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महेंद्र साँघी
नेताओं को अमीर-गरीब सभी देवता की भाँति पूजते
जब पड़ती जरूरत उन्हें ही दौड़कर ढूँढते
एक नेता ने अपने चमचों से कहा कि
उनके लिए भी चुनें एक 'प्रतीक' देव वाहन
चुनाव के पहले ही चरण में भा गई विदेशी कार
जो एक उद्योगपति मित्र लाए थे उपहार
मगर स्वदेशी भावना के डर से
हो न सकी स्वीकार
एक कार्यकर्ता ले आया पुराने मॉडल की कार
तो नेताजी का जाग गया सोच
बोले कार को बना लिया 'देववाहन' तो
किस मुँह माँगेंगे गरीबों के वोट
एक समर्थक ने सुझाया ले आओ घोड़ागाड़ी
मगर सबने कहा कि नहीं-नहीं
प्रचार रुक जाएगा क्योंकि गलियों में
घोड़ागाड़ी माँगेगी जगह ढेर सारी
एक उत्साही कार्यकर्ता अपना टेम्पो ले आया
थोड़े से चिंतन से ही यह समझ में आया
कि यह तो फैलाता है बहुत प्रदूषण
सबने उसे ससम्मान वापस लौटाया
क्या कोई उपयुक्त देववाहन न मिलेगा
नेताजी को लगने लगा डर
इक्कीसवीं सदी का एक युवा समर्थक
जाकर ले आया एक कम्प्यूटर
सभी ने किया कम्प्यूटर को प्रणाम
दिए विकल्प और आँकड़े और चलाया प्रोग्राम
तुरंत मॉनीटर पर अवतरित हुआ, महिमा सहित
एक कलरफुल ठेलागाड़ी का चित्र और नाम।
बाजार हो या स्टेशन
शहर हो या गाँव का गली-कूचा
ठेला हर जगह सेवा करता हुआ
जहाँ जरूरत वहाँ जा पहुँचा
चाहे कोई इस पर सो ले
चाहे इस पर सजा ले अपनी दुकान
डीजल लगे न पेट्रोल
चाहे जितना लाद दो सामान
पाँच-पचास रुपए में यह
गरीब को मिल जाता
भारी जेब वालों से यह दिन में
हजार-पाँच सौ भी खींच लाता
बेरोजगारी का भी ठेला
करता है सुंदर निदान
कई डिग्रीधारी चला रहे
इसी से अपनी दुकान
यह सही है कि इसे धकाना
होता नहीं है आसान
मगर नेताओं के आगे-पीछे तो
होते ही हैं दो-चार पहलवान
नेताओं की होती है काया भारी-भरकम
ठेला सह सकता है आसानी से वजन
ऊपर से फिर यह रहता है खुला
सबको आसानी से होंगे दर्शन
दिखा सकती है धूप, पानी, हवा अपने हाथ
मगर नेताओं का तो है इनसे जन्म-मरण का साथ
नेता जब सड़क पर रहे, इनसे करता दो-दो हाथ
न्योछावर हो जाती जनता, कर देती वोटों की बरसात
ठेले के नीचे रहता है
एक और अतिरिक्त स्थान
टाट में लपेटकर आसानी से आ सकता है
नजर बचाकर सूटकेस जैसा सामान
चुनाव बजट भी रहेगा सीमा में
पेट्रोल पर न खर्च होगी थोड़ी सी भी चिल्लर
तनिक भी कमी न आएगी शान में
आखिर ठेला भी तो है एक फोर व्हीलर
ठेले से अच्छा तैयार मंच क्या
किसी चुनाव सभा में मिल पाएगा
गली में सभा हो या नुक्कड़ पर
ठेला जहाँ ठेलेंगे चला जाएगा
सादगी और सरलता का प्रतीक है ठेला
जो नेता पहले अपनाएगा, अवश्य विजय पाएगा
वोटों के लिए झोली पड़ सकती है छोटी
ठेला इधर से वादे ले जाएगा उधर से वोट भर लाएगा
ठेला सबसे श्रेष्ठ है
सब वाहनों का राजा है
क्योंकि यह रहता है आगे
और इसे खुद इंसान धकाता है
जिस ओर होता है अधिक जोर
ठेला उसी ओर लुढ़क जाता है
बहुमत आधारित राजनीति के प्रति
कितनी सभ्यता दिखलाता है
ठेला हमारे राजनीतिज्ञों के
चरित्र से भी बहुत मेल खाता है
आज की राजनीति में हर व्यक्ति
एक-दूसरे को ठेलता नजर आता है
किसी ठेले वाले की किस्मत पर
कभी न खाइएगा तरस
आप निन्यानवे के फेर में जागते हैं
वह नींद लेता है मीठी और सरस
दूर कॉलोनियों में बसे लोग
बाजार नहीं जा पाते हैं
धन्यवाद ठेले वालों का
जो दुकान आपके घर लाते हैं
इक्कीसवीं सदी में जब
मुश्किल हो जाएगा मिलना पेट्रोल
यारों तब पता चलेगा आपको कि
ठेला चीज है कितनी अनमोल
दूसरी कमाइयाँ जहाँ लोगों की
आँखों में खटक सकती है
ठेले की खरे पसीने की कमाई पर
मजाल जो कोई आँख उठ सकती है
किस्मत वाले कुछ कुत्ते चाहे
बड़े ड्राइंगरूमों में बिस्कुट खाते हैं
सड़क के गरीब कुत्ते ठंड-बरसात में
ठेलों के नीचे ही सर छुपाते हैं
गर्म रातों में बंद कमरों में
सोना लगता है सजा।
किस्मतवाले हैं वे लोग जिन्होंने चखा है
ठेले पर खुली हवा में सोने का मजा
लाख रुपए की एक और बात है
ठेले में होता है आगा-पीछा एक समान
दो दिशाओं में चल सकने के कारण
दल-बदल रहेगा अत्यंत आसान
कम्प्यूटर द्वारा वर्णित महिमा पढ़कर
नेताजी को बहुत भा गया ठेला
बना लिया उसे अपना वाहन
चारों ओर बस छा गया ठेला!