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भीमताल में समुद्री मछलियाँ

हमें फॉलो करें भीमताल में समुद्री मछलियाँ
- भीमताल से महेश पांडे

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भीमताल की झील में समुद्री मछलियाँ! यह सुनकर भले ही आश्चर्य लगे पर यही हकीकत है। कुमाऊँ मंडल की झील भीमताल के टापू पर इकहत्तर देशों की विभिन्न मत्स्य प्रजातियों को एकत्रित कर एक विश्व स्तरीय एक्वैरियम का निर्माण किया गया है।

नैनीताल विशेष परिक्षेत्र झील विकास प्राधिकरण की इस पहल के कारण यह टापू आजकल न सिर्फ पर्यटकों को आकर्षित कर रहा है बल्कि ज्ञानवर्धन का भी केंद्र बन रहा है।

नैनीताल से 22 किलोमीटर दूर स्थित भीमताल के टापू पर पहले रेस्टोरेंट हुआ करता था लेकिन इससे झील में गंदगी बढ़ने लगी थी। ऐसे में राष्ट्रीय झील संरक्षण परियोजना के तहत यहाँ रेस्टोरेंट की जगह एक्वैरियम बनाया गया। इससे पर्यटक तो आकर्षित हुए ही हैं, झील भी प्रदूषण मुक्त हो रहा है।

शीतजल से लेकर समुद्री जल तक में मिलने वाली रंग-बिरंगी और किस्म-किस्म की प्रजातियों वाला यह एक्वैरियम धीरे-धीरे ही सही प्रसिद्धि पा रहा है। इस एक्वैरियम के निर्माण पर लगभग डेढ़ करोड़ रुपए की लागत आई है। इसमें मछलियों को रखने के लिए 33 टैंक बनाए गए हैं। इनमें से दो टैंकों में समुद्री जल में रहने वाली मछलियों की सात प्रजातियाँ रखी जाती हैं।

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साफ-सुथरे वातावरण में आकर्षक ढंग से आकर्षक प्रकाश व्यवस्था में सजाए गए एक्वैरियम को देखने के लिए प्रति व्यक्ति सौ रुपए का शुल्क भी रखा गया है। अन्य टैंकों में अलग-अलग प्रजातियों की मछलियों के लिए उपयुक्त जल बनाकर रखा गया है।

पर्यटक यहाँ डेल्टा से लेकर समुद्र तक तथा कोरल सी से लेकर मीठे पानी की नदियों तक की मत्स्य प्रजातियाँ देख सकते हैं। मुख्य तौर पर जो मत्स्य प्रजातियाँ यहाँ आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं उनमें फ्लोवरहॉर्न, फिराना, करंट पैदा करने वाली मछली इल सहित चीनी प्रजाति लोहाना आदि प्रमुख हैं।

समुद्री जल की लायन फिश एवं कोरल फिश भी प्रमुख रूप से यहाँ रखी गई हैं। इस परियोजना के प्रबंधक सी.एम. साह का मानना है कि प्रतिवर्ष इस एक्वैरियम के रखरखाव पर 18 से 20 लाख रुपए की जरूरत पड़ेगी इसीलिए इसमें आगंतुकों से शुल्क लिया जाना जरूरी किया गया है।

हालाँकि क्षेत्र के लोगों की माँग है कि स्थानीय विद्यार्थियों एवं निवासियों के लिए एक्वैरियम में प्रवेश निःशुल्क की जाए। नगारी गाँव के प्रधान संजीव भगत का कहना है कि पर्यटकों से शुल्क वसूलना तो ठीक है लेकिन स्थानीय ग्रामीणों को यहाँ निशुल्क आने की व्यवस्था हो तो इससे इस तरह की चीजों के प्रति लोगों को जागरूक किए जाने में मदद मिलेगी।

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