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बाबा रामदेव राजनीति की राह पर

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- रोमेश जोशी
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राजनीति की राह का 'र' मेरे अनुभव से रुपए के 'र' से ही बनता है, फिर चाहे उस राह पर जाने की घोषणा बिना जेब के कपड़े पहनने वाले और अपने नाम से बैंक में कोई खाता न रखने वाले बाबा रामदेव ही क्यों न करें। वैसे जब बाबा ने राजनीति करने की घोषणा की थी, तब मैं उसके विरुद्ध था, मुझे उन पर लगने वाले आरोपों की भी ज्यादा जानकारी नहीं थी। लेकिन मेरे विरोध का कारण वह नहीं था, जो दिग्विजय सिंह या उनके जैसे अन्य विरोध करने वालों का है।

अब आगे बढ़ने से पहले रुपया यहां मुझे स्व. मधु मेहता को याद कर लेने की अनुमति दें। अपने जीवन के आखिरी कुछ वर्षों में उन्होंने हिन्दुस्तानी आंदोलन छेड़ा था, वे इस देश की राजनीति को पाक-साफ करने के इरादे से देशभर में करीब पांच सौ ऐसे नेता, सॉरी, ऐसे आदमी तलाश कर रहे थे जो सेवाभावी, ईमानदार आदि गुणों से भरे-पूरे हों।

यही कारण था कि जब बाबा रामदेव ने पाक-साफ लोगों को साथ लेकर राजनीति में उतरने की घोषणा की तो मुझे लगा कि वे मधु मेहता द्वितीय बनने जा रहे हैं और मैंने विरोध किया, क्यों टाइम वेस्ट कर रहे हो? अरे, योग करवाने के बाद भी ऊर्जा बच रही है, तो कोई और काम करो। सुनो बाबा, माना कि आपके संपर्क स्व. मधुजी की तुलना में काफी ज्यादा हैं। भाजपाई झुकाव वाले काफी लोग आपका समर्थन करने को तैयार हैं।

यह भी मान लिया कि आप चुनाव लड़ने को तैयार पांच सौ साफ और सुथरे लोग तलाश भी कर लेंगे, पर बड़ी समस्या तो यह है कि क्या हमारे देश के महान मतदाता उन्हें, आपकी अपील के बावजूद वोट देंगे?

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हमारी महान देशप्रेमी जनता अकसर गुंडे-बदमाशों, हिस्ट्री शीटरों को वोट देकर संसद भेजने और इस प्रकार अपने इलाके से उन्हें जिलाबदर करना पसंद करती है। जरा एक कारण बताइए, ईमानदारों को वह क्यों वोट देने लगी? बाबा, सोच कर देखिए, ईमानदारों के लिए इस देश में चुनाव जीतने के कितने अवसर हैं?

मैं विरुद्ध था, लेकिन रामदेव के राजनीति में उतरने का मैंने विरोध किया नहीं। अरे, जब एक्टर-एक्टरनी, पहलवान, दलाल, ब्लेकबाज, भ्रष्ट उद्योगपति, भूतपूर्व डकैत आदि सब चुनाव लड़ने को बुलाए जा सकते हैं तो इस बाबा में क्या हर्ज है। और यही कारण है कि जब बाबा के राजनीति में उतरने का विरोध हुआ, तो मेरी पहली प्रतिक्रिया थी- 'क्यों नहीं उतरें! राजनीति आपके बाप की है क्या?' आप सब तथाकथित नेता तो ऐसा कोई विषय छिड़ते ही विषय बदलने का प्रयास करते हो।

हो सकता है, राजनीति की राह पर यह बाबा भी रामदेव सिद्ध हो जाए, पर इसमें आपको क्या आपत्ति है? आप जैसों की थैली में एक और चट्टा या बट्टा शामिल हो जाएगा। जनता तो पहले से ही भुगत रही है, इनको भी भुगत लेगी। ट्राइ करने में बुराई क्या है।

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