहाल, देश के चिडि़याघरों से हुई वन्य जीवों की चोरी देश की अब तक की सबसे बड़ी चोरी मानी जा रही है कोलकाता चिडि़याघर से आठ मरमोसेट की चोरी। सेंट्रल जू अथॉरिटी अपने तरीके से सक्रिय हो चुका है। उसने चिडि़याघर के निदेशक को बर्खारत करते हुए राज्य सकरकार से कैफियत तलब की है। सेंट्रल जू अथॉरिटी ने इस मामले में भितरघात का शक जताते हुए राज्य सरकार को पत्र भेजा है और राज्य सरकार द्वारा चिडि़याघर चलाने के अधिकार पर भी सवाल उठाया है। ऐसे में बंगाल सरकार की ओर से राज्य का वन विभाग, पुलिस और अन्य संबंधित विभागों की जाँच की कवायद लाजिमी है। फिलहाल तो इस घटना से यह संकेत साफ है कि कोलकाता भी अब वन्य जीवों की तस्करी में शामिल बड़े अंतर्राष्ट्रीय गिरोहों के रडार पर आ गया है।