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कैसे फ्रेंड्‍स ढूँढते हैं आप...

- राजश्री

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फ्रेंडशिप डे के आते ही मन एक उड़ान भरने लगता है। युवा वर्ग अपने महिला या पुरुष मित्रों को लेकर काफी आ‍कर्षित रहते हैं। खास कर उन युवा-‍युवतियों को लेकर जिन्हें उन्होंने कभी पास से देखा नहीं, दूर से देखकर ही मन ही मन उनसे दोस्ती करने की इच्छा रखने वालों को चाहिए कि फ्रेंडशिप डे का मतलब सिर्फ दोस्त बनाना नहीं होता। किसी के भी हाथ में एक बेल्ट बाँध दिया और हो गई दोस्ती पक्क‍ी, बन गए फ्रेंड्‍स। पर वास्तव में यह एक झूठ है जो कुछेक पल के लिए अपने दिल को तसल्ली तो दे सकता है लेकिन वास्तव में आपको उस गहरी दोस्ती का अहसास नहीं कराता।

दोस्ती से मतलब यह कहीं नहीं निकलता कि सालों पहले की गई दोस्ती ही फ्रेंडशिप कहलाती है। ऐसा नहीं है दोस्ती वह हो जो चाहे एक दिन पहले, एक साल पहले या कई वर्षों पहले की हो। दोस्ती वह ‍जिसमें आप अपने दोस्तों के प्रति पूरी तरह समर्पित हो। यह बात सिर्फ किसी भी सहाय‍ता के लिए नहीं है। लेकिन हर समय, हर सुख-दुख और हर पल दिल को उस इंसान का खयाल रहे, चाहे सुख हो दुख, हर पहलू में वह सामने वाले को एक ही नजर से देखें, उसमें परखने की, या फिर इस उम्मीद कि मैंने तो उसकी दुख में मदद की थी, लेकिन जब आज मैं दुख से गुजर रहा हूँ तब वहीं दोस्त मेरे काम नहीं आया। ऐसी कोई भी भावना दोस्ती के आड़े नहीं आनी चाहिए।

दोस्ती करते और निभाते समय दिल में अहंकार, ईर्ष्या और बदले की भावना कभी भी लेकर दोस्त नहीं बनाने चाहिए। ऐसी दोस्त‍ी बनाने पर आपके मन का अहंकार समय आने पर उस दोस्त से बदला लेने पर उतारू हो जाएगा। और जब मन अहंकार, ईर्ष्या तले जलने लगे‍गा तब दोस्ती दोस्ती न रखकर एक मजाक बन जाएगी। इसलिए हमेशा दोस्त बनाते समय अपने मन के आँगन से उस दोस्त के लिए अहंकार का त्याग कर क्षमा के रूप में आगे बढ़ते हुए दोस्ती का हाथ बढ़ाएँ। तभी आपकी दोस्ती बनाने का किया गया प्रयत्न सफल होगा।

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स्कूल-कॉलेज हो या ऑफिस लाइफ हो ‍दोस्ती का यह रिश्ता ऐसा कभी भी ना बनाए जो जरा-सी भूल से आपकी दोस्ती के बीच दरार आ जाए। दोस्ती का यह रिश्ता इतना गहरा हो कि चाहे उसमें लोग कमल खिलाएँ या काँटे उगाएँ... कहने का तात्पर्य यह है कि आज के जमाने में हर इंसान का दूसरे इंसान को देखने का नजरिया, अंदाज अलग-अलग होता है और ऐसे में आपके द्वारा की गई दोस्ती और वह भी एक मेल की फीमेल से की गई दोस्ती को दुनिया वाले किस अंदाज में लेंगे। यह बताना बहुत मुश्किल है।

ऐसे समय दोस्त बनाते समय आपका दोस्त सच्चाई का साथ देते हुए अपने दोस्ती के अटल वादे पर काम रहे। किसी भी रिश्ते को निभाने में विश्वास क‍ी मजबूत डोर ही उसे आखिरी अंजाम तक पहुँचाती है। अत: दोस्त जरूर बनाएँ, दोस्ती भी जरूर करें लेकिन उस ‍िरश्ते को किसी भी तरह दरकने न दें। हमेशा ऐसे दोस्त चुनें या बनाएँ ‍जो हर नजरिये से दोस्ती करने लायक हो।

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