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दद्दू का दरबार : तीन ‘तलाक’ नहीं तीन ‘प्यार‘...

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एमके सांघी

प्रश्न : दद्दू जी सर्वोच्च न्यायालय, मीडिया तथा सोश्यल मीडिया में आजकल ‘तीन तलाक' विषय को लेकर बहसें जारी हैं। भारत की केंद्र सरकार ट्रिपल तलाक को खत्म करने के पक्ष में आ गई है। मुस्लिम महिलाएं भी तीन तलाक की प्रथा को समाप्त करवाने के लिए आवाज बुलंद कर रही हैं, जबकि मजहबी उलेमा इस प्रकरण में हस्तक्षेप को अपनी धार्मिक स्वतंत्रता में हस्तक्षेप मान रहे हैं। आपके मत के अनुसार क्या इस समस्या का हल कानून के माध्यम से निकाला जा सकता है। यदि नहीं तो आपकी नजर में इसका क्या समाधान हो सकता है ? 


 
उत्तर : देखिए ‘तीन तलाक’ प्रथा को कानूनी रूप से समाप्त किए जाने में काफी अड़चनें हैं और इसमें काफी विरोध के साथ समय भी लगेगा। दद्दू के मत में तीन तलाक का सबसे बेहतर जवाब ‘तीन प्यार’ ही हो सकता है। एक नई प्रथा का आगाज किया जाए जिसमें शौहर अपनी बीबी को तीन बार ‘प्यार’ या ‘आय लव यू’ कहकर इस बात की शपथ लें कि वह ताजिंदगी उसका साथ निभाएगा। 
 
‘तीन प्यार’ के सूत्र को दुनिया के हर धर्म का हर पति अपना कर अपने जीवन साथी को जीवन भर साथ निभाने का वादा कर सकता है। तब ‘तीन प्यार’ के पक्षधर दुनिया में इतने अधिक हो जाएंगे जिनके जयघोष के सामने ’तीन तलाक’ की आवाज नक्कार खाने की तूती बनकर रह जाएगी।
 

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