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दद्दू का दरबार : अंग्रेजी के चुपचाप लेटर्स...

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एमके सांघी

प्रश्न : दद्दूजी, ये अंग्रेजी के अनेक शब्दों की स्पेलिंग में 'आर' और 'एस' जैसे लेटर्स साइलेंट होते हैं। उन्हें शब्द की स्पेलिंग से बाहर का रास्ता क्यों नहीं दिखा दिया जाता? बेकार में विद्यार्थियों को रट्टा मारना पड़ता है।


 
उत्तर : देखिए, अंग्रेजी विदेशी भाषा है। उसमें हम लोग उस तरह से दखल नहीं दे सकते हैं जिस तरह से अपनी हिन्दी में मात्रा, बिंदी, हलंत और अनुस्वार के साथ छेड़छाड़ करते रहते हैं और 'चलता है' स्टाइल में सब चलता रहता है।

हां, हमने हिन्दी और अंग्रेजी को मिलाकर एक नई 'हिंग्लिश' भाषा अवश्य विकसित कर ली है जिसे क्या नेता, क्या अभिनेता, क्या ज्ञानी, क्या अज्ञानी, क्या अफसर, क्या पीएचडीधारी, बच्चे, बूढ़े और युवा सब धड़ल्ले से उपयोग में लाकर स्वयं को गौरवान्वित समझते हैं। फिर अपने देश में जब एक 'साइलेंट' समझे जाने वाले प्रधानमंत्री का पहला कार्यकाल पूरा होने पर वह पुन: दूसरी बार प्रधानमंत्री बन जाता है तो अंग्रेजी के साइलेंट लेटर्स से भला किसी को क्या परेशानी हो सकती है? 

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