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मित्रता एक अनमोल उपहार

हमें फॉलो करें मित्रता एक अनमोल उपहार
पद्मा राजेन्द्

WDWD
अपने आपको एक अच्छा मित्र साबित करना और अपने पास अच्छे मित्र होना, ये दो ऐसी चीजें हैं जो न केवल आपकी दिनचर्या को खुशनुमा बनाती हैं बल्कि आप जीवनभर आत्मसंतोष को अनुभव करते हैं। परंतु मित्रता एकाएक नहीं हो जाती। मित्रता पैदा की जाती है और उसे बनाए रखना पड़ता है।

शादी के बाद उस छोटे से गाँव में मैं अभी-अभी आई थी क्योंकि पति की वहाँ पोस्टिंग थी। न किसी से जान न पहचान, पर मन में भरोसा था कि जान-पहचान कर लूँगी व अच्छे दोस्त भी मिल ही जाएँगे। पड़ोसी आंटी से मैं केवल दो-तीन बार मिली और चकित रह गई कि इतने अच्छे लोग भी होते हैं। फिर न हमारे बीच उम्र आड़े आई न कोई और वजह। हमारी मित्रता परवान चढ़ती गई।

समय का चक्र सरकता गया व एक दिन बड़े भरे मन से उन्होंने अंकल के ट्रांसफर के बारे बताया। जिस दुःख व खालीपन का अहसास मुझे उस दिन पहुँचा था उसमें वे स्वयं भी शरीक थीं। आज जब कुछ लिखने बैठी तो अपने मित्रों के बारे में सोचने लगी- उन मित्रों के बारे में जो सुख-दुःख की घड़ी में मेरे साथी थे और उनके बारे में भी जिन्होंने मुझसे कन्नी काट ली थी, पर यह मेरा अहोभाग्य कि ऐसा मेरे साथ कम ही हुआ।

अपने आपको एक अच्छा मित्र साबित करना और अपने पास अच्छे मित्र होना, ये दो ऐसी चीजें हैं जो न केवल आपकी दिनचर्या को खुशनुमा बनाती हैं बल्कि आप जीवनभर आत्मसंतोष को अनुभव करते हैं। परंतु मित्रता एकाएक नहीं हो जाती। मित्रता पैदा की जाती है और उसे बनाए रखना पड़ता है। किसी भी अन्य कौशल की तरह मित्रता की कला का भी अभ्यास करना पड़ता है।

वे कौन-सी बातें हैं जो किसी को एक अच्छा मित्र बनाती हैं। आइए गौर करें:

मित्रता को प्राथमिकता दीजिए : कई लोग ऐसे हैं जो चाहते तो हैं कि उनके पास अधिक से अधिक मित्र हों, परंतु मित्र को देने के लिए उनके पास समय नहीं है। पर अगर आप सच्चे मन से मित्रता करना चाहते हैं तो मित्रों के लिए समय निकालने के लिए केवल आपको थोड़ी योजना से काम लेना होगा। आप अपने एक मित्र के साथ शाम को घूमिए, दूसरे के साथ शॉपिंग का प्रोग्राम बना लीजिए, तीसरे के साथ कभी फिल्म देख लें और अगर यह सब संभव न हो तो किसी छुट्टी के दिन सभी मित्र पिकनिक का प्रोग्राम बना लें या किसी एक के यहाँ एकत्रित हो जाएँ। अगर यह भी संभव नहीं है तो फोन पर तो बात की ही जा सकती है।

मित्रों के लिए वक्त निकालने का मतलब है हो सकता है आपका घर कभी थोड़ा अस्त-व्यस्त रह जाए या आप अपने मनपसंद टीवी सीरियल न देख पाएँ, परंतु क्या अपने एक मित्र के साथ समय बिताने में जो सुख मिलता है उसके लिए आप इतना भी त्याग नहीं कर सकते।

दुःख-दर्द सुनना भी एक कला है : किसी के भी जीवन में कभी भी कोई समस्या उठ सकती है। ऐसे हालात में उसे एक सच्चे दोस्त की जरूरत महसूस होती है, जो उसका दुःख-दर्द धैर्य के साथ सुन सके, उसे सांत्वना के साथ बिना आलोचना किए समझा सके व बिना झिझके जरूरी सवाल उठा सके।

इसके विपरीत भावुकतावश लगाए गलत आरोपों को सुनना काफी बोरियत भरा सिद्ध हो सकता है। ऐसे में सुनने वाला व्यक्ति अपना धैर्य खो बेकार की सलाह भी देने के लिए प्रेरित हो सकता है। जैसे- 'ऐसे बेकार व्यक्ति से छुटकारा पाओ, तलाक लेकर या अलग घर बसा लो।'पर याद रखिए सच्चे दोस्त का काम समस्याओं का सही हल खोजने के साथ-साथ अपने मित्र के अंतर में उमड़ती-घुमड़ती बुरी भावनाओं को निकाल फेंकने का रास्ता बनाना भी होता है।

अंतर्मुखी होने का खतरा : कुछ लोग अपनी गूढ़ भावनाओं को मित्रों के सामने कहने से कतराते हैं। ऐसे लोग अपने भीतर छिपे डर, निराशा और मनोविकारों को प्रकट करने से डरते हैं, परंतु सभी प्रकार की मित्रता में यही वह समय होता है जब आप अपने मन की बात अपने मित्र के सामने रखें। आपके मित्र आपसे निकटता तभी महसूस करेंगे जब आप उन्हें अपने आपको जानने का मौका देंगे।

आप इस बात को लेकर मत डरिए कि यदि आपने अपनी खामियों व दोषों को मित्र के सामने प्रकट कर दिया तो वे आपको कम पसंद करेंगे बल्कि हो सकता है कि वे आपको और अधिक चाहें व आपकी मैत्री प्रगाढ़ बन जाए। अतः मित्रता के प्रारंभिक चरणों में अपनी कमियों को स्वीकार करना प्रीतिकर होता है।

अगर आपके किसी मित्र से कोई गलती हो जाती है व उसके कारण वो लज्जित है तो ऐसे समय उसका उपहास न उड़ाकर अपनी किसी गलती का जिक्र उसका मनोबल बढ़ाने के लिए अवश्य करें। अक्सर अच्छे मित्र हमें ऐसी बातें बताकर हमारी मदद करते हैं और यह जतलाते हैं कि मानवीय कमजोरियाँ केवल हमारे अंदर ही हों ऐसी बात नहीं। इसके लिए यह अतिआवश्यक है कि आप उन्हें उस सचाई से अवगत कराएँ कि आप में भी कमजोरियाँ हैं।

अपने मतभेदों से ग्रहण करें : जब हम अपना ज्यादातर वक्त किसी मित्र के साथ बिताते हैं तब यह कहावत स्मरण हो आती है 'अधिक जान-पहचान घृणा को जन्म देती है।' हम उसकी उन विशेषताओं और कमजोरियों की ओर ध्यान देने लगते हैं जिनसे हमें चिढ़ होती है। 'रोहित हमेशा गुस्से व जल्दबाजी में रहता है', 'रेहाना को मस्का मारने व खुशामद करने की बहुत आदत है' या वो 'खुद की तारीफ व खुद पर घमंड करते नहीं थकती।' जैसी बातें भी अधिक नजदीकियों में उभर सकती हैं। परंतु इतने शंकालु मत बनिए, किसी मित्र की 'गलतियाँ' छद्म रूप में कभी-कभी वरदान भी साबित हो सकती हैं।

मित्रता का एक नुस्खा ही समानता और असमानता का सही मिश्रण है। आपस में कम से कम इतनी समानता तो होनी ही चाहिए कि आप एक-दूसरे को जान-पहचान कर समझ सकें और इतना अंतर भी होना चाहिए कि आपस में कुछ आदान-प्रदान किया जा सके।

लेखा-जोखा मत रखिए : प्रायः लोग मित्रता के अपने कर्तव्य को टालते रहते हैं। किसने पिछली बार पत्र लिखा था या फोन किया आदि। जब आप यह भूल जाएँगे कि आप जो देते हैं उसके बदले आपको क्या मिला, तभी आप अधिक से अधिक अच्छे व सच्चे मित्र बना सकेंगे। अतः आप क्या देते हैं इसे भूल जाइए और क्या प्राप्त करते हैं, केवल उसे याद रखिए।

अपने मित्रों को उदार बनने दीजिए : किसी से लेना, देने से बेहतर हो सकता है, परंतु यह भी जरूरी है कि आपके मित्र भी यह समझें व जानें कि आपको उनकी जरूरत है। जैसे आपको अपने किसी मित्र की मदद करने में खुशी महसूस होती है। ठीक वैसे ही दूसरों को भी आप अपनी मदद करने का मौका दीजिए।'कौन परेशान करे' या 'सबका एहसान कैसे चुकाएँगे' वाला नजरिया न अपनाएँ। कभी किसी की पेशकश आभार सहित स्वीकार करके देखिए। उसके बाद आपकी मैत्री और घनिष्ठ हो जाएगी।

मित्रों के साथ खिलखिलाइए : किसी ने हँसी को जिंदगी का संगीत कहा है। यही आपके मित्र और आपको सदा खुश रखता है तथा अच्छे मित्रों को और नजदीक लाता है। नाजुक घड़ी में खिलखिलाकर हँसने से तनाव दूर करने में मदद मिलती है तथा अत्यंत ही गंभीर और निराशाजनक परिस्थितियों में भी आपके मित्र को एक नई आशा की किरण दिखाई देती है।

शादी के शुरुआती दिनों में प्रेम विवाह व भिन्न संप्रदाय के कारण सामंजस्य स्थापित करने में आई अड़चनों से दुःखी मेरी एक मित्र का फोन आया... उसने अत्यंत ही करुण आवाज में कहा, 'अब मेरे पास जिंदा रहने को कुछ भी नहीं बचा है। मैंने गलत निर्णय लिया था, अब सिर्फ अलविदा कहने के लिए तुम्हें फोन किया है, क्योंकि मैं 'आत्महत्या' करने का प्रण कर चुकी हूँ।' बिना सोचे-समझे गुस्से में मैंने कह दिया- 'ंयदि तुम ऐसा करोगी तो मैं तुमसे कभी भी बात नहीं करूँगी समझी' यह सुनते ही वह फोन पर फूट-फूटकर रोने लगी व दिल का गुबार छँटते ही धीरे से हँस दी।

मित्रता को जिंदा रखिए : आज की आपाधापी भरी जिंदगी में मित्रता जैसे अनमोल तोहफे को कई लोगों ने अपनी वरीयता की सूची में एकदम नीचे इसलिए खिसका दिया है, क्योंकि उनका ख्याल है कि इसे निभाने में काफी समय देना पड़ता है जबकि मित्रता जीवन के सर्वाधिक अनमोल तोहफों में से एकहै। आम रिश्तों से हटकर होना ही इसे एक तोहफे का स्वरूप प्रदान करता है। मित्र एक ऐसा उपहार है जिसे आप स्वयं अपने को भेंट करते हैं।

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