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दोस्ती : एक रिश्ता सलोना सा

हैप्पी फ्रेंडशिप डे

हमें फॉलो करें दोस्ती : एक रिश्ता सलोना सा
जब सारी दुनिया आपके खिलाफ खड़ी नजर आए... आप कोई भी फैसला न लेने पाएं... तो दिल से गुनगुनाएं दोस्ती का मंत्र- माय फ्रेंड इज माय लाइफ। दोस्त आपको निराशा के दलदल से बाहर निकाल लाएगा और जिंदगी को नए सिरे से जीने की राह दिखाएगा... फिर एक दिन वही दोस्त आपकी नई जिंदगी की शुरुआत पर मुंह मीठा करने भी आएगा। इसी को तो कहते हैं दोस्त। जो विपत्ति के समय आपके साथ रहे और खुशियों को बांटते समय आपका ध्यान रखे।

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व्यावसायिक दोस्ती
आपसी सामंजस्य और अटूट भरोसे के बल पर रची हुई दोस्ती का एक ये भी रूप है। मिलजुलकर एक ही व्यवसाय करने वाले दो दोस्त किसी आत्मीय सगे-संबंधी से कम नहीं रह जाते, बल्कि कई मामलों में तो उनसे भी आगे निकल जाते हैं। अब आप उन्हें दोस्त कहें या पार्टनर, आपकी मर्जी।

लंच टाइम की दोस्ती
ढेर सारी फाइलों और टारगेट का दबाव हो या फिर अभी-अभी पड़ी बॉस की झाड़... घर में सास-बहू की शिकवे-शिकायत हों या फिर अपने किसी बीमार के लिए दिल में पल रही चिंता...। कार्यालय की दोस्ती सब पर मरहम का काम करती है। यहां लंच टाइम में आपस के सुख-दुख भी बंट जाते हैं और कई बार तो ऐसे ही कोई मिसेस वर्मा अपनी सहयोगी की बिटिया के लिए वर ढूंढ देती हैं या फिर पिछले महीने से फोन के कनेक्शन के लिए भटक रहे जोगिन्दर साहब के सहयोगी (जिनके परिचित उसी विभाग में हैं) मिनटों में 'कनेक्शन' करवा देते हैं।

कंचों के अंदर गुंथी हुई रंग-बिरंगी दुनिया से लेकर फेसबुक तक और टिफिन से लेकर एक्जाम के 'आईएमपी' क्वेशचन्स के बंटवारे तक... दोस्ती न किसी नियम में बंधती है, न ही कायदे में। वो दोस्ती ही क्या, जहां सरहदें रुकावट बन जाएं या भाषा और मजहब आड़े आ जाएं। इसीलिए तो दोस्ती का न कोई और पर्यायवाची है, न होगा, जो है वो बस शब्दों में ही सीमित है और दोस्ती की दुनिया तो शब्दों से कहीं बड़ी, फैली और अंतहीन है। इस दुनिया के ढेर सारे रंगों में से कुछ की आज सैर करते हैं।

'क्या तुमको भी पसंद है यह' वाली दोस्ती?
जी हां, मामला जब एक सी पसंद का हो तो तुरंत हो जाती है दोस्ती। चाहे फिर बात रितिक रोशन के फैन होने की हो, डिजाइनर सलवार सूट पसंद करने, एक ही राइटर की किताबें और एक ही कवि की कविताएँ पसंद करने, खाना बनाने के शौक को साझा करने या हैरी पॉटर पर मर मिटने का शौक हो... अपने जैसे कुछ लोग तो आपको मिल ही जाएंगे। बस फिर पनप जाएगी ये "हॉबी" से जुड़ी दोस्ती।

सोशल साइट्स की दोस्ती
तकनीक के परों पर सवार इस दोस्ती ने मीलों की दूरियों को पटाया है। सन्‌ 2014 में सन्‌ 1980 के बिछड़े दोस्तों को भी मिलाया है। एसएमएस और मिस कॉल की इस दोस्ती को आगे बढ़ाया इंटरनेट की दोस्ती ने। आज फेसबुक, ट्विटर और ईमेल के जरिए देशकाल और सीमाओं से भी परे है दोस्ती। जहां आपकी 'वॉल' पर आपके पचहत्तर साल के 'दादू' की फ्रेंड्स रिक्वेस्ट के साथ दीदी की सात वर्षीय बिटिया की फ्रेंड्स रिक्वेस्ट भी शामिल है।

स्कूल-कॉलेज की दोस्ती
कॉपियों-किताबों में रखी रंगीन फुद्दियों (पंखों), विद्या की पत्तियों और पेंसिल की छीलन से लेकर स्टीकरों, 'कॉन्ट्री' की चाय और समोसों, आधी रात को की गई नोट्स की जुगाड़, असाइनमेंट के कवर को हटाकर की गई फोटोकॉपी और टीशर्ट से लेकर जूतों, दुपट्टों तथा चॉकलेट्स तक के आँटे-बाँटे तक कई दौर से गुजरती है ये दोस्ती। यूं देखें तो यह दोस्ती का सर्वोत्तम काल होता है... सबसे निश्चल होती है इस दौर की दोस्ती।

अड़ोस-पड़ोस की दोस्ती
भर गर्मी में घर की छत पर साड़ी या दुपट्टे की छाँह में रोटा-पानी करती नजर आती है तो कभी सँकरी-सी मोहल्ले की गली में साइकल को स्टम्प बना दिल को क्लीनबोल्ड कर जाती है ये दोस्ती। बड़े होते हाथों में छोटी-सी कटोरी थाम चीनी या अचार की गरज से कभी पड़ोस का दरवाजा खटखटाती तो कभी किसी एक बहन की शादी में भागदौड़ करते तमाम अंकलों, आंटियों, दीदीयों, भाभियों और भैयाओं के चेहरे पर झांक जाती है ये दोस्ती। गरज ये कि किसी एक छत पर सूखता अमचूर पर जिस तरह मोहल्ले के हर बच्चे का हक है... बस इसी तरह इस दोस्ती पर भी किसी एक का अधिकार नहीं है।

'सवा सैर' की दोस्ती
सुबह-सुबह की ताजी हवा और व्यायाम को निकला दोस्तों का समूह हो या फिर देश-विदेश की यात्रा पर निकला यारों का जत्था, हर सैर का अपना एक लुत्फ है।

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