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कुत्ते की सभ्यता

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एमके सांघी

प्रश्न : दद्दूजी, कल निमाड़ के एक जिले में एक जनसुनवाई में महिलाओं ने उपस्थित कलेक्टर महोदय पर बेरुखी तथा खराब व्यवहार का आरोप लगाया। विरोध जताने का अनूठा तरीका निकालते हुए एक महिला ने अपना आवेदन परिसर में उपस्थित कुत्ते के समक्ष प्रस्तुत कर दिया। आपका क्या कहना है? क्या कुत्ता उस महिला की समस्या हल कर पाएगा?
 

 
उत्तर : देखिए, कुत्तों की आचार-संहिता का पालन करते हुए उस कुत्ते ने अवश्य ही आवेदन को बिना किसी देरी के शांति और सभ्यता के साथ सूंघकर प्राप्ति की रसीद दे दी होगी। अब यह बात तो उस महिला को भी ज्ञात होगी कि कुत्ता उसकी कोई मदद नहीं कर सकता। कुत्ते की आवेदन को सूंघने की क्रिया में उस प्रशासनिक अधिकारी के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश छुपा हुआ है और वह यह कि भले ही कलेक्टर महोदय भी उस महिला की समस्या हल कर पाने में असमर्थ हों, पर उन्हें कम-से-कम आवेदन को बिना देरी के, शांति और सभ्यता के साथ सूंघ... क्षमा कीजिएगा, समझ-पढ़कर प्राप्त तो कर ही लेना चाहिए था। उतने से ही आवेदनकर्ता महिला को तसल्ली हो जाती। 
 
प्रशासनिक अधिकारी जनता की समस्याएं भले ही हल न कर पाएं, पर मदद की गुहार लेकर आए आवेदनकर्ताओं को तसल्ली देने का फर्ज तो उन्हें निभाना ही चाहिए। अमूमन हर कुते को पता होता है कि कब उसे प्यार जताना है, कब शांत रहना है, कब किसी पर गुर्राना है और कब काट लेना है। प्रशासनिक अधिकारियों को भी जनता के साथ शांति और प्यार से पेश आना तथा कानून-व्यवस्था भंग करने वालों पर गुर्राना व उन्हें डराना चाहिए। 
 

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