पंकज जोशी
हवा सा चंचल,
बूँदों सा शीतल,
स्नेह का सागर,
बरसाता निर्मल,
प्यारा सा एहसास दोस्ती का!
गगन सा विशाल,
उत्तर, बिना सवाल,
उलझनों में भी कहीं,
प्यारा सा ख़्याल,
देता एहसास दोस्ती का!
बचपन की मस्ती में,
कश्मकश की कश्ती में,
ख़शी की हिलोर में,
किसी बेनाम सी हस्ती में,
हाथ थामता ऐसा एहसास दोस्ती का!
हर पल, हर कल, हर आज, हर बात,
ख़ुशी में ग़म में, चुप रहकर भी,
अपनी कहानी सुनाता है एहसास दोस्ती का!
हर शक्ति देता है मुझे, ठोकरों पर सँभालता है मुझे,
एहसास तुम्हारी दोस्ती का!